लखनऊ : बुलेट मोटरसाइकल का साइलेंसर बदलवा कर पटाखे की आवाज निकालना, कार के ग्लास जेड ब्लैक कराना, फैंसी हॉर्न, किसी भी तरह की डिजाइनर नंबर प्लेट लगवानी हो तो राजधानी के बीचोबीच स्थित इस बाजार में सब कुछ मिल जाएगा. इस बाजार की अधिकतर दुकानों में मोटर व्हीकल एक्ट के विपरीत कई तरह के उपकरण खुलेआम बिकते हैं. यहां उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से लोग अपने वाहन मोडिफाइड करवाने आते हैं.
राजधानी की लालबाग बाजार यहां किसी भी दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहन के सभी पार्ट्स आसानी से मिलते हैं. आप खस्ताहाल में अपनी गाड़ी लाइए और चंद घंटों में चमचमाती गाड़ी ले जाइए. हालांकि इसकी आड़ में इस बाजार में वह सब भी बिकता है जो वाहन में लगवाना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. बावजूद इसके यहां धड़ल्ले से बेचा और खरीदा जा रहा है. ईटीवी भारत टीम ने लालबाग बाजार में जाकर यह जानने की कोशिश की कि वहां कौन-कौन से प्रतिबंधित पार्ट्स व साजसज्जा के सामान बिकते हैं.
ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले हजरतगंज कोतवाली के सामने स्थित कार बाजार में पहुंची. दुकान में मौजूद मालिक पूजा कर रहा था. हमने कहा कि हमारी सफारी गाड़ी के सभी ग्लास में ब्लैक फ़िल्म लगनी है, क्या लग जाएगी? दुकान के मालिक ने नौकर से दिखाने को कहा. नौकर फैजान ने पूछा किस तरह की चाहिए 35%, 50% या 75%. हमने कहा कि वो फिल्म लगा दो जिस पर चालान न हो तो उसने जवाब दिया चालान तो सभी तरह की फिल्म लगाने पर होता है. आपको लगवानी कौन सी है. हमने ऐसी ब्लैक फिल्म लगाने के लिए कहा, जिसमें बाहर से अंदर का कुछ भी न दिखे. फैजान ने 75% वाली लगवाने की सलाह दी और आठ सौ रुपये बता दिए. हमने बाकी फिल्म के रेट पूछे तो 35% के 600 व 50% के 700 रुपये बताए. बहरहाल बता दें, ब्लैक फिल्म गाड़ी में लगे होने कारण अंदर बैठे शख्स के बारे में जानकारी नहीं लगती है. चालक ने सीट बेल्ट पहना है कि नहीं, पता नहीं चलता. कई बार इसका फायदा उठाकर आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है. इसके लिए 100/2 मोटर एक्ट 177 के तहत 200 रुपये के चालान का प्रावधान है.
इसके बाद ईटीवी भारत की टीम फैंसी हॉर्न (fancy horn) लगवाने के लिए लालबाग में ही दूसरी दुकान में जाकर बातचीत की. हमें कई तरह के हॉर्न दिखाए गए, जिसमें क्रेटा हॉर्न, प्रेसर हॉर्न, विंडटोन हॉर्न, सुपरलाउड हॉर्न व सांग हॉर्न थे. इनकी प्रति जोड़ा 12 सौ से लेकर 2 हजार रुपये कीमत बताई गई. हमने पूछा कितनी तेज बोलेगा, दुकानदार ने फौरन जवाब देते हुए कहा कि हॉर्न सुनकर सामने वाले का कान फट जाएगा. लोग सड़कों पर अटेंशन पाने व स्टाइलिश बनने के चक्कर में अपनी बाइक व कार में ऐसे हॉर्न लगवाते हैं. इसके शोर से बच्चों और बुजुर्गों को काफी तकलीफ होती है और इससे ध्वनि प्रदूषण भी होता है. फिलहाल बाइक व कार में ऐसे हॉर्न लगवाने पर एक हजार रुपये का चालान भरना पड़ सकता है. इसके अलावा नियमों का उल्लंघन करने पर ट्रैफिक पुलिस आपका डीएल भी सस्पेंड कर सकती है.
इसके अलावा सड़क या गली-मोहल्ले में चलते-फिरते आसपास अक्सर पटाखे या गोलियां चलने जैसी आवाजें सुनाई पड़ती हैं. इस तेज आवाज को सुनकर लोग चौंक जाते हैं. यह डराने वाली आवाज बाइक या बुलेट की होती है. इस पर पूर्णतया रोक होने के बाद भी ऐसे मोडीफाइड साइलेंसर की बिक्री खुलेआम हो रही है. ईटीवी भारत की टीम ने लालबाग के दुकानदार से पूछा कि बुलेट में पटाखा बजाना है, साइलेंसर मिल जाएगा. उसने झट से कहा कि छोटा पंजाब या बड़ा पंजाब. हमने रेट पूछा तो उन्होंने कहा कि 8 सौ से लेकर 2 हजार रुपये का है, लगा भी देंगे और बजाना सिखा भी देंगे. बहरहाल आपको बता दें कि अगर कोई मोडिफाइड साइलेंसर लगवाता है तो 10 हजार से 20 हजार रुपये तक कका चालान हो सकता है.
अक्सर लोग अपनी गाड़ियों के टायर के व्हील का आकार बदलवा लेते हैं. गाड़ी को आकर्षक बनाने के लिए मोटे टायर लगवाए जाते हैं. सरकार ने इस पर रोक लगा रखी है. बावजूद इसके लालबाग में हर तरह के प्रतिबंधित टायर व व्हील मौजूद हैं. हमने इसी बाजार में मौजूद एक दुकानदार से पूछा क्या कार के पहिये ऐसे लग सकते है कि वो बाहर दिखें. दुकानदार ने कहा कि 34 हजार रुपये में दो व्हील मिलेंगे. ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने टायरों के शेप के मानक तय कर रखे हैं. निर्देश हैं कि कार या बाइक के किसी भी रिम का शेप नहीं बदला जाएगा. जिस तरह कंपनी लगा कर देती है, ठीक उसी तरह के होने चाहिए. मोडिफिकेशन कराने पर दो हजार रुपये तक के चालान का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट मोडिफाइड वाहनों पर जता चुका है नाराजगी : वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि रजिस्टर होने वाला वाहन मैन्यूफैक्चरर के ओरिजनल स्पेसिफिकेशन (Manufacturer's Original Specification) के मुताबिक होना चाहिए. मोटर वाहन एक्ट के सेक्शन 52(1) के तहत ऐसा करना आवश्यक है. कोर्ट ने कहा था कि एक्ट के तहत वाहन मालिक महज अपनी पसंद के रंग और मामूली फिटमेंट में बदलाव कर सकता है, लेकिन अगर वह ढांचागत बदलाव करता है जैसे बॉडी या चेसिस को बदलवाता है तो वाहन रजिस्ट्रेशन के लिए पात्र नहीं रह जाता है. जस्टिस अरुण मिश्रा और विनीत सरन (Justice Arun Mishra and Vineet Saran) ने कहा था कि सड़क पर सुरक्षा के लिए बनाए गए वाहन के प्रोटोटाइप को टेस्ट किया जाता है. इसलिए जो वाहन मैन्यूफैक्चरर के ओरिजिनल स्पेसिफिकेशन (Manufacturer's Original Specification) के साथ मेल नहीं खाते हैं, उनका रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता है.
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट (Lucknow Police Commissionerate) में तैनात अपर पुलिस उपायुक्त यातायात अजय कुमार (Additional Deputy Commissioner of Police Traffic Ajay Kumar) कहते हैं कि सड़कों पर फर्राटा भरने वाले वाहन यदि किसी भी प्रकार से एमवी एक्ट के उल्लंघन करते हैं तो उनका चालान किया जाता है. इसके अलावा विशेष अभियान चला कर मोडिफाइड वाहनों पर भी कार्रवाई की जाती है. कार से कलर फ़िल्म उतरवा कर उनका चालान होता है. मानक के विपरीत गाड़ियों में लगे होर्न्स जब्त किए जाते हैं. हालांकि यह कार्रवाई हम तभी करते हैं, जब गाड़ी में यह लगाकर चलाया जाता है. दुकानों पर उसकी बिक्री हो रही है, उनका पर कार्रवाई हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. वहीं लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता व डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक (Lucknow Police Commissionerate spokesperson and DCP Aparna Rajat Kaushik) कहती हैं कि समय-समय पर ऐसी दुकानों पर छापेमारी की जाती है. हाल ही में ऐसे कई दुकानदारों से जुर्माना भी वसूला गया.