लखनऊ: प्रदेश में भूजल का स्तर काफी खराब हो चुका है. आगरा, गाजियाबाद से जौनपुर गाजीपुर समेत 20 जिलों में भूजल स्रोतों में खारे पानी की समस्या ने संकट खड़ा कर दिया है. लखनऊ का भूजल स्तर काफी खराब है. शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर पानी की बड़ी समस्या है.
प्रदेश सरकार की सक्रिय भूमिका से विगत 20 वर्षों से भूजल संकट से निपटने के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं लेकिन अपेक्षित परिणाम प्राप्त न हो पाने से भविष्य में नई सोच और संकल्प के साथ ठोस और प्रभावी रणनीति तय करना वर्तमान में सभी के लिए प्राथमिकता बन गई है. जागरूकता के लिए राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष 16 से 22 जुलाई तक भूजल सप्ताह मनाती है.
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प्रदेश में भूजल प्रबंधन और नियमन के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता के दृष्टिगत ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप वाटरएड इंडिया, राज्य भूजल विभाग की ओर से अन्य संस्थाओं के सहयोग से सोमवार को गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. इसमें स्वतंत्र देव सिंह, कैबिनेट मंत्री जल शक्ति मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार मुख्य अतिथि होंगे.
इस मौके पर जल संरक्षण के प्रति समर्पित पर्यावरणविद् प्रभा चतुर्वेदी की स्मृति में प्रख्यात भूजलविद डॉ. हिमांशु कुलकर्णी द्वारा 'भूजल प्रबंधन से सुशासन की ओर' विषय पर प्रथम स्मृति व्याख्यान दिया जाएगा. साथ ही भूजल संरक्षण पर जमीनी स्तर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले वाटर चैम्पियन्स को सम्मानित किया जाएगा.
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