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इस बार एकेटीयू के दीक्षांत समारोह में पांच हजार कम छात्रों को मिलेगी डिग्री

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के 26 नवंबर को प्रस्तावित 20वें दीक्षान्त समारोह (convocation) में तकरीबन पांच हजार कम छात्रों को डिग्री मिलेगी. डिग्री लेने वाले इन छात्रों का दाखिला चार साल पहले हुआ था. जिन्हें चार साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस बार डिग्री दी जाएगी. इस बार कितने छात्रों को डिग्री दी जा रही है वह बीते 4 सालों की तुलना में 5000 के करीब कम है. पिछले सत्र में 53226 छात्रों को समारोह के दौरान डिग्रियां वितरित की गई थीं.

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Published : Nov 19, 2022, 5:44 PM IST

Updated : Nov 19, 2022, 6:36 PM IST

लखनऊः डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (Dr APJ Abdul Kalam Technical University) के 26 नवंबर को प्रस्तावित 20वें दीक्षान्त समारोह (convocation) में तकरीबन पांच हजार कम छात्रों को डिग्री मिलेगी. डिग्री लेने वाले इन छात्रों का दाखिला चार साल पहले हुआ था. जिन्हें चार साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस बार डिग्री दी जाएगी. इस बार कितने छात्रों को डिग्री दी जा रही है वह बीते 4 सालों की तुलना में 5000 के करीब कम है. पिछले सत्र में 53226 छात्रों को समारोह के दौरान डिग्रियां वितरित की गई थीं.

एक तरफ विवि प्रशासन काउंसिलिंग के जरिए सीटों को भरने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है. इसके बावजूद निजी काॅलेजों की छोड़िए, सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेजों में सीटें खाली पड़ी हैं. दूसरी तरफ विवि की तरफ से की गई बेतहाशा शुल्क बढ़ोतरी का नतीजा है कि प्रो. पाठक के कार्यकाल में एडमिशन पाए छात्रों में से पांच हजार छात्रों को कम डिग्री दी जा रही है. प्रो. पाठक के कार्यकाल में 24 मार्च 2018 को वित्त समिति की 50वीं बैठक में विवि प्रशासन ने बेतहाशा शुल्क बढ़ोत्तरी कर दी थी. इस बैठक में शिक्षण शुल्क 40000 हजार को बढ़ाकर 70000 हजार कर दिया गया था. एमटेक का शुल्क 25000 से बढ़ाकर 73200 कर दिया गया था. परीक्षा शुल्क में भी दोगुना वृद्धि की गई थी. बेतहाशा शुल्क बढ़ोतरी, काॅलेजों की बढ़ती संख्या और क्वॉलिटी ऑफ एजुकेशन की कमी के चलते धीरे-धीरे छात्रों की संख्या में कमी आती गई. जिसका नतीजा रहा कि इस बार विवि की तरफ से महज 48343 छात्रों को डिग्री दी जाएगी. पिछले सत्र में 53226 छात्रों को समारोह के दौरान डिग्रियां वितरित की गई थीं. कुल मिलाकर पिछले साल की अपेक्षा इस बार 4883 कम छात्रों को डिग्री दी जाएगी.

जानकारी देते कुलपति प्रोफेसर पीके मिश्रा.
विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. अनुराग त्रिपाठी (Controller of Examinations Prof. Anurag Tripathi) का कहना है कि इसे पीछे कई कारण हो सकते हैं. उस समय प्रवेश कम हुए होंगे या प्रवेश होने के बाद फेल छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी होगी, यह भी कारण हो सकते हैं या फिर बढ़ती प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है. प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि फीस के साथ ही कोरोना काल में काफी छात्रों ने पढ़ाई बीच में छोड़ दिया है. इसका भी असर देखने को मिला. इस मामले पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीके मिश्रा (Vice Chancellor Professor PK Mishra) का कहना है कि शुल्क बढ़ोतरी के कारण छात्रों की संख्या में कमी तो हुई है वहीं बीते कुछ सालों में कॉलेज विश्वविद्यालय के कार्यप्रणाली के कारण छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है.

यह भी पढ़ें : संपूर्ण समाधान दिवस पर मोबाइल में व्यस्त रहे अफसर, देखें Live Video

लखनऊः डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (Dr APJ Abdul Kalam Technical University) के 26 नवंबर को प्रस्तावित 20वें दीक्षान्त समारोह (convocation) में तकरीबन पांच हजार कम छात्रों को डिग्री मिलेगी. डिग्री लेने वाले इन छात्रों का दाखिला चार साल पहले हुआ था. जिन्हें चार साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस बार डिग्री दी जाएगी. इस बार कितने छात्रों को डिग्री दी जा रही है वह बीते 4 सालों की तुलना में 5000 के करीब कम है. पिछले सत्र में 53226 छात्रों को समारोह के दौरान डिग्रियां वितरित की गई थीं.

एक तरफ विवि प्रशासन काउंसिलिंग के जरिए सीटों को भरने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है. इसके बावजूद निजी काॅलेजों की छोड़िए, सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेजों में सीटें खाली पड़ी हैं. दूसरी तरफ विवि की तरफ से की गई बेतहाशा शुल्क बढ़ोतरी का नतीजा है कि प्रो. पाठक के कार्यकाल में एडमिशन पाए छात्रों में से पांच हजार छात्रों को कम डिग्री दी जा रही है. प्रो. पाठक के कार्यकाल में 24 मार्च 2018 को वित्त समिति की 50वीं बैठक में विवि प्रशासन ने बेतहाशा शुल्क बढ़ोत्तरी कर दी थी. इस बैठक में शिक्षण शुल्क 40000 हजार को बढ़ाकर 70000 हजार कर दिया गया था. एमटेक का शुल्क 25000 से बढ़ाकर 73200 कर दिया गया था. परीक्षा शुल्क में भी दोगुना वृद्धि की गई थी. बेतहाशा शुल्क बढ़ोतरी, काॅलेजों की बढ़ती संख्या और क्वॉलिटी ऑफ एजुकेशन की कमी के चलते धीरे-धीरे छात्रों की संख्या में कमी आती गई. जिसका नतीजा रहा कि इस बार विवि की तरफ से महज 48343 छात्रों को डिग्री दी जाएगी. पिछले सत्र में 53226 छात्रों को समारोह के दौरान डिग्रियां वितरित की गई थीं. कुल मिलाकर पिछले साल की अपेक्षा इस बार 4883 कम छात्रों को डिग्री दी जाएगी.

जानकारी देते कुलपति प्रोफेसर पीके मिश्रा.
विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. अनुराग त्रिपाठी (Controller of Examinations Prof. Anurag Tripathi) का कहना है कि इसे पीछे कई कारण हो सकते हैं. उस समय प्रवेश कम हुए होंगे या प्रवेश होने के बाद फेल छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी होगी, यह भी कारण हो सकते हैं या फिर बढ़ती प्राइवेट यूनिवर्सिटी की संख्या भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है. प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि फीस के साथ ही कोरोना काल में काफी छात्रों ने पढ़ाई बीच में छोड़ दिया है. इसका भी असर देखने को मिला. इस मामले पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीके मिश्रा (Vice Chancellor Professor PK Mishra) का कहना है कि शुल्क बढ़ोतरी के कारण छात्रों की संख्या में कमी तो हुई है वहीं बीते कुछ सालों में कॉलेज विश्वविद्यालय के कार्यप्रणाली के कारण छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है.

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Last Updated : Nov 19, 2022, 6:36 PM IST
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