लखनऊ : इनकम टैक्स में आयकर इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी दिलाने का झांसा देने वाली प्रियंका मिश्रा शार्ट कट तरीके से जल्द से जल्द ज्यादा पैसा कमाना चाहती थी. इसके लिए वह बीटेक करने के बाद इंजीनियर बनी और उसके बाद बन गई फर्जी सहायक कर आयुक्त का लबादा ओढ़ लिया. एक साल तक इनकम टैक्स में संविदा पर काम करने वाली प्रियंका ने आयकर भवन में काम करने के दौरान इनकम टैक्स अधिकारियों के काम व बात करने के हर तौर तरीकों को सीख लिया. ऐसे में लोग आसानी से उसके झांसे में आ जाते थे.
डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक (DCP Central Aparna Rajat Kaushik) ने बताया कि प्रियंका मिश्रा ने बीटेक की पढ़ाई की है. उसने 1 साल इंजीनियर के तौर पर निजी कंपनी में नौकरी की. उसका पति भी हरियाणा में इंजीनियर है. डीसीपी के मुताबिक प्रियंका कम समय में शार्ट कट तरीके से ज्यादा पैसे कमाना चाहती थी. इसलिए उसका दिल कंपनी में नहीं लगा और वह दिल्ली में टैक्स कंसलटेंट के रूप में काम करने लगी. इसी दौरान उसे यह लगा था कि इस फील्ड में पैसा अधिक है और इसके लिए उसने इनकम टैक्स विभाग में अपनी पकड़ बना ली.
डीसीपी ने बताया कि प्रियंका ने पूछताछ कबूल किया कि उसने इनकम टैक्स विभाग के सहारे पैसे कमाने के लिए लखनऊ में आयकर विभाग में संविदा के पद पर नौकरी की थी. यहां उसने अधिकारियों के तौर तरीकों को सीखने के साथ साथ सभी के नाम और डिटेल का डाटा बेस बनाने लगी. इसी दौरान प्रियंका ने खुद को सहायक कर आयुक्त बताना शुरू कर दिया. वह लोगों से बताने लगी कि उसके संपर्क दिल्ली स्थित आयकर विभाग के अधिकारियों से हैं. जिससे वो किसी की भी नौकरी लगवा सकती है. जब उसके पास नौकरी के लिए सिफारिशें आने लगीं तो आरोपित ने संविदा की नौकरी छोड़ लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र देने का फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया.
इंस्पेक्टर हजरतगंज ने बताया कि अब तक हुई जांच व पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी प्रियंका मिश्रा इससे पहले भी दो साल पहले लखनऊ स्थित आयकर भवन में लोगों को नौकरी देने का झांसा देकर उनका इंटरव्यू लेती थी, लेकिन वहां मौजूद अधिकारियों की जानकारी में आने के बाद सख्ती कर दी गई. सख्ती को देख प्रियंका ने इस कार्यालय में आना बंद कर दिया.
ऐसे पकड़ में आई प्रियंका : बता दें, मंगलवार को इनकम टैक्स विभाग के लखनऊ दफ्तर में आय कर इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी के लिए इंटरव्यू लिए जा रहे थे. इंटरव्यू क्रैक करने वाले अभ्यर्थियों से 10 लाख घूस लेकर नियुक्ति पत्र भी बांटे जा रहे थे. जब इस बात की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को हुई तो पता चला कि यहां तो फर्जीवाड़ा चल रहा था. मौके से फर्जीवाड़े की मास्टरमाइंड एक महिला प्रियंका मिश्रा को पकड़ा गया. प्रियंका ने आवेदन करने वालों से 10-10 लाख रुपये वसूले थे. इस फर्जीवाड़े में विभाग के दो अधिकारी भी साथ दे रहे थे, हालांकि उनके नामों का अभी खुलासा नहीं हुआ है.