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भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व आवास आयुक्त की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

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Published : Feb 6, 2021, 7:56 PM IST

राजधानी लखनऊ में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज विनय कुमार सिंह ने दूरसंचार विभाग को आवंटित जमीन का ले-आउट परिवर्तित कर निजी बिल्डर्स को सौंपने के मामले में तत्कालीन आवास आयुक्त बाबू राम की दूसरी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है.

लखनऊ कोर्ट (फाइल फोटो)
लखनऊ कोर्ट (फाइल फोटो)

लखनऊ: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज विनय कुमार सिंह ने दूरसंचार विभाग को आवंटित जमीन का ले-आउट परिवर्तित कर निजी बिल्डर्स को सौंपने के मामले में तत्कालीन आवास आयुक्त बाबू राम की दूसरी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. 4 अक्टूबर 2019 को अभियुक्त की पहली अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हुई थी. आईएएस बाबू राम अब रिटायर हो चुके हैं.

सरकारी वकील अभय त्रिपाठी के मुताबिक 18 जून 2010 को इस मामले की एफआईआर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के निरीक्षक आरके मिश्रा ने थाना गाजीपुर में दर्ज कराई थी. आवास विकास परिषद की इंदिरा नगर विस्तार योजना सेक्टर-24 में दूरसंचार विभाग को एक भूखंड आवंटित हुआ था. 9 नवंबर 1983 को इस भूखंड का 15 लाख 15 हजार 625 रुपया दूरसंचार विभाग ने जमा भी कर दिया था.

अब सिर्फ दूरसंचार विभाग को भूखंड का कब्जा देना शेष रह गया था, लेकिन बाद में एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत इस भूखंड का ले-आउट परिवर्तित कर निजी बिल्डर्स को जरिए नीलामी सौंप दी गई. विवेचना के दौरान इस मामले में तत्कालीन आवास आयुक्त बाबू राम का नाम भी प्रकाश में आया. विवेचना के उपरांत बाबू राम के अलावा आवास विकास के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता जितेंद्र प्रकाश शारदा व मुख्य वासुविद नियोजक अरुण कुमार पचौरी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 467, 468, 471 व 120बी के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी व 13 (2) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया.

लखनऊ: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज विनय कुमार सिंह ने दूरसंचार विभाग को आवंटित जमीन का ले-आउट परिवर्तित कर निजी बिल्डर्स को सौंपने के मामले में तत्कालीन आवास आयुक्त बाबू राम की दूसरी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. 4 अक्टूबर 2019 को अभियुक्त की पहली अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हुई थी. आईएएस बाबू राम अब रिटायर हो चुके हैं.

सरकारी वकील अभय त्रिपाठी के मुताबिक 18 जून 2010 को इस मामले की एफआईआर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के निरीक्षक आरके मिश्रा ने थाना गाजीपुर में दर्ज कराई थी. आवास विकास परिषद की इंदिरा नगर विस्तार योजना सेक्टर-24 में दूरसंचार विभाग को एक भूखंड आवंटित हुआ था. 9 नवंबर 1983 को इस भूखंड का 15 लाख 15 हजार 625 रुपया दूरसंचार विभाग ने जमा भी कर दिया था.

अब सिर्फ दूरसंचार विभाग को भूखंड का कब्जा देना शेष रह गया था, लेकिन बाद में एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत इस भूखंड का ले-आउट परिवर्तित कर निजी बिल्डर्स को जरिए नीलामी सौंप दी गई. विवेचना के दौरान इस मामले में तत्कालीन आवास आयुक्त बाबू राम का नाम भी प्रकाश में आया. विवेचना के उपरांत बाबू राम के अलावा आवास विकास के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता जितेंद्र प्रकाश शारदा व मुख्य वासुविद नियोजक अरुण कुमार पचौरी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 467, 468, 471 व 120बी के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी व 13 (2) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया.

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