लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह टीएसआर डाटा प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड व राभव लिमिटेड नाम की कंपनियों को सरकारी भर्ती परीक्षाओं का काम न देना सुनिश्चित करे. कोर्ट ने कहा कि उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध है. वहीं, कोर्ट ने इस आदेश के साथ ही सहायक समीक्षा अधिकारी के पदों पर हुई भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोपों वाली याचिका को खारिज कर दिया.
यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अंकुर सरोहा व एक अन्य की याचिका पर पारित किया. याचिका में मांग की गई कि सचिवालय में सहायक समीक्षा अधिकारी के 53 पदों पर भर्ती के लिए 7 दिसंबर 2020 को जारी विज्ञापन को निरस्त किया जाए.
दलील दी गई कि उक्त भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है. कहा गया कि उक्त भर्ती परीक्षा को संपन्न कराने का जिम्मा टीएसआर और राभव लिमिटेड को दिया गया था. उनके निदेशक एसपी सिंह, रामवीर सिंह व आरपी सिंह यादव को ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा में धांधली करने के आरोपों में जेल भेजा जा चुका है.
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कहा गया कि सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा में भी जो लोग चयनित हुए हैं, वे निदेशकों व सचिवालय के अधिकारियों के रिश्तेदार और मित्र हैं. वहीं, याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि ओबीसी वर्ग के अंतिम चयनित अभ्यर्थी के मार्क्स 164 व सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के मार्क्स 172.5 है जबकि याचियों को 141.25 व 141.75 मार्क्स ही मिले हैं. वहीं, याचियों की ओर से दाखिल उनकी ओएमआर शीट की कॉर्बन कॉपी भी विश्वसनीय नहीं मिली.