लखनऊ: सपा सरकार में हुए गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने कार्रवाई शुरू कर दी है. रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने यूपी में लखनऊ समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की है. यूपी के साथ पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी सीबीआई की छापेमारी की है. दरअसल, सपा सरकार में बनाई गई गोमती रिवर फ्रंट योजना के तहत आठ किलोमीटर लंबाई में गोमती नदी के दोनों तटों को विकसित किया जाना था. इसके तहत दोनों किनारों पर ग्रीनरी से लेकर पार्क में बेहतरीन लाइटिंग, अच्छी प्रजातियों के फूल, नालों को नदी में गिरने से रोकना, एसटीपी निर्माण करने के अलावा तटों पर अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित करनी थीं. इसके लिए 1513 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था.
इस घोटाले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार ऋषि मिश्र कहते हैं कि तत्कालीन सरकार इतनी जल्दी में थी कि आचार संहिता लगने से पहले ही 2016 के अंत तक 95 फीसदी धनराशि निकाल ली गयी. पैसा खर्च हो गया, लेकिन जमीन पर जो काम होना था, वह नहीं हो पाया.
2012 में अखिलेश सरकार में बनी थी योजना
वर्ष 2012 में अखिलेश यादव की सरकार आई तो उन्होंने गोमती नदी के तटों को विकसित करने के लिए रिवरफ्रंट योजना की घोषणा की. 2013 में इस योजना पर काम शुरू हुआ. करीब 1513 करोड़ रुपये की इस योजना के लिए 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ. रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया. सरकार और फिर सीबीआई की सक्रियता को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा था कि समाजवादी पार्टी के बड़े-बड़े नेता भी इस लपेटे में जरूर आएंगे. नेताओं का नाम तो अभी तक नहीं आया, लेकिन इस मामले में कुछ समय पहले सीबीआई ने सिंचाई विभाग के पूर्व एक्सईएन रूप सिंह यादव को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था. सीनियर असिस्टेंट राजकुमार यादव को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था. 2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग गठित किया था.
कंपनी की शर्तों पर किया गया बदलाव
जांच में सामने आया कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया. पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था. मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच की जिनकी रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेजा था. गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है.
शिवपाल यादव थे तत्कालीन सिंचाई मंत्री
गोमती रिवर फ्रंट योजना की शुरुआत अखिलेश यादव सरकार में हुई थी. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव सिंचाई मंत्री थे. गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने का आरोप है. इसके अलावा नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची समेत वित्तीय लेनदेन में घोटाला करने का भी मामला है. अभियंताओं की मिलीभगत से नक्शे के अनुरूप कार्य नहीं कराने का आरोप है. इस पूरे मामले में कई अभियंताओं के खिलाफ पुलिस, ईडी और सीबीआई मामला दर्ज करके जांच कर रही है. सुरेश चंद्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, कमलेश्वर सिंह, शिवमंगल सिंह, सुरेंद्र यादव और रूप सिंह यादव जैसे सिंचाई विभाग के इंजीनियरों पर जांच चल रही है.
कई नेता भी हैं आरोपी
गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के कई करीबी नेता भी आरोपित हैं. इस बड़े प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था. मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में इसकी न्यायिक जांच में कई खामियां उजागर हुईं. इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
जून 2017 को गौतमपल्ली थाने में आठ लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी एफआईआर
गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाने में आठ लोगों के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया था. जिसके बाद जांच में तेजी आई और नवंबर 2017 में ईओडब्ल्यू उत्तर प्रदेश ने भी मामले में जांच शुरू कर दी थी. योगी आदित्यनाथ की सिफारिश पर दिसंबर 2017 में मामले की जांच सीबीआई के पास चली गई और जांच एजेंसी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की. दिसंबर 2017 में ही आइआइटी की टेक्निकल टीम ने भी जांच की. इसके बाद सीबीआई की जांच को आधार बनाते हुए मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी.
5 जुलाई 2021 को सीबीआई ने की बड़ी कार्रवाई
सपा सरकार में हुए गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने कार्रवाई शुरू कर दी है. रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने यूपी में लखनऊ समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की है. यूपी के साथ पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी सीबीआई की छापेमारी की है. इस मामले में सीबीआई की लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब 190 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई ने यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा, आगरा में छापेमारी की है. सीबीआई की टीम ने उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 40 जगहों पर एक साथ छापा मारा है.
वर्तमान में फव्वारों का अता पता नहीं
गोमती रिवर फ्रंट के तहत नदी का बाहरी आवरण यानी कि तटों को कुछ विकसित किया गया, लेकिन नदी को स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाने की योजना धरी की धरी रह गई. इस योजना के तहत नदी की धारा के बीच में लाइटिंग वाले फव्वारे लगाए जाने थे, अस्थाई रूप से उस समय लाइटिंग वाला फव्वारा लगाया गया, लेकिन आज वह फव्वारा नदारद है. आज भी नदी में शहर के गंदे नाले गिर रहे हैं. हालांकि मौजूदा सरकार ने एसटीपी का निर्माण शुरू करा दिया है. वर्तमान में लखनऊ राजधानी क्षेत्र में 18 से 20 नाले गोमती नदी का पानी गंदा कर रहे हैं.
इस मामले की जांच में निश्चित तौर पर बड़े- बड़े लोग फसेंगे. जितनी जिम्मेदारी अधिकारी और ठेकेदारों की है, उतनी ही जिम्मेदारी कैबिनेट और कैबिनेट के मुखिया की होगी. उस समय मंत्री शिवपाल यादव थे और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे, इसलिए निश्चित तौर पर इसमें कुछ कहने की जरूरत नहीं है. सब कुछ साफ है कि जांच की आंच किन-किन लोगों पर आएगी. मौजूदा समय में रिवर फ्रंट के मुख्य क्षेत्र को सुसज्जित रखने के लिए करीब 40 लाख प्रतिवर्ष खर्च किए जा रहे हैं. उससे यहां की स्थिति काफी बेहतर दिखाई दे रही है.