ETV Bharat / state

लखनऊ: घर के निकट रोजगार का सपना साकार करेगा एमएसएमई

यूपी में अन्य राज्यों से लौटे कामगार और श्रमिकों को गांव घर में ही रोजगार मिल सके, इसके लिए सरकार तैयारियों में जुटी है. इस संबंध में गिरि विकास अध्ययन संस्थान ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को अपनी सलाह दी है. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर पीके बाजपेई का कहना है कि सरकार को ग्रामीण इलाकों में कृषि क्षेत्र की बजाय एमएसएमई इकाइयों की स्थापना पर जोर देना चाहिए.

author img

By

Published : Jun 8, 2020, 5:01 PM IST

एमएसएमई सेक्टर पर जोर देने की जरूरत.
एमएसएमई सेक्टर पर जोर देने की जरूरत.

लखनऊ: दूसरे राज्यों से लाखों की तादाद में वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव-घर के पास रोजगार का सपना एमएसएमई सेक्टर ही साकार कर सकता है. गिरि विकास अध्ययन संस्थान ने प्रदेश और केंद्र सरकार को इस संबंध में अपनी सलाह भी दी है. प्रदेश सरकार ने स्किल मैपिंग के जरिए 18 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने वाले क्षेत्रों की पहचान भी कर ली है. अब सरकार का सारा जोर एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने पर है.

एमएसएमई सेक्टर पर जोर देने की जरूरत.

गिरि विकास एवं अध्ययन संस्थान ने सरकार को दिया सुझाव

केंद्र सरकार की स्वायत्तशासी संस्था गिरि विकास एवं अध्ययन संस्थान ने केंद्र और राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए प्रयास करें. प्रवासी श्रमिकों की समस्या को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने सरकार का ध्यान एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने की ओर आकर्षित किया है. उत्तर प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा मजबूत और प्रभावी स्थिति में है. ऐसे में विभिन्न राज्यों से लौटने वाले मजदूरों और कामगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की बड़ी भूमिका का निर्वाह यह सेक्टर कर सकता है.

उत्तर प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र

  • कुल एमएसएमई -90,00,000
  • उत्तर प्रदेश की जीडीपी में योगदान -15 प्रतिशत
  • प्रदेश में लौटे श्रमिक - 25 लाख
  • रोजगार के इच्छुक- 18,19,245
  • अकुशल श्रमिक- 16,67,609
  • निर्माण श्रमिक -2,26,276
  • पेंटर ,पेंटिंग और पीओपी श्रमिक- 43,000
  • कारपेंटर- 32,000
  • ड्राइवर- 15,415
  • कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयर-5,404

कृषि क्षेत्र की बजाय एमएसएमई इकाइयों की स्थापना जोर दे सरकार
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर पीके बाजपेई ने बताया कि कृषि क्षेत्र पर पहले ही अत्यधिक भार है. कृषि क्षेत्र की उत्पादकता भी सीमित है, ऐसे में वहां श्रमिकों को ज्यादा रोजगार मिलना संभव नहीं है. अगर ग्रामीण क्षेत्रों में एमएसएमई इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाए तो कामगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, जिससे पलायन की समस्या पर भी काबू पाया जा सकेगा.

प्रदेश में ही मिल सकेगा रोजगार
प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री खादी एवं निर्यात प्रोत्साहन और एमएसएमई सिद्धार्थ नाथ सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रदेश सरकार मजदूरों और कामगारों की स्किल मैपिंग करा रही है. इस आधार पर श्रमिकों को एमएसएमई सेक्टर समेत अन्य क्षेत्रों में रोजगार देने की पूरी तैयारी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर कहा है कि अब किसी भी मजदूर को दूसरे राज्य में रोजगार के लिए पलायन नहीं करने देंगे. सभी लोगों को उत्तर प्रदेश में ही रोजगार दिलाया जाएगा.

लखनऊ: दूसरे राज्यों से लाखों की तादाद में वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव-घर के पास रोजगार का सपना एमएसएमई सेक्टर ही साकार कर सकता है. गिरि विकास अध्ययन संस्थान ने प्रदेश और केंद्र सरकार को इस संबंध में अपनी सलाह भी दी है. प्रदेश सरकार ने स्किल मैपिंग के जरिए 18 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने वाले क्षेत्रों की पहचान भी कर ली है. अब सरकार का सारा जोर एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने पर है.

एमएसएमई सेक्टर पर जोर देने की जरूरत.

गिरि विकास एवं अध्ययन संस्थान ने सरकार को दिया सुझाव

केंद्र सरकार की स्वायत्तशासी संस्था गिरि विकास एवं अध्ययन संस्थान ने केंद्र और राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए प्रयास करें. प्रवासी श्रमिकों की समस्या को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने सरकार का ध्यान एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने की ओर आकर्षित किया है. उत्तर प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा मजबूत और प्रभावी स्थिति में है. ऐसे में विभिन्न राज्यों से लौटने वाले मजदूरों और कामगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की बड़ी भूमिका का निर्वाह यह सेक्टर कर सकता है.

उत्तर प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र

  • कुल एमएसएमई -90,00,000
  • उत्तर प्रदेश की जीडीपी में योगदान -15 प्रतिशत
  • प्रदेश में लौटे श्रमिक - 25 लाख
  • रोजगार के इच्छुक- 18,19,245
  • अकुशल श्रमिक- 16,67,609
  • निर्माण श्रमिक -2,26,276
  • पेंटर ,पेंटिंग और पीओपी श्रमिक- 43,000
  • कारपेंटर- 32,000
  • ड्राइवर- 15,415
  • कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयर-5,404

कृषि क्षेत्र की बजाय एमएसएमई इकाइयों की स्थापना जोर दे सरकार
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर पीके बाजपेई ने बताया कि कृषि क्षेत्र पर पहले ही अत्यधिक भार है. कृषि क्षेत्र की उत्पादकता भी सीमित है, ऐसे में वहां श्रमिकों को ज्यादा रोजगार मिलना संभव नहीं है. अगर ग्रामीण क्षेत्रों में एमएसएमई इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाए तो कामगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, जिससे पलायन की समस्या पर भी काबू पाया जा सकेगा.

प्रदेश में ही मिल सकेगा रोजगार
प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री खादी एवं निर्यात प्रोत्साहन और एमएसएमई सिद्धार्थ नाथ सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रदेश सरकार मजदूरों और कामगारों की स्किल मैपिंग करा रही है. इस आधार पर श्रमिकों को एमएसएमई सेक्टर समेत अन्य क्षेत्रों में रोजगार देने की पूरी तैयारी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर कहा है कि अब किसी भी मजदूर को दूसरे राज्य में रोजगार के लिए पलायन नहीं करने देंगे. सभी लोगों को उत्तर प्रदेश में ही रोजगार दिलाया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.