लखनऊ : जी-20 की आर्थिक मामलों के समूह में आज से शुरू हुई बैठकों में पहले दिन लखनऊ के होटल सेंट्रम में दुनिया भर के 20 देशों में के बीच डिजिटल परेशानियों पर चर्चा की गई. विश्व बैंक की ओर से दिए गए आंकड़ों में यह बात सामने आई कि इस दुनिया में करीब साढ़े आठ करोड़ लोगों के पास में कोई अधिकृत पहचान पत्र नहीं है. इसके अलावा वित्तीय मामलों में साइबर धांधली से बचने के लिए विशेषज्ञों ने पूरी दुनिया के लिए एक विशेष नीति बनाने पर सहमति व्यक्त की. उत्तर प्रदेश के लिए आयोजित विशेष सत्र में प्रदेश में डिजिटल किस तरह से तरक्की हो रही है उस पर बात की गई. इसके अलावा डिजिटल माध्यम से किस तरह से दुनिया में अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है इस पर भी बातचीत हुई.
दिन का पहला सत्र 'डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर : विभिन्न देशों में डिजिटल आईडी को लागू करने औऱ उसके अनुभवों को साझा करने के विषय पर था. इसमें वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी विश्व बैंक जोनाथन मार्सकेल, सीईओ, यूआईडीएआई डॉ. सौरभ गर्ग, डॉ. प्रमोद वर्मा, सीटीओ, एकस्टेप फाउंडेशन, इचवान एम नेसुशन, इंडोनेशिया, डॉ. इरिना एलेक्जेंड्रा सोफ्की, जैसे प्रतिष्ठित वक्ता शामिल रहे. जर्मनी से फेबियन डेलक्रोस, यूरोपीय संघ की ओर से मौजूद रहे. सत्र के दौरान विश्व बैंक की ओर से बताया गया कि दुनिया भर में करीब साढ़े आठ करोड़ लोगों के पास कोई आधिकारिक आईडी नहीं है. विश्व बैंक लगभग 20 करोड़ डॉलर के वित्त पोषण सहित डिजिटल आईडी सिस्टम विकसित करने की कोशिश कर रहा है. लगभग 50 देशों में यह काम हो रहा है. सत्र के दौरान डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के अन्य पहलुओं के रूप में आधार के महत्व पर प्रकाश डाला गया. चर्चा में डेटा सुरक्षा, सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर भी बात की गई.
एमएसएमई के लिए साइबर सुरक्षा : एमएसएमई के लिए साइबर सुरक्षा समाधान करना विषय पर आज का दूसरा सत्र हुआ. दूसरे सत्र में विनायक गोडसे सीईओ, डीएससीआई, फ्रेडरिक सॉवेज, फ्रांस, क्रेग स्टेनली-एडम्सन, यूनाइटेड किंगडम, बसमाह अल्जेदाई, सऊदी अरब ने भाग लिया. केमिली डी बर्ग, ऑस्ट्रेलिया, संदीप अरोरा, माइक्रोसॉफ्ट और डेरेक पिलर जो मास्टरकार्ड से हैं उन्होंने भी चर्चा की.
यूपी के डिजिटल विकास पर भी हुई बात : उत्तर प्रदेश राज्य की डिजिटल प्राथमिकताओं को लेकर चौथे सत्र में चर्चा की गई. सरकार से डॉ. सुबी चतुर्वेदी, अक्षय त्रिपाठी, देवेश चतुर्वेदी, डॉ. रोशन जैकब, सौरभ बाबू और विनीत कुमार ने भाग लिया. ग्रेटर नोएडा में आने वाले मेगा डेटा सेंटर, निवेश मित्र-निवेशकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम, खनन क्षेत्र के लिए माइन मित्र, डिजीशक्ति जैसी कई पहलों पर चर्चा की गई. उत्तर प्रदेश सरकार से अरविंद कुमार, योरस्टोरी से अक्षय और इंफोसिस की मीनाक्षी ने सरकार, उद्योग और अकादमिक भागीदारी भूमिका और लाभार्थियों के साथ बातचीत के बारे में भी चर्चा की.
दिन का अंतिम विषयगत सत्र डिजिटल अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचे और उत्पाद विकास के लिए प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर था. वक्ताओं में सुशील चंद्रा, हेड कंप्यूटर इमेज प्रोसेसिंग डिवीजन, रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (RSAC), शामिल थे. यूपी के डॉ. विनय ठाकुर, अतिरिक्त महानिदेशक, बीआईएसएजी, रोहन वर्मा, सीईओ मापम्यइंडिया ने भी भाग लिया. यह साझा किया गया कि कैसे जीआईएस का प्रभावी ढंग से रीयल-टाइम ट्रैफ़िक डेटा एकत्र करके उसका विश्लेषण किया जा सकता है. जिसके जरिये सहज और कुशल सेवा प्रदान करने के लिए दैनिक और तेज अपडेट साझा किए जा सकते हैं.