लखनऊ: राजधानी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी सरकारी विभागों के भवनों पर आगामी एक वर्ष के दौरान वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को स्थापित करने के निर्देश दिए हैं. भूजल सप्ताह के समापन अवसर पर सीएम योगी ने मंगलवार को गिरते भूजल स्तर को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भूजल बहुमूल्य एवं प्राकृतिक संसाधन है. जब हम दुनिया के परिपेक्ष में भूजल की बात करते हैं तो यूपी इस दृष्टि से अत्यंत समृद्धशाली एवं सौभाग्यशाली भी है. हमारे पास पर्याप्त मात्रा में भूगर्भ जल है और सरफेस वाटर की भी हमारे पास कमी नहीं है. लेकिन प्रकृति प्रदत्त इस अनमोल उपहार को किस रूप में उपयोग करना है, इसे समझना होगा. अगर हम इसका उपयोग कर रहे हैं तो इसके संरक्षण की भी चिंता हमें ही करना होगा.
20 सेमी प्रति वर्ष भूजल स्तर तक गिरावट
राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भूजल की स्थिति भयावह दिख रही है. पिछले तीन-चार दशकों के दौरान अत्यधिक मात्रा में भूजल दोहन के कारण प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यापक विषमता देखने को मिली है. अगर हम प्रदेश में देखें तो 287 विकासखंड में भू-जल 20 सेंटीमीटर तक की गिरावट प्रति वर्ष देखने को मिली है. यूपी के 77 विकासखंडों में आधा से एक मीटर तक भूजल में गिरावट प्रतिवर्ष देखने को मिली है. अगर हम भू-गर्भ जल विभाग के अध्ययन के नए आंकड़े देखें तो वो और भी चिंताजनक दिखाई देते हैं. राज्य के 82 विकास खंड अति दोहित की श्रेणी में हैं. 45 विकास खंड क्रिटिकल और 151 विकासखंड ऐसे हैं जो सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में वर्गीकृत किए गए हैं. साथ ही अतिदोहित विकास खंडों में भू-जल रिचार्ज की तुलना में 100 प्रतिशत से अधिक भू-जल दोहन किया जा रहा है.
खारा जल एवं आर्सेनिक फ्लोराइड की मात्रा बढ़ी
साल 2000 में राज्य के 20 विकासखण्ड अतिदोहित श्रेणी में थे. आज 129 विकास खंड अतिदोहित की श्रेणी में आ गए हैं. भूजल उपलब्धता सुरक्षित विकास खंडों की संख्या वर्ष 2000 में 745 थी. 2017 आते-आते मात्र 540 रह गयी है. यानि प्रदेश में भू-जल की उपलब्धता निरंतर कम हो रही है. साथ ही जल संसाधन पर दबाव चिंताजनक स्थिति में बढ़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भूजल के संरक्षण एवं उचित उपयोग हेतु आमजन की सहभागिता अत्यंत आवश्यक है. वहीं जिन क्षेत्रों में खारा जल एवं आर्सेनिक फ्लोराइड की मात्रा बढ़ी है, इसके पीछे का कारण भी भूजल का अतिदोहन है. यानी जब भी हम प्रकृति के इन उपहारों के साथ अपने स्वयं के स्वार्थों के लिए खिलवाड़ करेंगे, तो उसकी कीमत हमें इस रूप में चुकानी होगी.
पिछले तीन वर्षों में हुए अच्छे प्रयास
विगत तीन वर्ष के दौरान भूगर्भ जल स्तर के बारे में जो प्रयास प्रारंभ हुए हैं उसके कारण कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है. तालाबों का निर्माण एवं उनके रखरखाव, चेक डैम का निर्माण, सिंचाई में कम पानी खपत वाली विधियों को बढ़ावा दिया गया है. ड्रिप एवं स्प्रिंकलिंग सिंचाई जैसी विधियों पर कार्य हुआ है. यह एक अच्छी दिशा में बढ़ने वाला कार्य है, जिसके अच्छे परिणाम भी आ रहे हैं. सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में कई स्थानों पर भूजल के दूषित होने के मामले भी सामने आए हैं. प्रदेश में चरणबद्ध रूप से रिवरवेसिन को चिन्हित करके भूजल गुणवत्ता का परीक्षण कराया जाना है.