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यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला: पूर्व एमडी एपी मिश्रा को हाईकोर्ट से मिली सशर्त जमानत

यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला मामले में पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा को हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है. कोर्ट ने एपी मिश्रा को पासपोर्ट कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है.

हाईकोर्ट से मिली सशर्त जमानत
हाईकोर्ट से मिली सशर्त जमानत
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Published : Jul 17, 2021, 2:29 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court) की लखनऊ बेंच (lucknow bench) ने उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड(UPPCL) के पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा (former md ap mishra)की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है. न्यायालय ने उन्हें सशर्त जमानत देते हुए, ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपना पासपोर्ट जमा करने का भी आदेश दिया है. उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा पीएफ घोटाला मामले में लगभग दो सालों से जेल में थे.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अयोध्या प्रसाद मिश्रा की दूसरी जमानत याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया. अयोध्या प्रसाद मिश्रा की पहली जमानत याचिका 10 अप्रैल 2020 को खारिज कर दी गई थी. न्यायालय ने सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि सीबीआई मामले की जांच पिछले दो साल से कर रही है. अभियुक्त 70 वर्ष का है और हृदय रोग के अलावा अन्य तमाम बीमारियों से ग्रसित है.

यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा.
यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा.

न्यायालय ने कहा कि पीएफ की रकम को पीएनबी हाउसिंग, एलआईसी हाउसिंग और डीएचएफएल में निवेश करने के लिए अधिकृत करने के सिवा अब तक उसके खिलाफ कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य पीएफ घोटाला मामले में शामिल होने का नहीं आया है. सह-अभियुक्त अभिनव गुप्ता ने निवेश के लिए 30 करोड़ रुपये का कमीशन देने की बात जांच एजेंसी के समक्ष कुबूल की है, लेकिन कमीशन की रकम के मनी ट्रेल का भी अब तक कुछ पता नहीं लग सका है. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने सीबीआई के अधिवक्ता से यह भी पूछा कि वह मामले की विवेचना कब तक पूर्ण कर लेगें. इस पर सीबीआई के अधिवक्ता ने सितम्बर तक विवेचना पूरी होने की सम्भावना जताई.

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने याची के स्वास्थ्य समेत सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत उसे जमानत पर जेल से रिहा करने का आदेश दिया है.

यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला

दरअसल, यूपीपीसीएल के हजारों कर्मचारियों के भविष्य निधि का करोड़ों रुपया बैंक से निकालकर खस्ताहाल कंपनी डीएफएचएल में निवेश कर दिया गया था. योगी सरकार ने इस घोटाले की जांच के लिए पहले एसआईटी गठित की थी. बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था.सीबीआई ने साल 2020 मार्च में 4323 करोड़ रुपये के इस घोटाले में अपनी जांच शुरू की और यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया था.

इसे भी पढ़ें- सब इंस्पेक्टर भर्ती के लिए आयु सीमा निर्धारण की तिथि हाईकोर्ट ने तीन साल पीछे की

कौन हैं अयोध्या प्रसाद मिश्रा
यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी रहे एपी मिश्रा को मुलायम सिंह और अखिलेश यादव का करीबी बताया जाता है. 2012 में अखिलेश सरकार बनते ही एक आईएएस की जगह एक इंजीनियर एपी मिश्रा को यूपीपीसीएल का प्रबंध निदेशक बनाया गया था. एपी मिश्रा पूर्वाचल व मध्यांचल के भी एमडी रहे हैं. उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद तीन बार सेवा विस्तार भी मिला था.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court) की लखनऊ बेंच (lucknow bench) ने उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड(UPPCL) के पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा (former md ap mishra)की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है. न्यायालय ने उन्हें सशर्त जमानत देते हुए, ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपना पासपोर्ट जमा करने का भी आदेश दिया है. उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा पीएफ घोटाला मामले में लगभग दो सालों से जेल में थे.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अयोध्या प्रसाद मिश्रा की दूसरी जमानत याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया. अयोध्या प्रसाद मिश्रा की पहली जमानत याचिका 10 अप्रैल 2020 को खारिज कर दी गई थी. न्यायालय ने सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि सीबीआई मामले की जांच पिछले दो साल से कर रही है. अभियुक्त 70 वर्ष का है और हृदय रोग के अलावा अन्य तमाम बीमारियों से ग्रसित है.

यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा.
यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा.

न्यायालय ने कहा कि पीएफ की रकम को पीएनबी हाउसिंग, एलआईसी हाउसिंग और डीएचएफएल में निवेश करने के लिए अधिकृत करने के सिवा अब तक उसके खिलाफ कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य पीएफ घोटाला मामले में शामिल होने का नहीं आया है. सह-अभियुक्त अभिनव गुप्ता ने निवेश के लिए 30 करोड़ रुपये का कमीशन देने की बात जांच एजेंसी के समक्ष कुबूल की है, लेकिन कमीशन की रकम के मनी ट्रेल का भी अब तक कुछ पता नहीं लग सका है. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने सीबीआई के अधिवक्ता से यह भी पूछा कि वह मामले की विवेचना कब तक पूर्ण कर लेगें. इस पर सीबीआई के अधिवक्ता ने सितम्बर तक विवेचना पूरी होने की सम्भावना जताई.

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने याची के स्वास्थ्य समेत सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत उसे जमानत पर जेल से रिहा करने का आदेश दिया है.

यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला

दरअसल, यूपीपीसीएल के हजारों कर्मचारियों के भविष्य निधि का करोड़ों रुपया बैंक से निकालकर खस्ताहाल कंपनी डीएफएचएल में निवेश कर दिया गया था. योगी सरकार ने इस घोटाले की जांच के लिए पहले एसआईटी गठित की थी. बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था.सीबीआई ने साल 2020 मार्च में 4323 करोड़ रुपये के इस घोटाले में अपनी जांच शुरू की और यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया था.

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कौन हैं अयोध्या प्रसाद मिश्रा
यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी रहे एपी मिश्रा को मुलायम सिंह और अखिलेश यादव का करीबी बताया जाता है. 2012 में अखिलेश सरकार बनते ही एक आईएएस की जगह एक इंजीनियर एपी मिश्रा को यूपीपीसीएल का प्रबंध निदेशक बनाया गया था. एपी मिश्रा पूर्वाचल व मध्यांचल के भी एमडी रहे हैं. उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद तीन बार सेवा विस्तार भी मिला था.

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