लखनऊ: लॉकडाउन के बाद उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उद्योगों के पुनर्संचालन और राज्य में नए निवेश को आकर्षित करने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब निवेशकों की सुविधा, निवेश परियोजनाओं की ट्रैकिंग तथा त्वरित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन अनुश्रवण तंत्र स्थापित किया है. इससे प्रदेश में मौजूद उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा साथ ही निवेशकों को भी मदद मिलेगी.
मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि प्रदेश सरकार की नीतियों के फलस्वरुप प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए देश-विदेश के निवेशकों से निरंतर प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं. प्रदेश में स्थापित की जा रही निवेश परियोजनाओं के जीवन चक्र का अधिक प्रभावी अनुश्रवण किए जाने की आवश्यकता है. इसके दृष्टिगत निवेश परियोजनाओं को और अधिक प्रगति से धरातल पर लाए जाने के लिए एक नवीन एवं प्रभावी तंत्र विकसित किया गया है. इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए.
मुख्य सचिव ने यह निर्देश अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त कृषि उत्पादन आयुक्त समस्त अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव सचिव तथा सभी मंडल आयुक्तों को परिपत्र निर्गत कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि उद्योगों और निवेशकों तथा उत्तर प्रदेश शासन के मध्य उद्योग बंधु को एक सेतु अथवा इंटरफेस की भांति कार्य करने तथा संबंधित विभागों की भी और अधिक सक्रियता से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे. यह विभाग अपने विषय ज्ञान के साथ-साथ राज्य में निवेशकों के लिए समग्र दृष्टिकोण का उपयोग करके महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं.
मुख्य सचिव ने कहा कि निवेशकों के साथ हस्ताक्षरित होने वाले समस्त एमओयू को उनके क्षेत्र एवं सेक्टर के अनुसार संबंधित विभागों को आवंटित किए जाएं. संबंधित विभाग इन एमओयू के क्रियान्वयन के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेंगे. जिन विभागों के एमओयू में प्रस्तावित निवेश की संख्या एवं कुल धनराशि एक लाख करोड़ हो अथवा एमओयू की संख्या 200 से अधिक हो, उन विभागों में एमओयू के क्रियान्वयन के लिए एक प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. साथ ही जिन विभागों में संबंधित एमओयू की संख्या प्रस्तावित निवेश की धनराशि एक लाख करोड़ से कम हो उन विभागों में संबंधित अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिव की अध्यक्षता में एमओयू अनुश्रवण प्रकोष्ठ स्थापित कराए जाएंगे.
इन प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट और एमओयू अनुश्रवण प्रकोष्ठ को हर महीने में कम से कम एक बैठक अवश्य करनी होगी. इसके साथ ही एमओयू के लिए निवेश को सुगम बनाने के लिए एक विभागीय नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने के भी निर्देश दिए गये हैं.