लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी नेता राम नाईक ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में हिंदू राष्ट्र की अवधारणा पर बात करना सबका अपना-अपना विषय हो सकता है. मगर, देश संविधान के आधार पर चल रहा है. संविधान के आधार पर ही बात होनी चाहिए. बाकी सब को अपनी अभिव्यक्ति का अधिकार है. समान नागरिक संहिता को लेकर राम नाईक ने कहा कि सर्वसम्मति के तहत ही इस पर निर्णय होना चाहिए.
उत्तर प्रदेश में अपने राज्यपाल कार्यकाल का जिक्र करते हुए राम नाईक ने कहा कि 'मैंने अपने समय में अंग्रेजी को कुछ अलग ही रखा हुआ था. उन्होंने कहा कि बाहर के लोग उत्तर प्रदेश को प्रश्न प्रदेश कहा करते थे. मैंने कोशिश की कि उत्तर प्रदेश की पहचान उत्तर देने वाली हो. राजभवन में लोगों के लिए खुला रखा. मेरे कार्यकाल में 30,000 से अधिक लोग राजभवन में प्रत्यक्ष रूप से मुझसे मिलने आए'.
राम नाईक ने कहा कि 'उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति बहुत खराब रही थी. मैंने उस पर काम किया था. मैंने केंद्र और राज्य के बीच सेतु का काम किया. 30 हजार से ज्यादा लोगों से मिला था. उच्च शिक्षा में दीक्षा समारोह समय से हो. जिसके लिए मैंने सत्र सुधारा. सभी 26 यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह समय से हुए. दीक्षा समारोह में भारतीय संस्कृति के परिधान पहने गए. लॉ आर्डर को लेकर बड़े शहरों में पुलिस कमीशनरेट का आगाज हुआ'.
भारतीय जनता पार्टी में वर्तमान में उनकी क्या भूमिका है इस पर राम नाईक ने कहा कि 'मैं आज उत्तर प्रदेश के कार्यालय में बैठकर पत्रकार वार्ता कर रहा हूं, क्या आप इसको कोई छोटी भूमिका मानते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की स्थितियों से व्यस्त रोजाना अवगत होते हैं. राज्य सरकार पर इसमें जो भी बयान जारी करती है जो भी प्रेस विग्यप्ति जारी करती है व रोजाना उन तक जरूर पहुंचती हैं. उत्तर प्रदेश में यूनिवर्सिटी समिति के आयोजन को लेकर भी उन्होंने सरकार की तारीफ की. इस प्रेस वार्ता में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित, प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद श्रीवास्तव और सह मीडिया प्रभारी हिमांशु दुबे भी मौजूद रहे'.
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