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HC ने धर्मांतरण पर कानून बनाने की याचिका की खारिज, पूरे देश में UP जैसा कानून बनाने की थी मांग

इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने धर्मांतरण पर कानून बनाने का आदेश केंद्र सरकार को देने की मांग वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में उत्तर प्रदेश जैसी धर्मांतरण के सम्बन्ध में कानून केंद्र सरकार को बनाने का आदेश देने की मांग की गयी थी.

HC ने धर्मांतरण पर कानून बनाने की याचिका की खारिज
HC ने धर्मांतरण पर कानून बनाने की याचिका की खारिज
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Published : Jan 29, 2021, 10:39 PM IST

लखनऊः इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने धर्मांतरण पर कानून बनाने की याचिका खारिज कर दी है. याचिका में यूपी जैसा कानून पूरे देश के लिए बनाने की मांग की गयी थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को केंद्र को ऐसा कानून बनाने का आदेश देने की मांग की थी.

धर्मांतरण कानून बनाने का आदेश देने की मांग HC ने की खारिज

न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने ये आदेश हिन्दू पर्सनल लॉ बोर्ड नामक संस्था के अध्यक्ष अशोक पांडेय की याचिका पर दिया है. याची ने दलील दी थी कि न्यायपालिका केंद्र और राज्य सरकार को कानून बनाने का निर्देश दे सकती है. उन्होंने कहा कि याचिका में केवल निर्देश देने की मांग की गई है, न कि न्यायालय को कानून बनाने के लिए अनुरोध किया गया है. हालांकि न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने तमाम फैसलों में स्पष्ट किया है कि न्यायपालिका को न तो कानून बनाने का क्षेत्राधिकार मिला है, और न ही ऐसा निर्देश देने का. संविधान में क्षेत्राधिकार और शक्तियों का स्पष्ट तौर पर बंटवारा किया गया है. संविधान सभा की इस संंबंध में बहस को पढ़ने पर ये स्पष्ट हो जाता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था चलाने के लिए ये बंटवारा कितना आवश्यक है. न्यायालय ने उक्त टिप्पणी करते हुए याचिका को एडमिशन के स्टेज पर ही खारिज कर दिया.

लखनऊः इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने धर्मांतरण पर कानून बनाने की याचिका खारिज कर दी है. याचिका में यूपी जैसा कानून पूरे देश के लिए बनाने की मांग की गयी थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को केंद्र को ऐसा कानून बनाने का आदेश देने की मांग की थी.

धर्मांतरण कानून बनाने का आदेश देने की मांग HC ने की खारिज

न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने ये आदेश हिन्दू पर्सनल लॉ बोर्ड नामक संस्था के अध्यक्ष अशोक पांडेय की याचिका पर दिया है. याची ने दलील दी थी कि न्यायपालिका केंद्र और राज्य सरकार को कानून बनाने का निर्देश दे सकती है. उन्होंने कहा कि याचिका में केवल निर्देश देने की मांग की गई है, न कि न्यायालय को कानून बनाने के लिए अनुरोध किया गया है. हालांकि न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने तमाम फैसलों में स्पष्ट किया है कि न्यायपालिका को न तो कानून बनाने का क्षेत्राधिकार मिला है, और न ही ऐसा निर्देश देने का. संविधान में क्षेत्राधिकार और शक्तियों का स्पष्ट तौर पर बंटवारा किया गया है. संविधान सभा की इस संंबंध में बहस को पढ़ने पर ये स्पष्ट हो जाता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था चलाने के लिए ये बंटवारा कितना आवश्यक है. न्यायालय ने उक्त टिप्पणी करते हुए याचिका को एडमिशन के स्टेज पर ही खारिज कर दिया.

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