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शिक्षा नीति 2020 से संस्कृत की प्रासंगिकता को मिल सकती है नई दिशा: राज्यपाल आनंदीबेन

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को राजभवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दो वेबिनार को संबोधित किया. उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 संस्कृत भाषा के सन्दर्भ में परिचर्चा’ विषयक वेबिनार को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत हमारी वैचारिक परम्परा, जीवन दर्शन, मूल्यों और सूक्ष्म चिन्तन की वाहिनी है.

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Published : Sep 6, 2020, 6:31 PM IST

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आनंदीबेन पटेल

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 संस्कृत भाषा के सन्दर्भ में परिचर्चा’ विषयक वेबिनार को राजभवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि संस्कृत वस्तुतः हमारी संस्कृति का मेरूदण्ड है, जिसने सहस्त्रों वर्षों से हमारी अनूठी भारतीय संस्कृति को न केवल सुरक्षित रखा है, बल्कि उसका संवर्धन तथा पोषण भी किया है.

उन्होंने कहा कि संस्कृत अपने विशाल साहित्य, लोकहित की भावना तथा उपसर्गों के द्वारा नये-नये शब्दों के निर्माण क्षमता के कारण आज भी अजर-अमर है. यह भाषा हमारी वैचारिक परम्परा, जीवन दर्शन, मूल्यों और सूक्ष्म चिन्तन की वाहिनी है.

राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भाषा को नई शिक्षा नीति में विशेष स्थान प्राप्त हुआ है. नई शिक्षा नीति के अंतर्गत संस्कृत की प्रासंगिकता को नई दिशा मिल सकती है. उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में अब त्रिभाषा सूत्र चलेगा. इसमें संस्कृत के साथ तीन अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा. इससे आज की युवा पीढ़ी संस्कृत भाषा के अध्ययन-अध्यापन से लाभान्वित होगी.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के सम्पूर्ण क्रियान्वयन एवं सफलता का उत्तरदायित्व शिक्षकों एवं ज्ञानसाधकों पर है. उन्होंने कहा कि इस नीति में सराहने लायक ढेर सारी बातें हैं, जिनका देश को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिहाज से कौशल संपन्न बनाने पर केद्रित है. शिक्षकगणों का आह्वान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि वे खुली विचारधारा के साथ इसमें विद्यार्थियों का सहयोग करेंगे तो हम एक नई कार्य संस्कृति बनाने में अवश्य सफल होंगे. वैश्विक मांग के अनुसार युवाओं को कौशल सम्पन्न और दक्ष बना सकेंगे.

उन्होंने कहा कि तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया में एक ही व्यवसाय में जीवन भर टिका रहना अब सब के लिए संभव नहीं है. नीति का यह पहलू युवाओं को निरंतर कौशल उन्नयन और परिवर्तन के लिए सक्षम बनाएगा.

वहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज एक दूसरे कार्यक्रम उद्भव सोशल वेलफेयर सोसाइटी बरेली द्वारा आयोजित ‘कोविड-19 महामारी एवं शिक्षक की भूमिका’ विषयक वेबिनार को राजभवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षक का दर्जा समाज में सदैव से ही पूजनीय रहा है. शिक्षक एक शिल्पकार के रूप में अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है. शिक्षक ही समाज की आधारशिला है. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक अपने जीवन के अन्त तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को सही राह दिखाता रहता है. एक गुरु और शिक्षक अपने विद्यार्थियों को हर परिस्थिति और समस्याओं से निपटने की राह भी दिखाता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 संस्कृत भाषा के सन्दर्भ में परिचर्चा’ विषयक वेबिनार को राजभवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि संस्कृत वस्तुतः हमारी संस्कृति का मेरूदण्ड है, जिसने सहस्त्रों वर्षों से हमारी अनूठी भारतीय संस्कृति को न केवल सुरक्षित रखा है, बल्कि उसका संवर्धन तथा पोषण भी किया है.

उन्होंने कहा कि संस्कृत अपने विशाल साहित्य, लोकहित की भावना तथा उपसर्गों के द्वारा नये-नये शब्दों के निर्माण क्षमता के कारण आज भी अजर-अमर है. यह भाषा हमारी वैचारिक परम्परा, जीवन दर्शन, मूल्यों और सूक्ष्म चिन्तन की वाहिनी है.

राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भाषा को नई शिक्षा नीति में विशेष स्थान प्राप्त हुआ है. नई शिक्षा नीति के अंतर्गत संस्कृत की प्रासंगिकता को नई दिशा मिल सकती है. उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में अब त्रिभाषा सूत्र चलेगा. इसमें संस्कृत के साथ तीन अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा. इससे आज की युवा पीढ़ी संस्कृत भाषा के अध्ययन-अध्यापन से लाभान्वित होगी.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के सम्पूर्ण क्रियान्वयन एवं सफलता का उत्तरदायित्व शिक्षकों एवं ज्ञानसाधकों पर है. उन्होंने कहा कि इस नीति में सराहने लायक ढेर सारी बातें हैं, जिनका देश को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिहाज से कौशल संपन्न बनाने पर केद्रित है. शिक्षकगणों का आह्वान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि वे खुली विचारधारा के साथ इसमें विद्यार्थियों का सहयोग करेंगे तो हम एक नई कार्य संस्कृति बनाने में अवश्य सफल होंगे. वैश्विक मांग के अनुसार युवाओं को कौशल सम्पन्न और दक्ष बना सकेंगे.

उन्होंने कहा कि तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया में एक ही व्यवसाय में जीवन भर टिका रहना अब सब के लिए संभव नहीं है. नीति का यह पहलू युवाओं को निरंतर कौशल उन्नयन और परिवर्तन के लिए सक्षम बनाएगा.

वहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज एक दूसरे कार्यक्रम उद्भव सोशल वेलफेयर सोसाइटी बरेली द्वारा आयोजित ‘कोविड-19 महामारी एवं शिक्षक की भूमिका’ विषयक वेबिनार को राजभवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षक का दर्जा समाज में सदैव से ही पूजनीय रहा है. शिक्षक एक शिल्पकार के रूप में अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है. शिक्षक ही समाज की आधारशिला है. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक अपने जीवन के अन्त तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को सही राह दिखाता रहता है. एक गुरु और शिक्षक अपने विद्यार्थियों को हर परिस्थिति और समस्याओं से निपटने की राह भी दिखाता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है.

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