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थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार : पर्यटन मंत्री

नई दिल्ली स्थित दीनदयाल शोध संस्थान को थारू जनजाति के संस्कृति संग्रहालय इमलिया कोडर की जिम्मेदारी दी गई है. संग्रहालय में जनजाति संस्कृति पर्यटन ग्रामीण संस्कृति पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण, खान-पान, पोशाक, पारंपरिक खेलों का संरक्षण, पारंपरिक स्थानीय कारीगरी का संरक्षण आदि किया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 6, 2023, 12:15 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में थारू जनजाति से जुड़े सभी चीजों को संरक्षित करने व उसके बारे में दुनिया को जानकारी देने के लिए बलरामपुर के इमलिया कोडर में थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय का निर्माण किया गया है. थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय लोक कला संस्कृति एवं शिल्प के क्षेत्र में शोध के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ जनजाति कला एवं संस्कृति को पुनर्जीवित कर संरक्षित करेगा. यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी है. सोमवार को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग में आयोजित थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय इमलिया कोडर बलरामपुर के विकास के लिए संस्कृति विभाग और दीनदयाल शोध संस्थान नई दिल्ली के बीच एक एमओयू साइन किया गया.

थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.
थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.
थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.
थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.

संग्रहालय विलुप्त होती लोक संस्कृति, संस्कृति विधाओं, लुप्तप्राय कला रूपों, लोक रूपों तथा लोक संस्कृति के विविध पक्षों का संरक्षण व अभिलेखी कारण करेगा. साथ ही इस संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाने के लिए प्रदर्श दान, उपहार आदि प्राप्त किए जा सकेंगे तथा योगदान कर्ताओं के नाम संग्रहालय में अंकित किए जाएंगे. साथ ही थारू जनजाति संग्रहालय में जनजाति संस्कृति पर्यटन ग्रामीण संस्कृति पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण, खान-पान, पोशाक, पारंपरिक खेलों का संरक्षण, पारंपरिक स्थानीय कारीगरी का संरक्षण आदि किया जाएगा.

थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.
थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.

दीनदयाल शोध संस्थान नई दिल्ली के महासचिव अतुल जैन ने कहा कि कार्यों के इतिहास को पुनर्जीवित करने तथा उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता वक्त करने का यह एक अच्छा माध्यम है. उन्होंने दीनदयाल संस्थान पर भरोसा करने के लिए राज्य सरकार का आभार जताया. प्रबंध निदेशक अश्वनी कुमार पांडे ने थारू जनजाति के योगदान की सराहना की. उन्होंने कहा कि इस संग्रहालय के माध्यम से न केवल थारू जनजाति के बारे में लोगों को पता चलेगा. बल्कि संग्रहालय इस जनजाति पर शोध करने का भी एक बेहतर माध्यम मुहैया कराएगा.

यह भी पढ़ें : सीएम योगी आदित्यनाथ दो दिवसीय दौरे पर बलरामपुर पहुंचे, अस्पताल का निरीक्षण कर थारू जनजाति के छात्रों से मिले

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पानी के बीच से गुजरते हैं थारू जनजाति के लोग

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थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.
थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.
थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.
थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.

संग्रहालय विलुप्त होती लोक संस्कृति, संस्कृति विधाओं, लुप्तप्राय कला रूपों, लोक रूपों तथा लोक संस्कृति के विविध पक्षों का संरक्षण व अभिलेखी कारण करेगा. साथ ही इस संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाने के लिए प्रदर्श दान, उपहार आदि प्राप्त किए जा सकेंगे तथा योगदान कर्ताओं के नाम संग्रहालय में अंकित किए जाएंगे. साथ ही थारू जनजाति संग्रहालय में जनजाति संस्कृति पर्यटन ग्रामीण संस्कृति पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण, खान-पान, पोशाक, पारंपरिक खेलों का संरक्षण, पारंपरिक स्थानीय कारीगरी का संरक्षण आदि किया जाएगा.

थारू जनजाति के संघर्ष, जीवन शैली और इतिहास को संरक्षित करेगी सरकार.
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दीनदयाल शोध संस्थान नई दिल्ली के महासचिव अतुल जैन ने कहा कि कार्यों के इतिहास को पुनर्जीवित करने तथा उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता वक्त करने का यह एक अच्छा माध्यम है. उन्होंने दीनदयाल संस्थान पर भरोसा करने के लिए राज्य सरकार का आभार जताया. प्रबंध निदेशक अश्वनी कुमार पांडे ने थारू जनजाति के योगदान की सराहना की. उन्होंने कहा कि इस संग्रहालय के माध्यम से न केवल थारू जनजाति के बारे में लोगों को पता चलेगा. बल्कि संग्रहालय इस जनजाति पर शोध करने का भी एक बेहतर माध्यम मुहैया कराएगा.

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