नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में पुरानी गाड़ियों की सेल परचेस का काम एक वक्त में काफी बड़ा हुआ करता था. लेकिन लॉकडाउन ने सब कुछ खत्म कर दिया है. गाजियाबाद में अंबेडकर रोड पर पुरानी गाड़ियों की सेल परचेस का बड़ा कारोबार होता है, लेकिन वो कारोबार फिलहाल ठप हो चुका है.
गाजियाबाद: ओल्ड कार सेल-परचेस विक्रेताओं पर आर्थिक संकट - car sale in ghaziabad
गाजियाबाद में अंबेडकर रोड पर पुरानी गाड़ियों की सेल परचेस का बड़ा कारोबार होता था. लेकिन लॉकडाउन में कारण कारोबार फिलहाल ठप हो चुका है. लॉकडाउन के चलते पिछले 3 महीने के दौरान सिर्फ 4 गाड़ियां बिकी हैं.
ओल्ड कार सेल परचेस विक्रेताओं पर छाया आर्थिक संकट
नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में पुरानी गाड़ियों की सेल परचेस का काम एक वक्त में काफी बड़ा हुआ करता था. लेकिन लॉकडाउन ने सब कुछ खत्म कर दिया है. गाजियाबाद में अंबेडकर रोड पर पुरानी गाड़ियों की सेल परचेस का बड़ा कारोबार होता है, लेकिन वो कारोबार फिलहाल ठप हो चुका है.
विक्रेता के मुताबिक लॉकडाउन ने आर्थिक स्थिति काफी कमजोर कर दी है. पहले जहां एक महीने में सात से आठ पुरानी गाड़ियां बेच दिया करते थे, तो लॉकडाउन के चलते पिछले 3 महीने के दौरान सिर्फ 4 गाड़ियां बिकी हैं.हाल ये है कि अपने कर्मचारियों की सैलरी तक जेब से देनी पड़ी है. पुरानी कारों की सेल परचेस करने वाले राजा का कहना है कि आने वाले 6 महीने तक स्थिति में सुधार होता हुआ नहीं दिख रहा है. फिलहाल जो पुरानी गाड़ियां उनके पास मौजूद हैं, उन्हें घाटे पर बेचने की नौबत आ गई है.
हजारों का घाटा
कार विक्रेताओं का कहना है कि मार्केट में पुरानी कार खरीदने वाले ग्राहकों की भी काफी कमी हो गई है. ज्यादातर ग्राहक पहले से ही रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे हैं. गाड़ियां खरीदने कि वो नहीं सोच रहे. इसलिए जो गाड़ियां फिलहाल मौजूद हैं. उन्हें 10 से 20 हजार के, प्रत्येक गाड़ी के घाटे पर बेचना पड़ेगा. इसमें काफी लंबे वक्त का इंतजार करना पड़ेगा. जिससे मार्केट में दोबारा बहार आए. स्थिति काफी ज्यादा संकट भरी हो गई है. दुकान से संबंधित बिजली का बिल, और अन्य खर्च निकालना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है.
विक्रेता के मुताबिक लॉकडाउन ने आर्थिक स्थिति काफी कमजोर कर दी है. पहले जहां एक महीने में सात से आठ पुरानी गाड़ियां बेच दिया करते थे, तो लॉकडाउन के चलते पिछले 3 महीने के दौरान सिर्फ 4 गाड़ियां बिकी हैं.हाल ये है कि अपने कर्मचारियों की सैलरी तक जेब से देनी पड़ी है. पुरानी कारों की सेल परचेस करने वाले राजा का कहना है कि आने वाले 6 महीने तक स्थिति में सुधार होता हुआ नहीं दिख रहा है. फिलहाल जो पुरानी गाड़ियां उनके पास मौजूद हैं, उन्हें घाटे पर बेचने की नौबत आ गई है.
हजारों का घाटा
कार विक्रेताओं का कहना है कि मार्केट में पुरानी कार खरीदने वाले ग्राहकों की भी काफी कमी हो गई है. ज्यादातर ग्राहक पहले से ही रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे हैं. गाड़ियां खरीदने कि वो नहीं सोच रहे. इसलिए जो गाड़ियां फिलहाल मौजूद हैं. उन्हें 10 से 20 हजार के, प्रत्येक गाड़ी के घाटे पर बेचना पड़ेगा. इसमें काफी लंबे वक्त का इंतजार करना पड़ेगा. जिससे मार्केट में दोबारा बहार आए. स्थिति काफी ज्यादा संकट भरी हो गई है. दुकान से संबंधित बिजली का बिल, और अन्य खर्च निकालना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है.