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एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी, आम लोग भी खरीद सकेंगे पौधे

भारतीय किस्म के गुलाब की विभिन्न प्रजातियों को बढ़ावा देने के लिए एनबीआरआई की ओर से 20 और 21 जनवरी को गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी लगाई जाएगी. प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को भारतीय फूलों की किस्मों की उगाने के प्रति जागरूक किया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 3, 2024, 5:09 PM IST

एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी. देखें खबर

लखनऊ : भारतीय किस्म की गुलाब की प्रजातियों को बढ़ावा देने के लिए एनबीआरआई ने पहल की है. बात अगर गुलाब की आती है तो हॉलैंड से सबसे अधिक आयात निर्यात होता है भारत में भी गुलाब की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल इत्र या गुलाब जल बनाने में बहुत कम मात्रा में होता है. इन्हीं की संख्या बढ़ाने के लिए एनबीआरआई ने भारतीय गुलाबों की प्रजातियां को बढ़ावा देने के लिए नई शुरुआत की है. ताकि फूलों की खेती कर रहे किसान बाहरी देशों की प्रजातियों को न उगाकर भारतीय किस्म के गुलाब की प्रजातियों की खेती करें और भारतीय गुलाब को बढ़ावा दें. इसी के तहतस 20 और 21 जनवरी को एनबीआरआई द्वारा गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इस प्रदर्शनी में प्रतियोगिता भी होगी. प्रदर्शनी में किसानों को जागरूक किया जाएगा. प्रदर्शनी में आम पब्लिक भी आ सकेंगे. इस प्रदर्शनी में सेमिनार आयोजित होगा. जिसमें प्रदेशभर के नर्सरी से लोग शामिल होंगे. सेमिनार में भारतीय गुलाब की अनेकों प्रजातियों के बारे में लोगों को बताया जाएगा.


एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी.
एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी.



भारतीय गुलाब की प्रजातियों को जानें : एनबीआरआई के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने बताया कि राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) में हर साल फूलों की प्रदर्शनी लगाई जाती है. एनबीआरआई एक ऐसा संस्थान है जहां पर हर प्रजाति के फूल पौधे लगे होते हैं और उनके प्रयोगशालाओं में विभिन्न तरह की प्रजातियों को रखा जाता है. इस बार गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इस प्रदर्शनी में गुलाब और ग्लैडियोलस की विभिन्न प्रजातियां को दिखाया जाता है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर हम देखते हैं कि हमारे किसान जिन फूलों की खेती करते हैं वह दूसरे देश के फूलों की प्रजातियां होती हैं, लेकिन हमारी कोशिश यही है कि अधिक से अधिक किसानों को और आम जनमानस को भारतीय गुलाब की प्रजातियों को लेकर जागरूक कर सकें.

एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी.
एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी.

सीरिया का दमिश्क गुलाब : डॉ. शासनी ने कहा कि यह सच है कि भारतीय गुलाबों की प्रजातियां बहुत अच्छी होती हैं. छोटे-छोटे फूल सुनहरे लाल रंग में होते हैं, जिनकी खुशबू लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है, लेकिन इनका इस्तेमाल इत्र और गुलाब जल के लिहाज से बहुत कम मात्रा में होता है. जिसके कारण ज्यादातर किसान भारतीय गुलाब की खेती काम करते हैं या न के बराबर करते हैं. सीरिया के दमिश्क गुलाब से सबसे अधिक इत्र और गुलाब जल इत्यादि बनाया जाता है. आमतौर पर यह दमिश्क गुलाब के रूप में जाना जाता है या कभी-कभी ईरानी गुलाब, बल्गेरियाई गुलाब, तुर्की गुलाब, ताइफ़ गुलाब, अरब गुलाब, इस्पहान गुलाब और कैस्टिले गुलाब के रूप में जाना जाता है.


हॉलैंड से होता है अत्यधिक आयात निर्यात : डॉ. अजित कुमार शासनी ने बताया कि एनबीआरआई के गार्डन में देश-विदेश के तमाम गुलाब के फूलों के प्रजातियां विकसित की जाती हैं. जिन्हें प्रदर्शनी में दिखाया जाएगा. लोग एक से बढ़कर एक गुलाब के फूलों की प्रजातियां से रूबरू होंगे. सबसे अधिक फूलों की प्रजातियां हॉलैंड से आती हैं. हॉलैंड से अत्यधिक आयात निर्यात होता रहता है. एनबीआरआई के गार्डन में एक से बढ़कर एक गुलाब की प्रजातियां हैं. इस बार प्रदर्शनी में एक ऐसे फूल दिखाए जाएंगे, जिसे गुलदस्ता में लंबी अवधि तक के लिए रखा जा सकता है. यह एक भारतीय खुशबूदार गुलाब की प्रजाति है. बहुत से लोग अपने घरों में गुलदस्ते में फूल सजाना पसंद करते हैं. आमतौर पर एक-दो दिन में फूल सूखने लगते हैं और उनकी सुंदरता काम हो जाती है, लेकिन इस भारतीय खुशबूदार गुलाब की बात अलग है. यह एक अनोखी प्रजाती है. इस प्रजाति का नाम अभी बताया नहीं गया है. इसे प्रदर्शनी में आम जनमानस के लिए लगाया जाएगा.

विदेशी फूलों की लागत अधिक : डॉ. अजित कुमार शासनी के अनुसार भारतीय किसान जो फूलों की खेती करते हैं उन्हें भारतीय गुलाब की प्रजातियों के बारे में प्रदर्शनी में बताया जाएगा. ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि किसानों को बाहरी देश से फूलों की प्रजातियां मंगवाने में अत्यधिक लागत चुकानी पड़ती है. अपने ही देश के गुलाब के फूलों की प्रजातियां को अगर यह विकसित करेंगे खेती करेंगे तो इससे वह लाभान्वित भी होंगे और भारतीय पुष्प को ऊंचाई पर भी पहुंचने का हुनर रखते हैं. इसलिए किसानों को भारतीय प्रजाति के गुलाबों की अहमियत बताने का काम लगातार एनबीआरआई कर रहा है. बाहरी देशों से आने वाले फूलों के लिए किसानों को ज्यादा लागत चुकानी पड़ती है.


यह भी पढ़ें : एनबीआरआई में लगी पुष्प प्रदर्शनी, देखने पहुंचे दर्शक

लखनऊ: एनबीआरआई के सेंट्रल लॉन में फैली गुलाब और ग्लेडियोलस की खुशबू, उमड़े दर्शक

एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी. देखें खबर

लखनऊ : भारतीय किस्म की गुलाब की प्रजातियों को बढ़ावा देने के लिए एनबीआरआई ने पहल की है. बात अगर गुलाब की आती है तो हॉलैंड से सबसे अधिक आयात निर्यात होता है भारत में भी गुलाब की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल इत्र या गुलाब जल बनाने में बहुत कम मात्रा में होता है. इन्हीं की संख्या बढ़ाने के लिए एनबीआरआई ने भारतीय गुलाबों की प्रजातियां को बढ़ावा देने के लिए नई शुरुआत की है. ताकि फूलों की खेती कर रहे किसान बाहरी देशों की प्रजातियों को न उगाकर भारतीय किस्म के गुलाब की प्रजातियों की खेती करें और भारतीय गुलाब को बढ़ावा दें. इसी के तहतस 20 और 21 जनवरी को एनबीआरआई द्वारा गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इस प्रदर्शनी में प्रतियोगिता भी होगी. प्रदर्शनी में किसानों को जागरूक किया जाएगा. प्रदर्शनी में आम पब्लिक भी आ सकेंगे. इस प्रदर्शनी में सेमिनार आयोजित होगा. जिसमें प्रदेशभर के नर्सरी से लोग शामिल होंगे. सेमिनार में भारतीय गुलाब की अनेकों प्रजातियों के बारे में लोगों को बताया जाएगा.


एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी.
एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी.



भारतीय गुलाब की प्रजातियों को जानें : एनबीआरआई के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने बताया कि राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) में हर साल फूलों की प्रदर्शनी लगाई जाती है. एनबीआरआई एक ऐसा संस्थान है जहां पर हर प्रजाति के फूल पौधे लगे होते हैं और उनके प्रयोगशालाओं में विभिन्न तरह की प्रजातियों को रखा जाता है. इस बार गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इस प्रदर्शनी में गुलाब और ग्लैडियोलस की विभिन्न प्रजातियां को दिखाया जाता है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर हम देखते हैं कि हमारे किसान जिन फूलों की खेती करते हैं वह दूसरे देश के फूलों की प्रजातियां होती हैं, लेकिन हमारी कोशिश यही है कि अधिक से अधिक किसानों को और आम जनमानस को भारतीय गुलाब की प्रजातियों को लेकर जागरूक कर सकें.

एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी.
एनबीआरआई लखनऊ में लगेगी गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी.

सीरिया का दमिश्क गुलाब : डॉ. शासनी ने कहा कि यह सच है कि भारतीय गुलाबों की प्रजातियां बहुत अच्छी होती हैं. छोटे-छोटे फूल सुनहरे लाल रंग में होते हैं, जिनकी खुशबू लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है, लेकिन इनका इस्तेमाल इत्र और गुलाब जल के लिहाज से बहुत कम मात्रा में होता है. जिसके कारण ज्यादातर किसान भारतीय गुलाब की खेती काम करते हैं या न के बराबर करते हैं. सीरिया के दमिश्क गुलाब से सबसे अधिक इत्र और गुलाब जल इत्यादि बनाया जाता है. आमतौर पर यह दमिश्क गुलाब के रूप में जाना जाता है या कभी-कभी ईरानी गुलाब, बल्गेरियाई गुलाब, तुर्की गुलाब, ताइफ़ गुलाब, अरब गुलाब, इस्पहान गुलाब और कैस्टिले गुलाब के रूप में जाना जाता है.


हॉलैंड से होता है अत्यधिक आयात निर्यात : डॉ. अजित कुमार शासनी ने बताया कि एनबीआरआई के गार्डन में देश-विदेश के तमाम गुलाब के फूलों के प्रजातियां विकसित की जाती हैं. जिन्हें प्रदर्शनी में दिखाया जाएगा. लोग एक से बढ़कर एक गुलाब के फूलों की प्रजातियां से रूबरू होंगे. सबसे अधिक फूलों की प्रजातियां हॉलैंड से आती हैं. हॉलैंड से अत्यधिक आयात निर्यात होता रहता है. एनबीआरआई के गार्डन में एक से बढ़कर एक गुलाब की प्रजातियां हैं. इस बार प्रदर्शनी में एक ऐसे फूल दिखाए जाएंगे, जिसे गुलदस्ता में लंबी अवधि तक के लिए रखा जा सकता है. यह एक भारतीय खुशबूदार गुलाब की प्रजाति है. बहुत से लोग अपने घरों में गुलदस्ते में फूल सजाना पसंद करते हैं. आमतौर पर एक-दो दिन में फूल सूखने लगते हैं और उनकी सुंदरता काम हो जाती है, लेकिन इस भारतीय खुशबूदार गुलाब की बात अलग है. यह एक अनोखी प्रजाती है. इस प्रजाति का नाम अभी बताया नहीं गया है. इसे प्रदर्शनी में आम जनमानस के लिए लगाया जाएगा.

विदेशी फूलों की लागत अधिक : डॉ. अजित कुमार शासनी के अनुसार भारतीय किसान जो फूलों की खेती करते हैं उन्हें भारतीय गुलाब की प्रजातियों के बारे में प्रदर्शनी में बताया जाएगा. ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि किसानों को बाहरी देश से फूलों की प्रजातियां मंगवाने में अत्यधिक लागत चुकानी पड़ती है. अपने ही देश के गुलाब के फूलों की प्रजातियां को अगर यह विकसित करेंगे खेती करेंगे तो इससे वह लाभान्वित भी होंगे और भारतीय पुष्प को ऊंचाई पर भी पहुंचने का हुनर रखते हैं. इसलिए किसानों को भारतीय प्रजाति के गुलाबों की अहमियत बताने का काम लगातार एनबीआरआई कर रहा है. बाहरी देशों से आने वाले फूलों के लिए किसानों को ज्यादा लागत चुकानी पड़ती है.


यह भी पढ़ें : एनबीआरआई में लगी पुष्प प्रदर्शनी, देखने पहुंचे दर्शक

लखनऊ: एनबीआरआई के सेंट्रल लॉन में फैली गुलाब और ग्लेडियोलस की खुशबू, उमड़े दर्शक

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