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लखनऊ में कोरोना से हालात भयावह, बेड मांगने पर मिल रही मौत

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Published : Apr 29, 2021, 9:13 PM IST

लखनऊ में कोरोना मरीजों के लिए की गई व्यवस्था के सरकारी दावों की पोल खुली है. आरोप है कि यहां वीआईपी और जुगाड़ वालों को बेड उपलब्ध हो जा रहा है. वहीं आम मरीज को कोविड कंट्रोल रूम से सिर्फ आश्वसन मिल रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने चिकित्सकीय सेवाओं की पड़ताल के लिए गुरुवार को लोहिया संस्थान का जायजा लिया. पढ़िए एक रिपोर्ट...

ग्राउंड रिपोर्ट.
ग्राउंड रिपोर्ट.

लखनऊ: मुख्यमंत्री राज्य में भरपूर ऑक्सीजन और बेड के दावे कर रहे हैं. वहीं कोरोना मरीज जांच-इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. खासकर, लखनऊ के हालात भयावह हैं. आरोप है कि यहां वीआईपी और जुगाड़ वालों को अफसर पलक झपकते ही बेड उपलब्ध करा दे रहे हैं. वहीं आम मरीज को कोविड कंट्रोल रूम से सिर्फ आश्वसन मिल रहा है. लिहाजा बेड मांगते-मांगते ही मरीजों की घर पर सांसें रुक जा रही हैं.

ग्राउंड रिपोर्ट.

ईटीवी भारत की टीम ने चिकित्सकीय सेवाओं की पड़ताल के लिए गुरुवार को लोहिया संस्थान का जायजा लिया. यहां मरीजों की इलाज के अभाव में सांसें फूलती दिखीं. वहीं भटकते तीमारदार सरकारी दावों को कोसते नजर आए.

हर रोज किया फोन, बेड के बदले मिली मौत

उत्तरधौना निवासी दीपक कुमार ने बताया कि चार दिन पहले दादी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. दीपक ने बताया कि रोज कमांड सेंटर को कॉल की. इलाज के अभाव में ऑक्सीजन लेवल 60 पर आ गया. फिर कई बार फोन किया गया, मगर हर बार आश्वसन ही मिलता रहा. आखिर में बुधवार को घर पर दादी की मौत हो गई. आरोप है कि कमांड सेंटर में जुगाड़ और वीआईपी मरीजों को अफसर बेड एलॉट कर रहे हैं. आम मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है. दीपक ने बताया कि घर पर जांच टीम भी नहीं पहुंची. उन्होंने गुरुवार को लोहिया संस्थान पहुंचकर जांच कार्रवाई.

इसे भी पढ़ें- मोक्ष पाने के लिए जहां होती है मरने की चाहत, वहां जारी है जिंदा रहने की जद्दोजहद

ऑनलाइन बेड खाली, मरीज को नहीं दिया

अशोक कुमार के पुत्र अर्पित कुमार ने बताया कि पिता को कोरोना हो गया है. ऑनलाइन पीजीआई, केजीएमयू, लोहिया के कोविड अस्पताल में बेड खाली दिखा रहे थे. कोविड कमांड कंट्रोल रूम से लेकर अस्पतालों तक के चक्कर लगाए. सीएम को ट्विट किया. मगर, दो दिन से बेड नहीं मिला. पिता घर पर ही ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.

कागजों पर कोरोना के लिए पांच हजार बेड

राजधानी में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए कागजी आकंडें दुरुस्त हैं. यहां 47 कोविड अस्पताल बनाए गए हैं. इनमें कुल 5,478 बेड हैं. इसमें 2500 आइसोलेशन बेड हैं. 1904 एचडीयू बेड हैं. 1074 वेंटीलेटर बेड हैं.

इसे भी पढ़ें- शाबाश: कोरोना संक्रमित पिता की हुई मौत, बेटी ने दी मुखाग्नि

36 घंटे के बजाए 4-6 घंटे का ऑक्सीजन बैकअप

राजधानी में कोविड ही नहीं नॉन कोविड मरीजों के इलाज की आफत है. अस्पतालों में ऑक्सीजन का संकट चल रहा है. सीएम ने अस्पतालों में 36 घण्टे ऑक्सीजन बैकअप रखने का निर्देश दिया है. वहीं पीजीआई, लोहिया, केजीएमयू के कोविड अस्पताल को छोड़कर किसी अस्पताल में 36 घंटे का बैकअप नहीं है. प्राइवेट कोविड मेडिकल कॉलेज में 8 से 12 घंटे का बैकअप है. वहीं नर्सिंग होमों में 4 से 6 घण्टे की ऑक्सीजन रहती है. ऐसे में ऑक्सीजन वाले बेड पूरी तरह से रन नहीं कर पा रहे हैं. अस्पताल नए मरीज भर्ती नहीं कर रहे हैं. वहीं 33 कोविड अस्पतालों ने बेड का ब्यौरा ही नहीं दिया.

इमरजेंसी में तीन-चार दिन से कोविड मरीज

इमरजेंसी में आए गंभीर मरीजों का कोरोना टेस्ट किया जाता है. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें कोविड-19 अस्पताल में शिफ्ट किया जाता है. वहीं लोहिया में 20 मरीज, सिविल में 15 मरीज, ट्रॉमा सेंटर में 30 मरीज कोविड पॉजिटिव भर्ती हैं. मगर तीन से चार दिन बीत जाने के बाद भी उन्हें कोविड अस्पताल में शिफ्ट ही नहीं किया गया है.

हर जनपद के सीएमओ को कड़े निर्देश हैं. गंभीर मरीजों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराएं. वहीं ऑनलाइन बेड का ब्योरा सुबह-शाम अपडेट कराएं. लापरवाही करने वाले अफसरों पर कार्रवाई होगी.

डॉ. डीएस नेगी, डीजी हेल्थ

लखनऊ: मुख्यमंत्री राज्य में भरपूर ऑक्सीजन और बेड के दावे कर रहे हैं. वहीं कोरोना मरीज जांच-इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. खासकर, लखनऊ के हालात भयावह हैं. आरोप है कि यहां वीआईपी और जुगाड़ वालों को अफसर पलक झपकते ही बेड उपलब्ध करा दे रहे हैं. वहीं आम मरीज को कोविड कंट्रोल रूम से सिर्फ आश्वसन मिल रहा है. लिहाजा बेड मांगते-मांगते ही मरीजों की घर पर सांसें रुक जा रही हैं.

ग्राउंड रिपोर्ट.

ईटीवी भारत की टीम ने चिकित्सकीय सेवाओं की पड़ताल के लिए गुरुवार को लोहिया संस्थान का जायजा लिया. यहां मरीजों की इलाज के अभाव में सांसें फूलती दिखीं. वहीं भटकते तीमारदार सरकारी दावों को कोसते नजर आए.

हर रोज किया फोन, बेड के बदले मिली मौत

उत्तरधौना निवासी दीपक कुमार ने बताया कि चार दिन पहले दादी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. दीपक ने बताया कि रोज कमांड सेंटर को कॉल की. इलाज के अभाव में ऑक्सीजन लेवल 60 पर आ गया. फिर कई बार फोन किया गया, मगर हर बार आश्वसन ही मिलता रहा. आखिर में बुधवार को घर पर दादी की मौत हो गई. आरोप है कि कमांड सेंटर में जुगाड़ और वीआईपी मरीजों को अफसर बेड एलॉट कर रहे हैं. आम मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है. दीपक ने बताया कि घर पर जांच टीम भी नहीं पहुंची. उन्होंने गुरुवार को लोहिया संस्थान पहुंचकर जांच कार्रवाई.

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ऑनलाइन बेड खाली, मरीज को नहीं दिया

अशोक कुमार के पुत्र अर्पित कुमार ने बताया कि पिता को कोरोना हो गया है. ऑनलाइन पीजीआई, केजीएमयू, लोहिया के कोविड अस्पताल में बेड खाली दिखा रहे थे. कोविड कमांड कंट्रोल रूम से लेकर अस्पतालों तक के चक्कर लगाए. सीएम को ट्विट किया. मगर, दो दिन से बेड नहीं मिला. पिता घर पर ही ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.

कागजों पर कोरोना के लिए पांच हजार बेड

राजधानी में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए कागजी आकंडें दुरुस्त हैं. यहां 47 कोविड अस्पताल बनाए गए हैं. इनमें कुल 5,478 बेड हैं. इसमें 2500 आइसोलेशन बेड हैं. 1904 एचडीयू बेड हैं. 1074 वेंटीलेटर बेड हैं.

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36 घंटे के बजाए 4-6 घंटे का ऑक्सीजन बैकअप

राजधानी में कोविड ही नहीं नॉन कोविड मरीजों के इलाज की आफत है. अस्पतालों में ऑक्सीजन का संकट चल रहा है. सीएम ने अस्पतालों में 36 घण्टे ऑक्सीजन बैकअप रखने का निर्देश दिया है. वहीं पीजीआई, लोहिया, केजीएमयू के कोविड अस्पताल को छोड़कर किसी अस्पताल में 36 घंटे का बैकअप नहीं है. प्राइवेट कोविड मेडिकल कॉलेज में 8 से 12 घंटे का बैकअप है. वहीं नर्सिंग होमों में 4 से 6 घण्टे की ऑक्सीजन रहती है. ऐसे में ऑक्सीजन वाले बेड पूरी तरह से रन नहीं कर पा रहे हैं. अस्पताल नए मरीज भर्ती नहीं कर रहे हैं. वहीं 33 कोविड अस्पतालों ने बेड का ब्यौरा ही नहीं दिया.

इमरजेंसी में तीन-चार दिन से कोविड मरीज

इमरजेंसी में आए गंभीर मरीजों का कोरोना टेस्ट किया जाता है. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें कोविड-19 अस्पताल में शिफ्ट किया जाता है. वहीं लोहिया में 20 मरीज, सिविल में 15 मरीज, ट्रॉमा सेंटर में 30 मरीज कोविड पॉजिटिव भर्ती हैं. मगर तीन से चार दिन बीत जाने के बाद भी उन्हें कोविड अस्पताल में शिफ्ट ही नहीं किया गया है.

हर जनपद के सीएमओ को कड़े निर्देश हैं. गंभीर मरीजों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराएं. वहीं ऑनलाइन बेड का ब्योरा सुबह-शाम अपडेट कराएं. लापरवाही करने वाले अफसरों पर कार्रवाई होगी.

डॉ. डीएस नेगी, डीजी हेल्थ

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