लखनऊ: देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. यह लॉकडाउन लोगों की जिंदगी तो बचा रहा है, लेकिन इससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई है. लोगों के व्यापार और उद्योग-धंधों पर ब्रेक लग गया है, जिससे दो पैसे की आमदनी भी ठप हो गई है. कुछ यहीं हाल राजधानी में फूल व्यवसायियों का है. देखें लॉकडाउन में फूलों के ठप कारोबार पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
दरअसल, लॉकडाउन में मंदिर, मस्जिद, चर्च समेत सभी धार्मिक स्थलों पर ताला लग गया है. भक्त भी मंदिरों में जाने के बजाय घर पर ही भगवान की भक्ती में लीन हैं. सिर्फ पुजारी ही मंदिर में भगवान की पूजा कर कोरोना के कहर को जल्द से जल्द खत्म करने की प्रार्थना कर रहे हैं. धार्मिक स्थलों पर भक्तों के न आने से फूल भी मुरझा रहे हैं, क्योंकि न तो उनको कोई खरीददार मिल रहा है और न ही वह भगवान के चरणों को स्पर्श कर पा रहे हैं.
नहीं हो रहा फूलों का व्यापार
बता दें कि लॉकडाउन में फूलों का कारोबार भी ठप पड़ा है. सूबे की राजधानी में फूल के व्यवसायियों का बुरा हाल है. फूलों की खपत मंदिरों में बड़ी मात्रा में होती है. मंदिरों के अलावा विवाह और अन्य कार्यक्रमों के दौरान फूलों का उपयोग किया जाता है. 14 अप्रैल तक खरमास होने की वजह से हिंदू धर्म में शादियों का आयोजन नहीं होता है. मुस्लिम समाज ने लॉकडाउन की वजह से शादियों का आयोजन स्थगित कर दिया है. इसका भी सीधा असर फूल के बाजार पर पड़ रहा है.
किसान और व्यापारी दोनों परेशान
लखनऊ की फूल मंडी से शहर में ही नहीं बल्कि प्रदेश के आसपास के जिलों सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बाराबंकी, गोंडा और अयोध्या तक फूल की सप्लाई की जाती है, लेकिन इस समय सारा कारोबार ठप है, जिससे फूलों की खेती करने वाले किसान और व्यापारी दोनों का हाल बुरा है. इसे लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने कुछ किसानों से बात की.
जानें क्या बोले व्यापारी
राजधानी के चौक में फूलों के विक्रेता शकील अहमद कहते हैं कि वह सामान्य दिनों में एक से डेढ़ कुंतल फूल किसानों से खरीदते थे. इस वक्त एक किलो भी नहीं खरीद रहे हैं. एक रुपये का भी व्यापार नहीं हो रहा है. शकील अहमद कहते हैं कि किसान हम व्यापारियों से फूल खरीदने का आग्रह कर रहे हैं, लेकिन बाजार में खपत नहीं होने की वजह से हम लोग फूल नहीं खरीद सकते.
शकील अहमद ने बताया कि इस समय किसान गेंदे के फूल को तोड़-तोड़ कर फेंक रहे हैं. गुलाब की खेती में किसान तोड़कर उसे सुखा कर बेच सकते हैं, लेकिन जो गेंदे के फूल के किसान हैं, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
वहीं मनकामेश्वर मंदिर के पास फूल बेचने वाले बलजीत ने बताया कि सामान्य दिनों में 500 से हजार रुपये तक का फूल बेच लेते थे, लेकिन आज हमारी दुकानदारी 50 से 100 रुपये तक की रह गई है. बलजीत ने बताया कि अब हमारे पास पूंजी भी नहीं बची है, जो पूंजी थी वह सब धीरे-धीरे करके समाप्त हो रही है.