लखनऊ: बाजारों में बहुत से फ्लेवर्ड कंडोम उपलब्ध हैं. लेकिन ज्यादातर लोग फ्लेवर्ड कंडोम के बारें में अच्छी तरह से नहीं जानते. डॉक्टर के मुताबिक फ्लेवर्ड कंडोम का अज्ञानता भरा उपयोग आपके पार्टनर के लिए घातक साबित हो सकता है. क्वीन मैरी महिला अस्पताल की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा मल्होत्रा बताती हैं कि लोग सेक्स और सेक्स से जुड़े तमाम मुद्दों पर बातचीत करने से हिचकते हैं. यही कारण है कि लोगों के पास जानकारी का अभाव रहता है और वो फ्लेवर्ड कंडोम का सही इस्तेमाल तक नहीं जानते हैं.
डॉ. सीमा मल्होत्रा ने बताया कि कई बार फ्लेवर्ड कंडोम जानलेवा भी साबित हो सकता है. मार्केट में जो फ्लेवर्ड कंडोम उपलब्ध हैं, उनका इस्तेमाल ओरल सेक्स के लिए किया जाता है न कि वजाइनल सेक्स के लिए. ज्यादातर लोग दोनों में अंतर नहीं समझ पाते हैं. वहीं दुकारदारों को फ्लेवर्ड कंडोम में सामान्य कंडोम की अपेक्षा ज्यादा मुनाफा मिलता है. इसलिए वह ग्राहक के मांगेने पर फ्लेवर्ड कंडोम ही दे देते हैं. ऐसे में जिन लोगों को ओरल सेक्स नहीं करना होता है, वह भी फ्लेवर्ड कंडोम ले जाते हैं और उसका गलत उपयोग करते हैं. इसके चलते महिलाओं में बीमारियां पनपती हैं. डॉ. सीमा मल्होत्रा ने बताया कि फ्लेवर्ड कंडोम के इस्तेमाल से महिला के वजाइना में संक्रमण की आशंका दोगुनी हो जाती है.
फ्लेवर्ड कंडोम के इंफेक्शन से बहुत सी महिलाएं पीड़ित: डॉ. सीमा मल्होत्रा ने बताया कि वजाइनल इंफेक्शन की महीने में 15 से 20 महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. पहले तो वह किसी को बताती नहीं है. समस्या बढ़ने पर उन्हें दिक्कतें होने लगती हैं तब वो अस्पताल आती हैं. यहां आने पर भी वह अपनी बात खुलकर नहीं बता पाती हैं. किसी सवाल का जवाब वो हां या ना में सिर हिलाकर देती हैं. कई बार तो महिलाएं बीमारी भी नहीं बता पाती हैं. इंफेक्शन और लक्षण देखकर पता लगाया जाता है कि फ्लेवर्ड कंडोम का इंफेक्शन है. अभी तक ऐसा देखने को मिला है कि लोग कंडोम का नाम ही नहीं लेते. हालांकि हम सभी जानते हैं कि वजाइनल इन्फेक्शन फिजिकल इंटीमेशन से होता है.
फ्लेवर्ड कंडोम में होता है शुगर: डॉ. सीमा बताती हैं कि बाजार में पहले बिना फ्लेवर्ड वाले कंडोम आते थे, लेकिन वर्तमान में तमाम फ्लेवर्ड कंडोम मार्केट में उपलब्ध हैं. युवा पीढ़ी ज्यादातर फ्लेवर्ड कंडोम ही खरीद रही है. लेकिन फ्लेवर्ड कंडोम खरीदने से पहले आप एक बार अपने पार्टनर के बारें में जरूर सोचें. फ्लेवर्ड कंडोम के निर्माण में शुगर और फ्लेवर देने के लिए सिंथेटिक कलर्स का इस्तेमाल किया जाता है. इसके इस्तेमाल से वजाइना में खुजली, लाल चकत्ते, दाने, जलन, इंफेक्शन हो सकता है. इतना ही नहीं कभी-कभी यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.
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डॉ. सीमा मल्होत्रा ने बताया कि पेशाब में जलन, पेट में तेज दर्द जैसी समस्याओं के साथ तेज बुखार को मुख्यरूप से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) का संकेत माना जाता है. यह यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में हो सकती है. अधिकांश मामलों में मूत्राशय और मूत्रमार्ग में संक्रमण की स्थिति देखने को मिलती है, जो कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यूटीआई होने का जोखिम अधिक होता है. लगभग 55-60 फीसदी महिलाओं को जीवन में कभी न कभी यूटीआई का सामना करना पड़ सकता है. फ्लेवर्ड कंडोम, टॉयलेट की गंदगी, सामुदायिक शौचालय का इस्तेमाल या पीरियड्स और संभोग के दौरान साफ-सफाई का ध्यान न रखने के कारण इस तरह की समस्याओं का खतरा अधिक रहता है.
वजाइनल सेक्स के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें फ्लेवर्ड कंडोम का नहीं: उन्होंने बताया कि हमारे पास आए दिन महिलाओं के ऐसे के साथ ही रहते हैं अस्पताल में यह आम बात है लेकिन आम पब्लिक को यही मैसेज देना चाहेंगे कि आप अपनी पार्टनर का ख्याल जरूर रखें. कंडोम का इस्तेमाल करना काफी अच्छी बात है. सुरक्षा लेने के लिए कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें. लेकिन फ्लेवर्ड कंडोम का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें. यह आपके पार्टनर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. फ्लेवर्ड कंडोम का इस्तेमाल ओरल सेक्स के लिए किया गया है न कि वरजाइनल सेक्स के लिए.
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