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एसजीपीजीआई में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए चार रोगी चयनित - लिवर ट्रांसप्लांट

राजधानी लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में भी लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा लोगों को मिलेगी. एसजीपीजीआई में चार मरीजों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग हो गई है. लिवर प्रत्यारोपण करने वाला एसजीपीजीआई राज्य का दूसरा संस्थान होगा.

एसजीपीजीआई में लिवर ट्रांसप्लांट
एसजीपीजीआई में लिवर ट्रांसप्लांट
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Published : Oct 19, 2021, 11:53 AM IST

लखनऊ: एसजीपीजीआई में लिवर ट्रांसप्लांट जल्द होगा. यहां चार मरीजों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग हो गई है. उनके परिजनों ने लिवर दान की सहमति दे दी है. ऐसे में लिवर प्रत्यारोपण करने वाला एसजीपीजीआई राज्य का दूसरा संस्थान होगा.

एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान के मुताबिक, कोरोना संक्रमण अब कम हो गया है. ऐसे में संस्थान में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू करने का प्लान है. इसके लिए डॉक्टरों ने 22 जुलाई से ओपीडी शुरू कर दी है. सोमवार से शुक्रवार तक लिवर फेल्योर के मरीजों को देखा जा रहा है. यहां मरीजों की स्क्रीनिंग जारी है. ट्रांसप्लांट के लिए मरीज और डोनर की काउंसिलिंग की जा रही है. चार मरीजों ने ट्रांसप्लांट पर सहमति जताई है. इनकी जांचें व ऑर्गन डोनर संबंधी प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो गई है. संस्थान में पहले लाइव डोनर ट्रांसप्लांट होगा. इसके बाद कैडेवरिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इससे अधिक से अधिक अंग प्रत्यारोपण किया जा सकेगा. अक्टूबर अंतिम सप्ताह तक पहला ट्रांसप्लांट करने की योजना है.

लाइव डोनर में मरीज के परिजन अंगदान करते हैं. यह स्वस्थ्य व्यक्ति होते हैं. इनका ऑर्गन निकालकर मरीज में प्रत्यारोपित किया जाता है. वहीं कैडेवरिक ट्रांसप्लांट में दुर्घटना में घायल व अन्य कारण से व्यक्ति का ब्रेन डेड हो जाता है. एक्सपर्ट कमेटी तमाम जांचों के बाद उसे ब्रेन डेड घोषित करती है. परिजनों की मंजूरी लेकर ब्रेन डेड मरीज के अंग निकाले जाते हैं. इसके बाद यह अंग किडनी, लिवर फेल्योर मरीज में प्रत्यारोपित किए जाते हैं. इसे कैडेवरिक ट्रांसप्लांट कहते हैं.

लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली के आईएलबीएस इंस्टीट्यूट में डॉक्टरों को ट्रेनिंग मिली है. इसमें चार सर्जन, एक हेपेटोलॉजिस्टि, एक रेडियोलोजिस्ट, तीन एनेस्थेटिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट ट्रेनिंग पूरी करके वापस आ चुके हैं. पहले मुफ्त ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों का आगे चलकर सस्ती दर पर ट्रांप्लांट होगा. इसके अलावा लिवर की दूसरी बीमारी का भी इलाज करेंगे.

एसपीजीआई में पहले दस मरीजों का मुफ्त में लिवर ट्रांसप्लांट करने का प्लान है. इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. इसके बाद शुल्क तय होगा. अभी प्राइवेट में 30 से 40 लाख व आईएलबीएस दिल्ली में 18 लाख के लगभग खर्च आता है. वहीं केजीएमयू 10 से 12 लाख में लिवर ट्रांसप्लांट मुमकिन है. ऐसे में पीजीआई में भी केजीएमयू के आसपास का लिवर ट्रांसप्लांट का शुल्क होगा.

राज्य में सरकारी सेक्टर में अभी केजीएमयू लिवर ट्रांसप्लांट कर रहा है. यहां अभी तक 12 लिवर ट्रांसप्लांट किए गए हैं. वहीं, केजीएमयू में ट्रॉमा सेंटर है. यहां गंभीर रूप से घायल भर्ती किए जाते हैं. इसमें कई का ब्रेन डेड हो जाता है. ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने वाली टीम घरवालों की काउंसलिंग कर अंगदान के लिए राजी करती है. इससे कई मरीजों की जिंदगी बचाने में मदद मिली है. केजीएमयू बहु-अंगदान करने वाला यूपी का एकमात्र संस्थान है. एम्स नई दिल्ली और आरएंडआर अस्पताल सहित अन्य संस्थानों के साथ केजीएमयू के सहयोग से 50 से अधिक अंगों को भेजा गया है.

यह भी पढ़ें: UP CORONA UPDATE: कोरोना के 6 और डेंगू के 75 केस मिले

शहर में अभी एक सरकारी और एक निजी अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू हुआ है. वहीं, एसजीपीजीआई सरकारी क्षेत्र का दूसरा लिवर ट्रांसप्लांट करने वाला होगा. इसके अलावा शहीद पथ स्थित एक निजी अस्पताल को भी लिवर ट्रांसप्लांट की अनुमति मिल चुकी है. ऐसे में लिवर प्रत्यारोपण करने वाले कुल चार अस्पताल हो जाएंगे.

लखनऊ: एसजीपीजीआई में लिवर ट्रांसप्लांट जल्द होगा. यहां चार मरीजों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग हो गई है. उनके परिजनों ने लिवर दान की सहमति दे दी है. ऐसे में लिवर प्रत्यारोपण करने वाला एसजीपीजीआई राज्य का दूसरा संस्थान होगा.

एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान के मुताबिक, कोरोना संक्रमण अब कम हो गया है. ऐसे में संस्थान में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू करने का प्लान है. इसके लिए डॉक्टरों ने 22 जुलाई से ओपीडी शुरू कर दी है. सोमवार से शुक्रवार तक लिवर फेल्योर के मरीजों को देखा जा रहा है. यहां मरीजों की स्क्रीनिंग जारी है. ट्रांसप्लांट के लिए मरीज और डोनर की काउंसिलिंग की जा रही है. चार मरीजों ने ट्रांसप्लांट पर सहमति जताई है. इनकी जांचें व ऑर्गन डोनर संबंधी प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो गई है. संस्थान में पहले लाइव डोनर ट्रांसप्लांट होगा. इसके बाद कैडेवरिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इससे अधिक से अधिक अंग प्रत्यारोपण किया जा सकेगा. अक्टूबर अंतिम सप्ताह तक पहला ट्रांसप्लांट करने की योजना है.

लाइव डोनर में मरीज के परिजन अंगदान करते हैं. यह स्वस्थ्य व्यक्ति होते हैं. इनका ऑर्गन निकालकर मरीज में प्रत्यारोपित किया जाता है. वहीं कैडेवरिक ट्रांसप्लांट में दुर्घटना में घायल व अन्य कारण से व्यक्ति का ब्रेन डेड हो जाता है. एक्सपर्ट कमेटी तमाम जांचों के बाद उसे ब्रेन डेड घोषित करती है. परिजनों की मंजूरी लेकर ब्रेन डेड मरीज के अंग निकाले जाते हैं. इसके बाद यह अंग किडनी, लिवर फेल्योर मरीज में प्रत्यारोपित किए जाते हैं. इसे कैडेवरिक ट्रांसप्लांट कहते हैं.

लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली के आईएलबीएस इंस्टीट्यूट में डॉक्टरों को ट्रेनिंग मिली है. इसमें चार सर्जन, एक हेपेटोलॉजिस्टि, एक रेडियोलोजिस्ट, तीन एनेस्थेटिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट ट्रेनिंग पूरी करके वापस आ चुके हैं. पहले मुफ्त ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों का आगे चलकर सस्ती दर पर ट्रांप्लांट होगा. इसके अलावा लिवर की दूसरी बीमारी का भी इलाज करेंगे.

एसपीजीआई में पहले दस मरीजों का मुफ्त में लिवर ट्रांसप्लांट करने का प्लान है. इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. इसके बाद शुल्क तय होगा. अभी प्राइवेट में 30 से 40 लाख व आईएलबीएस दिल्ली में 18 लाख के लगभग खर्च आता है. वहीं केजीएमयू 10 से 12 लाख में लिवर ट्रांसप्लांट मुमकिन है. ऐसे में पीजीआई में भी केजीएमयू के आसपास का लिवर ट्रांसप्लांट का शुल्क होगा.

राज्य में सरकारी सेक्टर में अभी केजीएमयू लिवर ट्रांसप्लांट कर रहा है. यहां अभी तक 12 लिवर ट्रांसप्लांट किए गए हैं. वहीं, केजीएमयू में ट्रॉमा सेंटर है. यहां गंभीर रूप से घायल भर्ती किए जाते हैं. इसमें कई का ब्रेन डेड हो जाता है. ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने वाली टीम घरवालों की काउंसलिंग कर अंगदान के लिए राजी करती है. इससे कई मरीजों की जिंदगी बचाने में मदद मिली है. केजीएमयू बहु-अंगदान करने वाला यूपी का एकमात्र संस्थान है. एम्स नई दिल्ली और आरएंडआर अस्पताल सहित अन्य संस्थानों के साथ केजीएमयू के सहयोग से 50 से अधिक अंगों को भेजा गया है.

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शहर में अभी एक सरकारी और एक निजी अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू हुआ है. वहीं, एसजीपीजीआई सरकारी क्षेत्र का दूसरा लिवर ट्रांसप्लांट करने वाला होगा. इसके अलावा शहीद पथ स्थित एक निजी अस्पताल को भी लिवर ट्रांसप्लांट की अनुमति मिल चुकी है. ऐसे में लिवर प्रत्यारोपण करने वाले कुल चार अस्पताल हो जाएंगे.

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