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30 जून तक हुए तबादलों में मंत्रियों की नहीं कोई दखल, विभागाध्यक्षों के पास पूरा अधिकार - government officers transfer

उत्तर प्रदेश में सरकारी अधिकारियों के तबादलों और उसमें मंत्रियों की असंतुष्टि का मुद्दा गर्माया है. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के बाद कई विभागों के मंत्रियों ने अलग-अलग तबादलों पर सवाल उठाए हैं.

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक
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Published : Jul 5, 2022, 9:22 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारी अधिकारियों के तबादलों और उसमें मंत्रियों की असंतुष्टि का मुद्दा गर्माया है. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के बाद कई विभागों के मंत्रियों ने अलग-अलग तबादलों पर सवाल उठाए हैं. मंत्रियों की आपत्ति के बाद अब तबादले के नियमों पर चर्चा हो रही है. तबादला नीति में यह स्पष्ट है कि तबादलों के लिए 30 जून तक के तय समय में मंत्रियों का कोई दखल नहीं है.

विभागाध्यक्ष की मर्जी से ही तय नियमों के आधार पर 20% तक अफसरों और कर्मचारियों के तबादले किए जाते हैं. इसके अलावा 30 जून की अवधि के बाद किए जाने वाले तबादलों में जरूर मंत्री और मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिया जाता है. तबादला अवधि के दौरान जो भी ट्रांसफर होते हैं विभागाध्यक्ष उनका एक प्रमाण पत्र शासन को उपलब्ध कराता है. शासन के कार्मिक विभाग द्वारा जारी तबादला नीति को लेकर कार्मिक विभाग के एक अफसर ने बताया कि समूह 'क' एवं 'ख' के स्थानान्तरण संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों की संख्या के अधिकतम 20 प्रतिशत की सीमा तक ही किए जा सकते हैं.

निर्धारित 20 प्रतिशत की सीमा से अधिक स्थानान्तरण की अपरिहार्यता होने पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन आवश्यक होगा. समूह 'ख' के कार्मिकों के स्थानान्तरण संबंधित विभागों के विभागाध्यक्षों द्वारा किए जाएंगे. स्थानान्तरण सत्र की अवधि की समाप्ति के उपरान्त समूह 'क' के कार्मिकों के संबंध में विभागीय मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर स्थानान्तरण करना अनुमन्य होगा. जबकि स्थानांतरण अवधि बीतने के बाद समूह 'ख' के कार्मिकों के स्थानान्तरण के लिए विभागीय मंत्री का अनुमोदन आवश्यक होगा. जिससे कि स्पष्ट है कि 30 जून की अवधि तक जितने भी तबादले हुए हैं. उनमें सीधे तौर पर मंत्री की भूमिका नहीं होती है. यह बात अलग है कि मंत्री के सम्मान को देखते हुए तबादलों पर अनौपचारिक अनुमोदन मंत्री से जरूर लिया जाता है.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश भर में चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग में इस सत्र में अब तक जो भी तबादले किए गये हैं, उससे उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक संतुष्ट नहीं हैं. यही कारण है कि स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सोमवार को से लखनऊ के अस्पतालों में डॉक्टरों के तबादलों पर जानकारी मांगी हैं. उन्होंने विभाग के अपर मुख्य सचिव से तबादलों के संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा है. अपर मुख्य सचिव को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पत्र लिखकर अवगत कराया कि उनके संज्ञान में आया है कि डॉक्टरों के तबादले तो कर दिए गए हैं. लेकिन कई अस्पतालों में उन डॉक्टरों की तैनाती जगह पर कोई डॉक्टर नहीं पहुंचे हैं. इसके अलावा भी तमाम तरह की शिकायते हैं.

इसे पढ़ें- स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर विवाद: कांग्रेस ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को बताया रबर स्टैंप

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारी अधिकारियों के तबादलों और उसमें मंत्रियों की असंतुष्टि का मुद्दा गर्माया है. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के बाद कई विभागों के मंत्रियों ने अलग-अलग तबादलों पर सवाल उठाए हैं. मंत्रियों की आपत्ति के बाद अब तबादले के नियमों पर चर्चा हो रही है. तबादला नीति में यह स्पष्ट है कि तबादलों के लिए 30 जून तक के तय समय में मंत्रियों का कोई दखल नहीं है.

विभागाध्यक्ष की मर्जी से ही तय नियमों के आधार पर 20% तक अफसरों और कर्मचारियों के तबादले किए जाते हैं. इसके अलावा 30 जून की अवधि के बाद किए जाने वाले तबादलों में जरूर मंत्री और मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिया जाता है. तबादला अवधि के दौरान जो भी ट्रांसफर होते हैं विभागाध्यक्ष उनका एक प्रमाण पत्र शासन को उपलब्ध कराता है. शासन के कार्मिक विभाग द्वारा जारी तबादला नीति को लेकर कार्मिक विभाग के एक अफसर ने बताया कि समूह 'क' एवं 'ख' के स्थानान्तरण संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों की संख्या के अधिकतम 20 प्रतिशत की सीमा तक ही किए जा सकते हैं.

निर्धारित 20 प्रतिशत की सीमा से अधिक स्थानान्तरण की अपरिहार्यता होने पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन आवश्यक होगा. समूह 'ख' के कार्मिकों के स्थानान्तरण संबंधित विभागों के विभागाध्यक्षों द्वारा किए जाएंगे. स्थानान्तरण सत्र की अवधि की समाप्ति के उपरान्त समूह 'क' के कार्मिकों के संबंध में विभागीय मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर स्थानान्तरण करना अनुमन्य होगा. जबकि स्थानांतरण अवधि बीतने के बाद समूह 'ख' के कार्मिकों के स्थानान्तरण के लिए विभागीय मंत्री का अनुमोदन आवश्यक होगा. जिससे कि स्पष्ट है कि 30 जून की अवधि तक जितने भी तबादले हुए हैं. उनमें सीधे तौर पर मंत्री की भूमिका नहीं होती है. यह बात अलग है कि मंत्री के सम्मान को देखते हुए तबादलों पर अनौपचारिक अनुमोदन मंत्री से जरूर लिया जाता है.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश भर में चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग में इस सत्र में अब तक जो भी तबादले किए गये हैं, उससे उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक संतुष्ट नहीं हैं. यही कारण है कि स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सोमवार को से लखनऊ के अस्पतालों में डॉक्टरों के तबादलों पर जानकारी मांगी हैं. उन्होंने विभाग के अपर मुख्य सचिव से तबादलों के संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा है. अपर मुख्य सचिव को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पत्र लिखकर अवगत कराया कि उनके संज्ञान में आया है कि डॉक्टरों के तबादले तो कर दिए गए हैं. लेकिन कई अस्पतालों में उन डॉक्टरों की तैनाती जगह पर कोई डॉक्टर नहीं पहुंचे हैं. इसके अलावा भी तमाम तरह की शिकायते हैं.

इसे पढ़ें- स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर विवाद: कांग्रेस ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को बताया रबर स्टैंप

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