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होर्डिंग मामला: कोर्ट के फैसले का दारापुरी ने किया स्वागत, कहा- कानून से चलेगी सरकार, तानाशाही से नहीं

सीएए प्रदर्शन में उपद्रवियों के होर्डिंग्स राजधानी के कई जगहों पर लगवाकर योगी सरकार ने नुकसान की भरपाई करने को कहा था. मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 16 मार्च से पहले होर्डिंग्स हटाने को कहा है.

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Published : Mar 9, 2020, 7:56 PM IST

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सीएए प्रदर्शन में उपद्रवियों के होर्डिंग्स मामले में कोर्ट के फैसले का दारापुरी ने स्वागत किया है.

लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पिछले साल दिसंबर में कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. राजधानी लखनऊ में भी 19 दिसंबर को हिंसक प्रदर्शन और आगजनी हुई थी. इस प्रदर्शन में करोड़ों की सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ था. सीएम योगी ने इस पर सख्त रूख अपनाते हुए प्रदर्शनों में शामिल उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई के आदेश दिए थे. वहीं मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 16 मार्च से पहले होर्डिंग्स हटाने को कहा है. वहीं होर्डिंग्स में शामिल पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.

सीएए प्रदर्शन में उपद्रवियों के होर्डिंग्स मामले में कोर्ट के फैसले का दारापुरी ने स्वागत किया है.

कई इलाकों में हुए थे हिंसक प्रदर्शन
सीएए के विरोध में 19 दिसंबर को शहर के खदरा, परिवर्तन चौक, हुसैनाबाद और कैसरबाग में उपद्रव और आगजनी हुई थी. इस दौरान उपद्रवियों ने साढ़े 4 करोड़ की सरकारी संपत्ति समेत निजी वाहनों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी. पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ सबूत भी इकट्ठे किये थे.

इसे भी पढ़ें:- CAA प्रदर्शनकारियों की मदद करेगा AMU में बना कानूनी सहायता डेस्क

देर रात लगवाई गई थी होल्डिंग
जिला प्रशासन ने पिछले गुरुवार को आरोपियों के नाम, तस्वीर और पते दर्ज किए होर्डिंग पूरे शहर भर में लगवा दिए. इसमें पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, सामाजिक कार्यकर्ता और अभिनत्री सदर जफर का नाम भी शामिल है. होर्डिंग्स में सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान का विवरण भी है. होर्डिंग्स में तय समय के अंदर नुकसान की भरपाई करने को कहा गया है. साथ ही लिखा है कि अगर ये लोग जुर्माना नहीं देते हैं, तो इनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी.

इसे भी पढ़ें:- CAA और NRC का विरोध, लेकिन हिंसा का समर्थन नहीं : शिवपाल यादव

हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फैसला सुनाया कि 16 मार्च से पहले पूरे शहर से होर्डिंग हटा ली जाए. साथ ही कमिश्नर और डीएम इसकी आख्या प्रस्तुत करें. कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर किसी के पर्सनल डाटा और फोटो प्रदर्शित करना अनुच्छेद 21 के तहत निजता एवं जीवन के मूल अधिकार का उल्लंघन है.

इसे भी पढ़ें:- प्रदर्शनकारियों के पोस्टर मामले में हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद योगी सरकार पर हमलावर हुई कांग्रेस

पूर्व आईपीएस ने दिया बयान
होर्डिंग्स में शामिल पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट ने प्रदेश की योगी सरकार को सही आइना दिखाया है. जिस दिन यह वारदात हुई, उस दिन मुझे घर में नजरबंद किया गया था. घटना में शामिल न होते हुए भी मुझे जबरदस्ती आरोपी बनाया गया.

योगी सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी
एसआर दारापुरी ने कहा कि कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश में कानून का राज चलेगा, योगी सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी. 6 मार्च को ही मैंने लखनऊ के जिला प्रशासन को एक लेटर लिखकर कहा था कि शहर में लगी होर्डिंग हटा ली जाए. यह हमारी निजता के अधिकार का मामला है. अगर हमारे परिवार के साथ कुछ गलत हुआ, तो उसके लिए जिला प्रशासन जिम्मदार होगा.

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नहीं चलेगी अराजकता
सामाजिक कार्यकर्ता सदर जफर ने कहा कि होर्डिंग लगाने का काम पूरी तरह से असंवैधानिक है. हमारा जो नुकसान होना था, वह हो गया. केंद्र और प्रदेश सरकार को संकेत मिल गया कि सरकार कानून के तहत चलेगी, अराजकता नहीं बर्दाश्त की जाएगी.

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30 दिन में भरना होगा जुर्माना
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया था कि मजिस्ट्रेट की कोर्ट से आदेश जारी है कि 30 दिनों के अंदर हिंसा में पाए गए दोषियों को धनराशि जमा करनी होगी. अगर उन्होंने नुकसान की भरपाई नहीं की, तो उनकी संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी.

इसे भी पढ़ें:- CAA हिंसा के आरोपियों के होर्डिंग हटाने के आदेश पर बोली भाजपा, खुला है SC जाने का विकल्प

लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पिछले साल दिसंबर में कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. राजधानी लखनऊ में भी 19 दिसंबर को हिंसक प्रदर्शन और आगजनी हुई थी. इस प्रदर्शन में करोड़ों की सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ था. सीएम योगी ने इस पर सख्त रूख अपनाते हुए प्रदर्शनों में शामिल उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई के आदेश दिए थे. वहीं मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 16 मार्च से पहले होर्डिंग्स हटाने को कहा है. वहीं होर्डिंग्स में शामिल पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.

सीएए प्रदर्शन में उपद्रवियों के होर्डिंग्स मामले में कोर्ट के फैसले का दारापुरी ने स्वागत किया है.

कई इलाकों में हुए थे हिंसक प्रदर्शन
सीएए के विरोध में 19 दिसंबर को शहर के खदरा, परिवर्तन चौक, हुसैनाबाद और कैसरबाग में उपद्रव और आगजनी हुई थी. इस दौरान उपद्रवियों ने साढ़े 4 करोड़ की सरकारी संपत्ति समेत निजी वाहनों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी. पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ सबूत भी इकट्ठे किये थे.

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देर रात लगवाई गई थी होल्डिंग
जिला प्रशासन ने पिछले गुरुवार को आरोपियों के नाम, तस्वीर और पते दर्ज किए होर्डिंग पूरे शहर भर में लगवा दिए. इसमें पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, सामाजिक कार्यकर्ता और अभिनत्री सदर जफर का नाम भी शामिल है. होर्डिंग्स में सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान का विवरण भी है. होर्डिंग्स में तय समय के अंदर नुकसान की भरपाई करने को कहा गया है. साथ ही लिखा है कि अगर ये लोग जुर्माना नहीं देते हैं, तो इनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी.

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हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फैसला सुनाया कि 16 मार्च से पहले पूरे शहर से होर्डिंग हटा ली जाए. साथ ही कमिश्नर और डीएम इसकी आख्या प्रस्तुत करें. कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर किसी के पर्सनल डाटा और फोटो प्रदर्शित करना अनुच्छेद 21 के तहत निजता एवं जीवन के मूल अधिकार का उल्लंघन है.

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पूर्व आईपीएस ने दिया बयान
होर्डिंग्स में शामिल पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट ने प्रदेश की योगी सरकार को सही आइना दिखाया है. जिस दिन यह वारदात हुई, उस दिन मुझे घर में नजरबंद किया गया था. घटना में शामिल न होते हुए भी मुझे जबरदस्ती आरोपी बनाया गया.

योगी सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी
एसआर दारापुरी ने कहा कि कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश में कानून का राज चलेगा, योगी सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी. 6 मार्च को ही मैंने लखनऊ के जिला प्रशासन को एक लेटर लिखकर कहा था कि शहर में लगी होर्डिंग हटा ली जाए. यह हमारी निजता के अधिकार का मामला है. अगर हमारे परिवार के साथ कुछ गलत हुआ, तो उसके लिए जिला प्रशासन जिम्मदार होगा.

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नहीं चलेगी अराजकता
सामाजिक कार्यकर्ता सदर जफर ने कहा कि होर्डिंग लगाने का काम पूरी तरह से असंवैधानिक है. हमारा जो नुकसान होना था, वह हो गया. केंद्र और प्रदेश सरकार को संकेत मिल गया कि सरकार कानून के तहत चलेगी, अराजकता नहीं बर्दाश्त की जाएगी.

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30 दिन में भरना होगा जुर्माना
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया था कि मजिस्ट्रेट की कोर्ट से आदेश जारी है कि 30 दिनों के अंदर हिंसा में पाए गए दोषियों को धनराशि जमा करनी होगी. अगर उन्होंने नुकसान की भरपाई नहीं की, तो उनकी संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी.

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