लखनऊ : करीब 10 वर्ष गोरखपुर से चार बार के भाजपा विधायक और मौजूदा समय सांसद डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने कई साल पहले अपने सुरक्षाकर्मी वापस कर दिए थे. उनका कहना था कि जनता के लिए काम करने वाले व्यक्ति को सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं, लेकिन उत्तर प्रदेश के सभी माननीय, नेता और व्यापारी ऐसे नहीं हैं. इनमें किसी को एक गनर से ज्यादा की दरकार है तो किसी को गनर के हाथ में हाईटेक असलहे देखना पसंद है. इसी शौक पर पूर्व आईपीएस व योगी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने सवाल उठाए हैं और गनर देने की प्रक्रिया पर बदलाव करने की मांग की है.
![यूपी में गनर लेने के लिए नियम.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/19-06-2023/18792737_ggn2.jpg)
नेता, अधिकारी, व्यापारी व धर्म गुरुओं को भी गनर का शौक
पूर्व प्रधानमंत्री के बॉडीगार्ड रह चुके पूर्व आईपीएस व मौजूदा योगी सरकार के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने शौक के लिए पुलिस को अपना बॉडीगार्ड बनाए जाने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने फेसबुक में लिखा है कि वर्दी और बंदूक निश्चित रूप से शक्ति के प्रतीक हैं, लेकिन क्या लोकतांत्रिक रूप से, यानि जनता के वोट से शक्ति पाने वाले लोगों को अपने पास वर्दी और बंदूकें रखने का शौक पालना चाहिए? उनकी देखा-देखी नौकरशाह, व्यवसायी, धर्म गुरू सबको यह शौक लग गया है. क्या यह शौक सही है, मूल प्रश्न यही है. पुलिस की सुरक्षा किसे मिले, क्यों मिले, उसका स्वरूप क्या हो, इस बारे में मुझे लगता है कि नए सिरे से विचार करना होगा. मैं भी प्रधानमंत्री बाडी गार्ड रहा हूं. इस विषय को गहराई से समझने का प्रयास किया है, अन्य देशों को भी इस दृष्टिकोण से देखा-परखा है.
![यूपी में गनर लेने के लिए नियम.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/19-06-2023/18792737_ggn3.jpg)
असीम अरुण का कहना है कि सुरक्षा उन व्यक्तियों के लिए होनी चाहिए जिन्हें वास्तविक खतरा है. हमारे ऐसे नेता जो अपराधियों, आतंकियों, भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध लड़ाई में कड़े निर्णय ले रहे हैं, जज जो सजाएं दे रहे हैं, जो कर्मी इस लड़ाई में जमीन पर उतरे हैं, ऐसे नागरिक जो पीड़ित हैं, गवाह हैं, उन्हें सुरक्षा मिलनी चाहिए. मज़बूत सुरक्षा, जिसमें सुप्रशिक्षित कर्मी हों, तकनीक और टैक्टिक्स का होशियारी से प्रयोग हो. सुरक्षा कर्मी जो सादे में हों और शस्त्रों को छुपा कर रखें. स्टेटस सिंबल के सिद्धांत 'जितना बड़ा आदमी, उतने ज़्यादा पुलिसकर्मी'' को ध्वस्त करने के लिए सुनियोजित तरीके से काम करना होगा. अमृत काल में बहुत कुछ बदलने वाला है. बड़े बदलावों से हमें बचना नहीं है, उन्हें गति देना है. सबसे बड़ा बदलाव होता है सोच का, उसके बारे में सोचना होगा, और कुछ बड़ा करना होगा.
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पूर्व पुलिस अधिकारी भी करते हैं गनर प्रथा का विरोध
पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि मैं वर्षों से देख रहा हूं कि नेता, व्यापारी और बिल्डर कई गनर लेकर चलते हैं. ऐसे लोगों की स्वतंत्र एजेंसी को रिव्यू करना चाहिए और वह ही तय करे कि किसे गनर की जरूरत है और किसे नहीं. बिल्डर और व्यापारी गनर लेकर भौकाल दिखाते हैं और पुलिस की आड़ में अपने विवाद सुलताते हैं. कई बार तो ऐसे अपराधियों को गनर मिले होते हैं जो आगे चलकर विधायक व सांसद बन गए तो उनके गनर भी उनके अपराधों में संलिप्त हो जाते हैं जो पुलिस की गरिमा घटा रहे हैं.
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