लखनऊ : अखिलेश सरकार में हुए बहुचर्चित खनन घोटाले की जांच में पूर्व आईएएस सत्येंद्र सिंह बुरी तरह फंस गए हैं. ईडी ने पूर्व आईएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह का बैंक से कई बेनामी संपत्तियों का ब्यौरा इकट्ठा किया है. इस जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी सत्येंद्र सिंह की संपत्तियों को अटैच करने का मन बना रही है.
मालूम हो कि सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति खनन मामले में पहले से ही जेल में हैं. ईडी उनकी भी बेनामी संपत्ति अटैच करने जा रही है. इतना ही नहीं, ईडी द्वारा गायत्री से की गई पूछताछ में कुछ अधिकारियों के नाम भी सामने आए हैं. ऐसे में अब तथ्यों के आधार पर तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका की पड़ताल भी की जा रही है. इस कार्रवाई से ऐसा मालूम होता है कि बहुत जल्द इन पर भी शिकंजा कसा जाएगा.
डीएम सत्येंद्र सिंह पर लगा ये गंभीर आरोप
ईडी के अफसरों की मानें तो वर्ष 2012 से 2014 के मध्य कौशांबी के डीएम सत्येंद्र सिंह ने गलत ढंग से खनन पट्टे आवंटित किए थे. ईडी ने सत्येंद्र सिंह व अन्य के विरुद्ध सीबीआई से भी कुछ अहम जानकारियां मांगी हैं. सीबीआई ने बीते दिनों सत्येंद्र सिंह समेत अन्य आरोपियों के ठिकानों पर छापा मारा था और सत्येंद्र सिंह की कई बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए थे. ईडी इन सब तथ्यों की पड़ताल शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि सत्येंद्र सिंह अभी देश से बाहर हैं. यही कारण है कि अभी तक पूछताछ के लिए उन्हें तलब नहीं किया जा सका है.
इन लोगों पर भी गिर सकती है गाज
कौशांबी में खनन घोटाले से जुड़े कुछ सप्लायरों की भूमिका की भी जांच की जा रही है. बताया जा रहा है कि यह सभी डीएम सत्येंद्र सिंह के संपर्क में थे. इसी आधार पर ईडी ने तत्कालीन डीएम सत्येंद्र सिंह पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. वहीं, हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी चंद्रकला फतेहपुर के तत्कालीन डीएम अभय सिंह व देवरिया के तत्कालीन डीएम विवेक की भूमिका की भी जांच चल रही है.
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यह है मामला
हाईकोर्ट के आदेश पर खनन घोटाले की सीबीआई जांच शुरू की गई थी. सपा सरकार के दौरान वर्ष 2012 से 2016 के मध्य हुए अवैध खनन की सीबीआई जांच शुरू होने के बाद ईडी ने खनन घोटाले के आरोपियों के विरुद्ध प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था.