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लॉकडाउन: झुग्गियों में रहने वालों का हाल बेहाल, नहीं पहुंच रही सरकारी मदद - बिलाल घाट के पास झुग्गी-झोपड़ियां

राजधानी लखनऊ में गोमती नदी किनारे बिलाल घाट के पास झुग्गियों में रहने वाले लोगों तक सरकार की कोई सहायता नहीं पहुंच रही है. इन झुग्गियों में रहने वाले लोग अपनी जीविका चलाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं.

लखनऊ में गरीब मजदूरों तक नहीं पहुंच रही मदद.
लखनऊ में गरीब मजदूरों तक नहीं पहुंच रही मदद.
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Published : Apr 12, 2020, 8:59 AM IST

लखनऊ: 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान के बाद से तमाम लोगों को राशन की और रोजगार की समस्याएं हो रही हैं. ऐसे में निम्न वर्ग के लोगों के लिए प्रदेश की सरकार ने प्रशासन के द्वारा उनको हर संभव मदद करने का वादा किया. जिसमें रेहड़ी, पटरी, दैनिक मजदूरी और रिक्शा चालक सहित तमाम जरूरतमंद लोगों के लिए और झुग्गी झोपड़ियों में जीवन व्यतीत कर रहे उन लोगों के लिए सरकार की तरफ से खाना, राशन और कोरोना वायरस से बचाव के लिए तमाम चीजों को वितरण करने की योजना बनाई.

लखनऊ में गरीब मजदूरों तक नहीं पहुंच रही मदद.

बता दें कि इन सभी योजनाओं का लाभ गोमती नदी किनारे बिलाल घाट के पास इन झुग्गियों में नहीं पहुंच पा रही है. इन झुग्गियों में रहने वाले लोग अपनी जीविका चलाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं.

गरीब मजदूरों तक नहीं पहुंच रही मदद
देश में लॉक डाउन के दौरान सबसे बड़ी मार झेल रहे निम्न वर्ग के लोगों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद करने की बात कही गई थी, लेकिन जिम्मेदारान अधिकारियों की वजह से गरीब और असहाय मजदूरों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है.

गरीबों और झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के लिए प्रशासन की तरफ से लखनऊ में 10 कम्युनिटी किचन बनवाए गए हैं. जिससे लोगों तक आसानी से खाना, लोगों तक राशन पहुंच सके. साथ ही झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए नगर निगम के द्वारा सैनिटाइजर मशीन से पूरी बस्ती को सेनिटाइज करने की भी योजना बनाई गई थी, लेकिन इन झुग्गी झोपड़ियों में सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिल रही है.

केवल बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में होता है सैनिटाइजेशन

झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों ने कहा कि उनकी तरफ न कोई लंच बांटने के लिए आता है न ही राशन लेकर आता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ दिन पहले एक-दो बार लेकर आइ थे, उसके बाद किसी ने यहां आकर नहीं पूछा.

यहां के लोगों का कहना है कि नगर निगम की तरफ से सैनिटाइजिंग मशीनें बड़ी- बड़ी बिल्डिंगों में सैनिटाइजेशन करके चली जाती हैं. स्थानीयों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि झुग्गी झोपड़ियों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है. उनका कहना है कि न ही पीने के लिए पानी है और न ही लॉकडाउन की वजह से पैसे कमा पा रहे हैं, जो भी रकम बचा के रखे थे वह भी अब खत्म होने लगी है, ऐसे में अब वो करें तो क्या करें.

लखनऊ: 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान के बाद से तमाम लोगों को राशन की और रोजगार की समस्याएं हो रही हैं. ऐसे में निम्न वर्ग के लोगों के लिए प्रदेश की सरकार ने प्रशासन के द्वारा उनको हर संभव मदद करने का वादा किया. जिसमें रेहड़ी, पटरी, दैनिक मजदूरी और रिक्शा चालक सहित तमाम जरूरतमंद लोगों के लिए और झुग्गी झोपड़ियों में जीवन व्यतीत कर रहे उन लोगों के लिए सरकार की तरफ से खाना, राशन और कोरोना वायरस से बचाव के लिए तमाम चीजों को वितरण करने की योजना बनाई.

लखनऊ में गरीब मजदूरों तक नहीं पहुंच रही मदद.

बता दें कि इन सभी योजनाओं का लाभ गोमती नदी किनारे बिलाल घाट के पास इन झुग्गियों में नहीं पहुंच पा रही है. इन झुग्गियों में रहने वाले लोग अपनी जीविका चलाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं.

गरीब मजदूरों तक नहीं पहुंच रही मदद
देश में लॉक डाउन के दौरान सबसे बड़ी मार झेल रहे निम्न वर्ग के लोगों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद करने की बात कही गई थी, लेकिन जिम्मेदारान अधिकारियों की वजह से गरीब और असहाय मजदूरों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है.

गरीबों और झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के लिए प्रशासन की तरफ से लखनऊ में 10 कम्युनिटी किचन बनवाए गए हैं. जिससे लोगों तक आसानी से खाना, लोगों तक राशन पहुंच सके. साथ ही झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए नगर निगम के द्वारा सैनिटाइजर मशीन से पूरी बस्ती को सेनिटाइज करने की भी योजना बनाई गई थी, लेकिन इन झुग्गी झोपड़ियों में सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिल रही है.

केवल बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में होता है सैनिटाइजेशन

झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों ने कहा कि उनकी तरफ न कोई लंच बांटने के लिए आता है न ही राशन लेकर आता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ दिन पहले एक-दो बार लेकर आइ थे, उसके बाद किसी ने यहां आकर नहीं पूछा.

यहां के लोगों का कहना है कि नगर निगम की तरफ से सैनिटाइजिंग मशीनें बड़ी- बड़ी बिल्डिंगों में सैनिटाइजेशन करके चली जाती हैं. स्थानीयों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि झुग्गी झोपड़ियों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है. उनका कहना है कि न ही पीने के लिए पानी है और न ही लॉकडाउन की वजह से पैसे कमा पा रहे हैं, जो भी रकम बचा के रखे थे वह भी अब खत्म होने लगी है, ऐसे में अब वो करें तो क्या करें.

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