लखनऊ: मूर्ख दिवस पर यानि 1 अप्रैल को राजधानी में पुनः घोंघा बसंत हास्य कवि सम्मेलन में हंसी-ठिठोली हुई. साथ ही कविताओं के जरिये व्यंग के तीर चले. हास्य सम्मेलन का आयोजन साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था रंगभारती की ओर से चारबाग स्थित रविन्द्रालय प्रेक्षागृह में हुआ. हास्य सम्मेलन में इस साल का बेढब बनारसी रंगभारती सम्मान गद्यकार राजेन्द्र पंडित को अतिश्रेष्ठ योगदान के लिए दिया गया.
हास्य कवियों ने छोड़े व्यंग्य के तीर
इससे पहले आरंभ में दीप-प्रज्ज्वलन के बाद मशहूर रंगकर्मी विजय वास्तव ने ‘रंगभारती’ का परिचय दिया. साथ ही हास्य-आइटमों से कार्यक्रम की शुरुआत की. वरिष्ठ शास्त्रीय गायिका पद्मा गिडवानी ने सरस्वती-वन्दना प्रस्तुत की. कवि राजेंद्र पंडित ने महंगाई पर तंज कसते हुए पढ़ा कि-
'महंगा हुआ पेट्रोल तो थोड़ा खरीदिए
अच्छा विकल्प है, अगर घोड़ा खरीदिए
ट्रैवलिंग के साथ राइडिंग का भी लुत्फ लीजिए
और पांच किलो लीद मुफ्त लीजिए
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कमलेश द्विवेदी ने पढ़ा कि-
पत्नी बोली- अर्धांगिनी हूं तो इंसाफ करो ना
सारा काम कराते मुझसे तुम भी हाफ करो ना
पहले तुम बाहर रहते थे कोई बात नहीं थी
अब घर में रहते हो तो फिर बर्तन साफ करो ना