लखनऊ/नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी अपर सचिव समाज कल्याण विभाग राम विलास यादव की गिरफ्तारी पर रोक के मामले पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सरकार से 23 जून तक स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने राम विलास यादव (Additional Secretary Social Welfare Department) से कहा है कि वे कल तक अपना बयान विजिलेंस के सम्मुख दर्ज कराएं. मामले की अगली सुनवाई 23 जून को होगी.
अपर सचिव समाज कल्याण ने आरोपों को बताया गलत: आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगाए गए हैं, जो गलत हैं. उनकी लड़की विदेश में, लड़का सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता है. उनकी पत्नी कॉलेज की प्रबंधक हैं और वो खुद आईएएस अधिकारी हैं. यह संपत्ति उन्होंने मेहनत से अर्जित की है. जिस व्यक्ति ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की उसके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. इस मामले में उनको अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया. सरकार ने जो कमेटी गठित की थी, उसको पक्ष रखने से पहले ही भंग कर दिया गया. सरकार की तरफ से कहा गया कि विजिलेंस टीम ने उन्हें कई बार अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया, लेकिन नहीं गए और मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव व कई मंत्रियों से मिले.
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विजिलेंस टीम ने की थी छापेमारी: मामले के अनुसार आईएएस राम विलास यादव उत्तराखंड सरकार में समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव के पद पर कार्यरत हैं. पूर्व में यादव उत्तर प्रदेश सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव भी रह चुके हैं. उनके खिलाफ लखनऊ में एक व्यक्ति द्वारा आय से अधिक संपत्ति की शिकायत दर्ज की गई थी. जिसके आधार पर उत्तराखंड सरकार ने जांच शुरू की. विजिलेंस टीम ने उनके लखनऊ, देहरादून व गाजीपुर के ठिकानों पर छापा मारा. जिसमें संपत्ति से संबंधित कई दस्तावेज मिले.
जांच करने पर इनके खिलाफ आय से 500 गुना अधिक संपत्ति मिली. इसके आधार पर सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए आज उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली. यादव उत्तर प्रदेश सरकार में एलडीए सचिव के साथ साथ मंडी परिषद के निदेशक भी रह चुके हैं. यादव को आज विजिलेंस टीम के सम्मुख पेश होना है.