ETV Bharat / state

बाबरी विध्वंस मामला: CBI कोर्ट के फैसले को जमीयत ने बताया दुखद - babri masjid demolition case verdict

बाबरी विध्वंस मामले पर सीबीआई की विशेष कोर्ट का फैसला आने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने मीडिया में लिखित बयान जारी कर कहा कि यह फैसला अत्यधिक दुखद और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है. प्रमाणों को उपेक्षित किया गया है. खुले आम दोषियों के शर्मनाक और आपराधिक कार्यों पर पर्दा डाला गया है.

जमियत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी
जमियत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी
author img

By

Published : Oct 1, 2020, 1:56 PM IST

लखनऊ: बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को 28 वर्षों बाद फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद देश की बड़ी मुस्लिम संस्थाओं में से एक जमीयत उलमा-ए-हिन्द का बयान भी सामने आया है. जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने प्रतिक्रिया देते हुए इस फैसले को अत्यधिक दुखद और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत बताया है.

बुधवार को CBI कोर्ट के फैसले के बाद जमीयत ने मीडिया में लिखित बयान जारी कर कहा कि यह फैसला अत्यधिक दुखद और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है, जिस तरह से प्रमाणों को उपेक्षित किया गया और खुले आम दोषियों के शर्मनाक और आपराधिक कार्यों पर पर्दा डाला गया है, इसका उदाहरण मुश्किल से ही मिलता है.

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि यह एक ऐसा फैसला है, जिसमें न इंसाफ किया गया है और न इसमें कहीं इंसाफ दिखता है. इसने न्यायालय की आजादी पर वर्तमान में लगाए गए प्रश्नवाचक चिन्ह को और गहरा कर दिया है, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी और जग हंसाई का कारण बनता है. मौलाना मदनी ने कहा कि यह निर्णय चिंताजनक है, क्योंकि इससे फासिस्टवादी और कट्टरपंथी तत्व जो दूसरी मस्जिदों को निशाना बनाने के लिए पर सोच रहे हैं, उन्हें बढ़ावा मिलेगा. जिससे देश में शांति और सद्भाव के लिए जबर्दस्त खतरा पैदा होगा. वहीं अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों के बीच निराशा फैलेगी. न्यायालय पर विश्वास में कमी आने के कारण बहुत से विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के बजाय जोर जबरदस्ती और हिंसा के माध्यम हल करने का चलन स्थापित होगा.

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, सीबीआई को इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए. 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करना एक आपराधिक कार्य था. इसको करने वालों को सजा मिलनी ही चाहिए.

बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना आपराधिक कार्य
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को लाखों की संख्या में जमा हुए सांप्रदायिक और फासिस्ट शक्तियों व राजनीतिक दलों के नेताओं और उनके समर्थकों ने दंगा भड़काने वाले भाषण दिए और नारे लगाए फिर मिलकर 500 वर्षीय पुरानी बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. देश और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसके वीडियो और फोटो बनाए, जो आज भी रिकॉर्ड में मौजूद हैं. इसलिए यह कहा जाना कि बाबरी मस्जिद का गिराया जाना षड्यंत्र नहीं था सरासर गलत है, क्योंकि इतनी मजबूत इमारत को अत्यधिक संसाधनों के बगैर अचानक ध्वस्त नहीं किया जा सकता था.

मौलाना महमूद मदनी ने बताया कि इस संबंध में जस्टिस लिब्राहन कमीशन की रिपोर्ट भी बहुत ही स्पष्ट है. इसके अलावा देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारूकी केस 1994 फैसले में स्पष्ट तौर से कहा था कि जिन लोगों ने मस्जिद को ध्वस्त किया है, ऐसा करने वालों ने अपराधिक और शर्मनाक कार्य किया है. उन्होंने न सिर्फ एक धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि देश के कानून, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के आदर्शों सिद्धांतों को भी ध्वस्त किया है. हाल में वर्तमान में बाबरी मस्जिद संपत्ति मुकदमे में भी सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी धार्मिक ढांचे को तोड़ कर नहीं बनाया गया, बल्कि 6 दिसंबर को एक धार्मिक ढांचा ध्वस्त किया गया, जो कुछ भी इस दिन कार्य किया गया, वह एक आपराधिक कार्य था और देश के कानून का उल्लंघन था.

लखनऊ: बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को 28 वर्षों बाद फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद देश की बड़ी मुस्लिम संस्थाओं में से एक जमीयत उलमा-ए-हिन्द का बयान भी सामने आया है. जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने प्रतिक्रिया देते हुए इस फैसले को अत्यधिक दुखद और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत बताया है.

बुधवार को CBI कोर्ट के फैसले के बाद जमीयत ने मीडिया में लिखित बयान जारी कर कहा कि यह फैसला अत्यधिक दुखद और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है, जिस तरह से प्रमाणों को उपेक्षित किया गया और खुले आम दोषियों के शर्मनाक और आपराधिक कार्यों पर पर्दा डाला गया है, इसका उदाहरण मुश्किल से ही मिलता है.

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि यह एक ऐसा फैसला है, जिसमें न इंसाफ किया गया है और न इसमें कहीं इंसाफ दिखता है. इसने न्यायालय की आजादी पर वर्तमान में लगाए गए प्रश्नवाचक चिन्ह को और गहरा कर दिया है, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी और जग हंसाई का कारण बनता है. मौलाना मदनी ने कहा कि यह निर्णय चिंताजनक है, क्योंकि इससे फासिस्टवादी और कट्टरपंथी तत्व जो दूसरी मस्जिदों को निशाना बनाने के लिए पर सोच रहे हैं, उन्हें बढ़ावा मिलेगा. जिससे देश में शांति और सद्भाव के लिए जबर्दस्त खतरा पैदा होगा. वहीं अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों के बीच निराशा फैलेगी. न्यायालय पर विश्वास में कमी आने के कारण बहुत से विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के बजाय जोर जबरदस्ती और हिंसा के माध्यम हल करने का चलन स्थापित होगा.

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, सीबीआई को इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए. 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करना एक आपराधिक कार्य था. इसको करने वालों को सजा मिलनी ही चाहिए.

बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना आपराधिक कार्य
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को लाखों की संख्या में जमा हुए सांप्रदायिक और फासिस्ट शक्तियों व राजनीतिक दलों के नेताओं और उनके समर्थकों ने दंगा भड़काने वाले भाषण दिए और नारे लगाए फिर मिलकर 500 वर्षीय पुरानी बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. देश और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसके वीडियो और फोटो बनाए, जो आज भी रिकॉर्ड में मौजूद हैं. इसलिए यह कहा जाना कि बाबरी मस्जिद का गिराया जाना षड्यंत्र नहीं था सरासर गलत है, क्योंकि इतनी मजबूत इमारत को अत्यधिक संसाधनों के बगैर अचानक ध्वस्त नहीं किया जा सकता था.

मौलाना महमूद मदनी ने बताया कि इस संबंध में जस्टिस लिब्राहन कमीशन की रिपोर्ट भी बहुत ही स्पष्ट है. इसके अलावा देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारूकी केस 1994 फैसले में स्पष्ट तौर से कहा था कि जिन लोगों ने मस्जिद को ध्वस्त किया है, ऐसा करने वालों ने अपराधिक और शर्मनाक कार्य किया है. उन्होंने न सिर्फ एक धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि देश के कानून, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के आदर्शों सिद्धांतों को भी ध्वस्त किया है. हाल में वर्तमान में बाबरी मस्जिद संपत्ति मुकदमे में भी सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी धार्मिक ढांचे को तोड़ कर नहीं बनाया गया, बल्कि 6 दिसंबर को एक धार्मिक ढांचा ध्वस्त किया गया, जो कुछ भी इस दिन कार्य किया गया, वह एक आपराधिक कार्य था और देश के कानून का उल्लंघन था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.