लखनऊ : उत्तर प्रदेश की नदियों के डेल्टा पर अतिक्रमण, बड़ी नदियों के आसपास अंधाधुंध निर्माण कभी भी उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में बाढ़ की स्थिति को भयावह बना सकते हैं. जिस तरह से बड़े शहरों दिल्ली और अहमदाबाद में बाढ़ की स्थिति को पैदा हुई है. यह कोई नदियों के द्वारा उत्पन नहीं है. यह स्थिति शहरों के गलत प्लानिंग के कारण पैदा हो रही है. जिस तरह पहाड़ों पर मूसलाधार बारिश के बाद हथिनी कुंड बैराज के फाटक खोलने के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ा और अचानक से दिल्ली का एक हिस्सा बाढ़ में डूब गया. यह हालात बताते हैं कि हम अपने शहरों के विकास के नाम पर जिस तरह से नदियों और पानी के स्रोतों का शोषण कर रहे हैं. आने वाले समय में सभी बड़े शहर बाढ़ के चपेट में आते रहेंगे.
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग प्रोफेसरों का कहना है कि जिस तरह से शहरों का आधुनिकरण किया जा रहा है. उससे बाढ़ की समस्या आम होती जा रही है. विकास के नाम पर रिवर फ्रंट विकसित करने से नदी का वास्तविक स्वरूप बदला जा रहा है. शहरों में पानी के स्रोतों को बंद करके उन पर पक्के निर्माण कर दिए गए. जिससे पानी का रिसाव बहाव पूरी तरह से रुक गया है. ऐसे दशा से बाढ़ जैसी स्थिति में हालात बेकाबू और भयावह हो जाते हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर अजय आर्य का कहना है कि अर्बन फ्लडिंग का कांसेप्ट टाउनशिप की प्लानिंग से आया है. बीते एक दशक की बात करें तो हमने मुंबई की बाढ़, चेन्नई की बाढ़ देखी है. यह बाढ़ किसी नदी से नहीं आई थी. अचानक हुई बारिश से इन शहरों में वाॅटर लॉगिंग होने से बाढ़ की स्थिति पैदा हुई. मुंबई और चेन्नई की स्थिति सिर्फ शहर की प्लानिंग से जुड़ा हुई थी. आज हमारे महानगरों की प्लानिंग इस तरह से की जा रही है कि पानी निकासी के जो प्राकृतिक स्रोत होते हैं उन पर हम पक्के निर्माण कर दे रहे हैं. ऐसे में कई बार बारिश का पानी बाढ़ का रूप ले लेता है. दिल्ली में आई बाढ़ पानी के एक जगह इकट्ठा होने व उसके निकासी के रास्ते बंद होने का नतीजा है. ऐसा शहरों के विकास में जुटी हमारी डेवलपमेंट संस्थाएं शहरों की प्लानिंग करते समय इस समस्या को पूरी तरह से अनदेखा करने के कारण है.
प्रोफेसर अजय आर्य के अनुसार जनसंख्या विस्फोट के इस समय में हमारे बड़े शहरों पर सबसे अधिक दबाव बढ़ गया है. लोग रोजगार और बेहतर जिंदगी के तलाश में शहरों की तरफ आ रहे हैं. ऐसे में शहरों के पास पर्याप्त रिहायशी एरिया न होने के कारण, लोग नदियों व उसके आसपास के डेल्टा क्षेत्रों पर निर्माण करते जा रहे हैं. इसके साथ ही नगर निगम और डेवलपमेंट से जुड़ी संस्थाएं शहरों में पक्के फुटपाथ व आरसीसी रोड का निर्माण कर रही हैं. इससे जितना पानी जमीन के माध्यम से रिसकर धरती में चला जाना चाहिए वह प्रक्रिया पूरी तरह से बड़े शहरों में बंद हो चुकी है.