लखनऊ: एक लाख 37 हजार में बची 22 हजार रिक्त पदों को भरने की मांग कर रहे सहायक शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने शनिवार दोपहर सबसे पहले भाजपा कार्यालय का घेराव किया. इसके बाद सभी अभ्यर्थियों को पुलिस ने बल प्रयोग किया और गाड़ी में भरकर इको गार्डन ले गई.
वहीं, शाम होते ही 70 से 80 अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी (Education Minister Satish Dwivedi) के आवास के बाहर धरना प्रदर्शन किया. अभ्यर्थियों का कहना है कि 22 दो 22 लो (यानि 22 हजार पदों पर नियुक्ति देकर 2022 के चुनाव में वोट लो). अभ्यर्थी 175 दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन कोई भी नेता, मंत्री और विधायक उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है.
अब तो आलम यह है कि अभ्यार्थियों के अभिभावक भी धरनास्थल पर पहुंचने लगे हैं. अभिभावक भी बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के आवास के बाहर अभ्यर्थियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.
ऐसे में इन अभ्यर्थियों की ओर से 22 हजार रिक्त पदों को भी इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल किए जाने की मांग उठाई जा रही है. इनका कहना है कि हजारों बीएड, बीटीसी छात्र बेरोजगार भटक रहे हैं.
इन पदों को भर्ती प्रक्रिया में जोड़ने से उन्हें नौकरी पाने का अवसर मिल जाएगा. हालांकि सरकार की तरफ से भी जल्द ही दूसरी भर्ती प्रक्रिया भी लाने की घोषणा की जा चुकी है.
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था कि प्राथमिक शिक्षकों के 51 हजार से अधिक पद रिक्त हैं और जल्द ही भर्ती दी जाएगी. शिक्षामित्रों को एक और मौका दिया जाएगा. उनका कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग (Basic education department) में पिछले 2 वर्षों से कोई नई भर्ती नहीं हुई है.
जो 68500 और 69000 शिक्षकों की भर्ती हुई है, वह सुप्रीम कोर्ट से शिक्षामित्रों के समायोजन रद्द होने की वजह से हुई है. आरटीआई से प्राप्त डाटा के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में अब भी डेढ़ लाख से ज्यादा पद खाली हैं.
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काला फीता बांधकर लूटा शिक्षक करेंगे विरोध-प्रदर्शन
कला संकाय को दिए गए कारण बताओ नोटिस को निर्धारित समय में वापस न लिए जाने से नाराज लूटा शिक्षक संघ सोमवार से काला फीता बांधकर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा. बता दें कि लूटा शिक्षक संघ के महामंत्री राजेंद्र वर्मा ने बताया कि गुरुवार को आयोजित हुई लूटा सभा की स्थगित बैठक पुनः शनिवार को टीचर्स स्टॉफ क्लब में हुई.
बैठक में पूर्व में सर्वसम्मति से पारित प्रस्तावों के साथ अधिष्ठाता, कला संकाय को दिए गए पत्र को निर्धारित समय अवधि के अंदर वापस न लेने के कारण सर्वसम्मति से आंदोलन की रूपरेखा पारित की गई है.
दरअसल, विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछले दिनों कई विभागों की प्रमोशन कमेटी बनाई थी. इसमें डीन आर्ट्स ने नियमानुसार कमेटी की बैठक न करने पर उसमें शामिल करने में असमर्थता जताई थी.
कमेटी की बैठक की जानकारी 15 दिन पहले दी जानी चाहिए थी जो 2 दिन पहले दी गई थी. इसी मामले में बैठक में अनुपस्थित रहने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसके बाद कारण बताओ नोटिस से शिक्षकों ने नाराजगी जताई थी.
इस मामले को लेकर शिक्षक संघ की गुरुवार को आमसभा हुई थी. इसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि यदि 24 घंटे में नोटिस वापस नहीं लिया. फिर आमसभा बुलाकर आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा.
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महासचिव राजेंद्र वर्मा (General Secretary Rajendra Verma) ने बताया कि 24 घंटे बीतने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने नोटिस वापस नहीं लिया है. इसे देखते हुए आमसभा में सर्वसम्मति से आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली गई है. इसकी शुरुआत सोमवार से होने जा रही है.
1. आंदोलन के पहले चरण में 13 दिसंबर को 'शिक्षक उत्पीड़न दिवस' (teacher harassment day) के रूप में मनाकर सभी शिक्षक काला फीता बांधकर विरोध दर्ज करेंगे. 14 दिसंबर को ' विश्वविद्यालय अधिनियम रक्षा दिवस' (University Act Defense Day) के रूप में मनाया जाएगा तथा सभी शिक्षक काला फीता बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे. 15 दिसंबर को 'लखनऊ विश्वविद्यालय बचाओ दिवस' मनाया जाएगा.
2. आंदोलन के दूसरे चरण में लूटा एवं लूऑक्टा सरकार से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर संयुक्त रूप से 16 दिसंबर को काला फीता बांधकर सरस्वती वाटिका पर प्रदर्शन धरना करेंगे. 17 दिसंबर को लूटा के सभी शिक्षक उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री के आवास तक पैदल मार्च कर ज्ञापन सौंपेंगे. 18 दिसंबर को लूटा के सभी शिक्षक राजभवन तक मार्च निकालेंगे.
3. अधिष्ठाता कला संकाय को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से दी गई गोपनीय पत्र को सोशल मीडिया पर वायरल करने के लिए संबंधित व्यक्ति-व्यक्तियों पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा एफआईआर दर्ज कराने की सर्वसम्मति से मांग की गई. इस विषय पर इस बात की जांच कराने की बात कही गई कि गोपनीय पत्र आखिर क्यों और कैसे सार्वजनिक हुआ.
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