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राज्यपाल की पुस्तक चरैवति, चरैवेति के हुआ सिंधी विमोचन - governer Ram naik

प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति चरैवेति’ के सिंधी भाषा में अनुवाद ‘हलंदा हलो’ का विमोचन किया गया. लखनऊ के आलमबाग शिव शांति संत आसूदाराम आश्रम में पुस्तक का विमोचन किया गया. विमोचन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपस्थित रहे.उन्होंने कहा कि यह पुस्तक कर्म करने की प्रेरणा देती है.

राज्यपाल राम नाईक
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Published : Feb 22, 2019, 12:06 AM IST

लखनऊ :उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईककी पुस्तक ‘चरैवेतिचरैवेति’ के सिंधी भाषा में अनुवाद ‘हलंदाहलो’ का विमोचन आलमबाग स्थित शिव शांति संत आसूदाराम आश्रम में किया गया.इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपस्थित थे.

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राज्यपाल की पुस्तक चरैवति, चरैवेति के हुआ सिंधी विमोचन

कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक मेरे संस्मरणों का संकलन है, आत्मकथा नहीं.‘चरैवेतिचरैवेति’ का अर्थ है ‘चलते रहो, चलते रहो’.इस पुस्तक का लेखन कैसे हुआ इस बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मराठी भाषा के एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक ने मुझे अपने जीवन से जुड़े अनुभव लिखने हेतु प्रेरित किया.मैंने सम्पादक से कहा कि मैं काॅमर्स का छात्र रहा हूं तथा लेखन कला की मुझे अधिक जानकारी भी नहीं है.सम्पादक महोदय ने आग्रह कर बताया कि अनेक नेता अपने संस्मरण लिख रहे हैं. वरिष्ठ राजनेता होने के कारण यदि आप भी अपने सस्मरण लिखेंगे तो पाठकों को अच्छा लगेगा.

राज्यपाल ने बताया कि मैंने थोड़ा सोचा फिर लिखने के लिए हां कर दी.मेरे लेख समाचार पत्र में प्रकाशित होने लगे.एक वर्ष तक 27 संस्मरणों की श्रृंखला प्रकाशित होने के पश्चात् मराठी भाषा में इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया.

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मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन के संस्मरण लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं.उन्होंने कहा कि यह पुस्तक कर्म करने की प्रेरणा देती है.सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले सभी कार्यकर्ताओं के लिए यह पुस्तक अनुकरणीय है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राष्ट्र गान में सिंध शब्द है, हमारे यहां सिंधु नदी भी बहती है.भारत की संस्कृति का मूल सिंध है, सिंध से ही हिंद बना है, सही मायने में कहा जाए तो सिंधी नहीं तो हिंदी नहीं है.सिंधी समाज की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब भी व्यक्ति अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से मार्ग बनाता है. यश और कीर्ति उसके पीछे-पीछे चलती है.सिंधी समाज ने तमाम कष्टों को सहते हुए अपनी मेहनत से जो सम्मान प्राप्त किया है. वह अभिनंदनीय है.ज्ञातव्य है कि पुस्तक ‘चरैवेतिचरैवेति’ का सिंधी भाषा में अनुवाद सुखराम दास ने किया है.अब तक यह पुस्तक 7 भाषाओं में अनुदित हो चुकी है.आने वाले समय में 10 भाषाओं में यह पुस्तक उपलब्ध रहेगी.

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लखनऊ :उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईककी पुस्तक ‘चरैवेतिचरैवेति’ के सिंधी भाषा में अनुवाद ‘हलंदाहलो’ का विमोचन आलमबाग स्थित शिव शांति संत आसूदाराम आश्रम में किया गया.इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपस्थित थे.

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राज्यपाल की पुस्तक चरैवति, चरैवेति के हुआ सिंधी विमोचन

कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक मेरे संस्मरणों का संकलन है, आत्मकथा नहीं.‘चरैवेतिचरैवेति’ का अर्थ है ‘चलते रहो, चलते रहो’.इस पुस्तक का लेखन कैसे हुआ इस बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मराठी भाषा के एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक ने मुझे अपने जीवन से जुड़े अनुभव लिखने हेतु प्रेरित किया.मैंने सम्पादक से कहा कि मैं काॅमर्स का छात्र रहा हूं तथा लेखन कला की मुझे अधिक जानकारी भी नहीं है.सम्पादक महोदय ने आग्रह कर बताया कि अनेक नेता अपने संस्मरण लिख रहे हैं. वरिष्ठ राजनेता होने के कारण यदि आप भी अपने सस्मरण लिखेंगे तो पाठकों को अच्छा लगेगा.

राज्यपाल ने बताया कि मैंने थोड़ा सोचा फिर लिखने के लिए हां कर दी.मेरे लेख समाचार पत्र में प्रकाशित होने लगे.एक वर्ष तक 27 संस्मरणों की श्रृंखला प्रकाशित होने के पश्चात् मराठी भाषा में इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया.

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मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन के संस्मरण लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं.उन्होंने कहा कि यह पुस्तक कर्म करने की प्रेरणा देती है.सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले सभी कार्यकर्ताओं के लिए यह पुस्तक अनुकरणीय है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राष्ट्र गान में सिंध शब्द है, हमारे यहां सिंधु नदी भी बहती है.भारत की संस्कृति का मूल सिंध है, सिंध से ही हिंद बना है, सही मायने में कहा जाए तो सिंधी नहीं तो हिंदी नहीं है.सिंधी समाज की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब भी व्यक्ति अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से मार्ग बनाता है. यश और कीर्ति उसके पीछे-पीछे चलती है.सिंधी समाज ने तमाम कष्टों को सहते हुए अपनी मेहनत से जो सम्मान प्राप्त किया है. वह अभिनंदनीय है.ज्ञातव्य है कि पुस्तक ‘चरैवेतिचरैवेति’ का सिंधी भाषा में अनुवाद सुखराम दास ने किया है.अब तक यह पुस्तक 7 भाषाओं में अनुदित हो चुकी है.आने वाले समय में 10 भाषाओं में यह पुस्तक उपलब्ध रहेगी.

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राज्यपाल की पुस्तक चरैवेति, चरैवेति के सिंधी भाषा में अनुवाद ‘हलंदा! हलो!’ का विमोचन हुआ 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक जी की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!’ के सिंधी भाषा में अनुवाद ‘हलंदा! हलो!’ का विमोचन आज यहां आलमबाग स्थित शिव शांति संत आसूदाराम आश्रम में किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी उपस्थित थे। 
कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक मेरे संस्मरणों का संकलन है, आत्मकथा नहीं। ‘चरैवेति! चरैवेति!’ का अर्थ है ‘चलते रहो, चलते रहो’। इस पुस्तक का लेखन कैसे हुआ इस बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मराठी भाषा के एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक ने मुझे अपने जीवन से जुड़े अनुभव लिखने हेतु प्रेरित किया। मैंने सम्पादक से कहा कि मैं काॅमर्स का छात्र रहा हूं तथा लेखन कला की मुझे अधिक जानकारी भी नहीं है। सम्पादक महोदय ने आग्रह कर बताया कि अनेक नेता अपने संस्मरण लिख रहे हैं। वरिष्ठ राजनेता होने के कारण यदि आप भी अपने सस्मरण लिखेंगे तो पाठकों को अच्छा लगेगा। 
राज्यपाल ने बताया कि मैंने थोड़ा सोचा फिर लिखने के लिए हां कर दी। मेरे लेख समाचार पत्र में प्रकाशित होने लगे। एक वर्ष तक 27 संस्मरणों की श्रृंखला प्रकाशित होने के पश्चात् मराठी भाषा में इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया।
मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन के संस्मरण लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक कर्म करने की प्रेरणा देती है। सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले सभी कार्यकर्ताओं के लिए यह पुस्तक अनुकरणीय है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राष्ट्र गान में सिंध शब्द है, हमारे यहां सिंधु नदी भी बहती है। भारत की संस्कृति का मूल सिंध है, सिंध से ही हिंद बना है, सही मायने में कहा जाए तो सिंधी नहीं तो हिंदी नहीं है। सिंधी समाज की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब भी व्यक्ति अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से मार्ग बनाता है यश और कीर्ति उसके पीछे-पीछे चलती है। सिंधी समाज ने तमाम कष्टों को सहते हुए अपनी मेहनत से जो सम्मान प्राप्त किया है वह अभिनंदनीय है। ज्ञातव्य है कि पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!’ का सिंधी भाषा में अनुवाद सुखराम दास ने किया है। अब तक यह पुस्तक 7 भाषाओं में अनुदित हो चुकी है। आने वाले समय में 10 भाषाओं में यह पुस्तक उपलब्ध रहेगी।
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