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गाजियाबाद के DM ने खुद समेत पूरे स्टाफ पर लगाया जुर्माना, वजह बहुत अच्छी है - water conservation

स्टाफ ने डीएम को बताया कि रेस्टरूम के पीछे लगी पानी की टंकी भर चुकी है और ओवरफ्लो हो रही है. ओवरफ्लो हो रही टंकी से पानी की बर्बादी को देखते हुए डीएम ने कलेक्ट्रेट के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सामूहिक रूप से ₹10000 का जुर्माना पश्चताप शुल्क के रूप में लगाया है.

DM ने खुद समेत पूरे स्टाफ पर लगाया जुर्माना
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Published : Nov 6, 2019, 10:36 PM IST

गाजियाबाद: राजधानी से सटे गाजियाबाद के डीएम अजय शंकर पांडे ने खुद पर,अधिकारियों और कर्मचारियों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कलेक्ट्रेट ऑफिस में बने रेस्टरूम की छत पर टंकी से पानी ओवरफ्लो हो रहा था. जुर्माने के पैसा जल सरंक्षण के कार्यों में लगाया जाएगा. देशभर में जल संरक्षण को लेकर लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं. ऐसे में गाजियाबाद के डीएम ने पानी के बहने के लिए खुद पर, दफ्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों पर जुर्माना लगाकर एक मिसाल पेश की है.

बातचीत करते डीएम.

पूरे स्टाफ पर लगाया जुर्माना
सोमवार को 9:30 बजे डीएम अपने कार्यालय पहुंचे और अपने कमरे की सफाई करने के बाद वह अपने रेस्टरूम पहुंचे. वहां उन्हें पानी के गिरने की आवाज सुनाई दी. इस पर उन्होंने अपने अधीनस्थ कार्यालय स्टाफ को बुलाकर पूछा कि आवाज कहां से आ रही है.

स्टाफ ने डीएम को बताया कि रेस्टरूम के पीछे लगी पानी की टंकी भर चुकी है और ओवरफ्लो हो रही है. ओवरफ्लो हो रही टंकी से पानी की बर्बादी को देखते हुए डीएम ने कलेक्ट्रेट के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सामूहिक रूप से ₹10000 का जुर्माना पश्चताप शुल्क के रूप में लगाया है.

'जल संरक्षण की जिम्मेदारी सबकी'
डीएम ने कहा कि कलेक्ट्रेट ऑफिस में तमाम अधिकारी और कर्मचारी बैठते हैं. जल संरक्षण सभी की जिम्मेदारी है. दरअसल डीएम कलेक्ट्रेट के खुद मुखिया हैं. इसलिए उस जुर्माने की लिस्ट में उन्होंने खुद को भी शामिल किया है. कलेक्ट्रेट ऑफिस में बैठने वाले लगभग 30 अधिकारियों पर प्रति अधिकारी पश्चाताप शुल्क ₹100 और 100 कर्मचारियों पर प्रति कर्मचारी पश्चताप शुल्क ₹70 लगाया गया है.

इसे भी पढ़ें- बरेली: नगर निगम की लापरवाही से शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ा, कौन लगाएगा जुर्माना?

गाजियाबाद: राजधानी से सटे गाजियाबाद के डीएम अजय शंकर पांडे ने खुद पर,अधिकारियों और कर्मचारियों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कलेक्ट्रेट ऑफिस में बने रेस्टरूम की छत पर टंकी से पानी ओवरफ्लो हो रहा था. जुर्माने के पैसा जल सरंक्षण के कार्यों में लगाया जाएगा. देशभर में जल संरक्षण को लेकर लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं. ऐसे में गाजियाबाद के डीएम ने पानी के बहने के लिए खुद पर, दफ्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों पर जुर्माना लगाकर एक मिसाल पेश की है.

बातचीत करते डीएम.

पूरे स्टाफ पर लगाया जुर्माना
सोमवार को 9:30 बजे डीएम अपने कार्यालय पहुंचे और अपने कमरे की सफाई करने के बाद वह अपने रेस्टरूम पहुंचे. वहां उन्हें पानी के गिरने की आवाज सुनाई दी. इस पर उन्होंने अपने अधीनस्थ कार्यालय स्टाफ को बुलाकर पूछा कि आवाज कहां से आ रही है.

स्टाफ ने डीएम को बताया कि रेस्टरूम के पीछे लगी पानी की टंकी भर चुकी है और ओवरफ्लो हो रही है. ओवरफ्लो हो रही टंकी से पानी की बर्बादी को देखते हुए डीएम ने कलेक्ट्रेट के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सामूहिक रूप से ₹10000 का जुर्माना पश्चताप शुल्क के रूप में लगाया है.

'जल संरक्षण की जिम्मेदारी सबकी'
डीएम ने कहा कि कलेक्ट्रेट ऑफिस में तमाम अधिकारी और कर्मचारी बैठते हैं. जल संरक्षण सभी की जिम्मेदारी है. दरअसल डीएम कलेक्ट्रेट के खुद मुखिया हैं. इसलिए उस जुर्माने की लिस्ट में उन्होंने खुद को भी शामिल किया है. कलेक्ट्रेट ऑफिस में बैठने वाले लगभग 30 अधिकारियों पर प्रति अधिकारी पश्चाताप शुल्क ₹100 और 100 कर्मचारियों पर प्रति कर्मचारी पश्चताप शुल्क ₹70 लगाया गया है.

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Intro:जिला अधिकारी अजय शंकर पांडे का पश्चाताप शुल्क. कलेक्ट्रेट में बने विश्राम कक्ष की छत पर टंकी से पानी ओवरफ्लो होने पर लगाया अर्थदंड, जिलाधिकारी और अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर ₹10000 अर्थदंड लगाया. जुर्माना की धनराशि जल सरंक्षण के कार्यों में लगाई जाएगी.


Body:देशभर में जल संरक्षण को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है ऐसे में गाज़ियाबाद के जिला अधिकारी अजय शंकर पांडे ने एक मिसाल पेश की है. गाजियाबाद के कलेक्ट्रेट में बने ऑफिस की छत पर टंकी से पानी ओवरफ्लो होने के चलते जिला अधिकारी अजय शंकर पांडेय ने कलेक्ट्रेट के अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर ₹10000 का अर्थदंड लगाया है.

सोमवार को 9:30 बजे जिलाधिकारी अपने कार्यालय पहुंचे तथा अपने कमरे की सफाई करने के बाद वह अपने विश्राम कक्ष पहुंचे जहां उन्हें पानी के गिरने की आवाज सुनाई दी तो अपने अधीनस्थ कार्यालय स्टाफ को बुलाकर उनसे पूछा कि आवाज कहां से आ रही है.

स्टाफ ने जिलाधिकारी को बताया कि विश्राम कक्ष के पीछे लगी पानी की टंकी भर चुकी है तथा ओवरफ्लो हो रही है, ओवरफ्लो हो रही पानी की टंकी से पानी की बर्बादी को देखते हुए जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सामूहिक रूप से ₹10000 का अर्थदंड पश्चताप शुल्क के रूप में लगाया है.



Conclusion:जिलाधिकारी ने कहा कि कलेक्ट्रेट में तमाम अधिकारी और कर्मचारी बैठते हैं जल संरक्षण सभी का दायित्व है क्योंकि वे कलेक्ट्रेट के स्वयं मुखिया हैं अतः उस अर्थदंड की सूची में उन्होंने स्वयं को भी शामिल किया है.

कलेक्ट्रेट में बैठने वाले लगभग 30 अधिकारियों पर प्रति अधिकारी पश्चाताप शुल्क ₹100 और 100 कर्मचारियों पर प्रति कर्मचारी पश्चताप शुल्क ₹70 लगाया गया है.

अर्थदंड के रूप में लगाई गई पश्चाताप धनराशि को जल संरक्षण के कार्यों में खर्च किया जाएगा.
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