लखनऊः देश की एकता, अखंडता एवं सामाजिक सौहार्द्र को विखंडित करने के आरोप में विस्फोटक सहित गिरफ्तार प्रतिबंधित आतंकी संगठन के सदस्य अब्दुल्लाह, रईस अहमद, नदीम, फुरकान एवं हुस्ना उर्फ हुसैना को एनआईए के विशेष न्यायाधीश मोहम्मद गजाली ने सात-सात वर्ष के कठोर कारावास और प्रत्येक को 5700 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है.
वर्ष 2014 की घटना से संबंधित इस मामले में विचारण के दौरान सभी आरोपियों ने अपना जुर्म स्वीकार किया तथा न्यायालय से रहम की मांग की. अदालत के समक्ष एनआईए की ओर से विशेष अधिवक्ता एमके सिंह का तर्क था कि 12 सितंबर 2014 को सुबह लिल्लो देवी निवासी जाटान मोहल्ला जिला बिजनौर के घर में आईईडी विस्फोट हुआ था. इसके बाद इस घर से 6 व्यक्ति निकलकर भाग गए. इनमें एक बुरी तरह से जला हुआ था, घटना के बाद सराफा बाजार जनपद बिजनौर के चौकी इंचार्ज उप निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह की सूचना पर एफएसएल फील्ड यूनिट की टीम व पुलिस फोर्स द्वारा मकान से विस्फोटक पदार्थ व अन्य आपत्तिजनक वस्तुएं प्राप्त की गई थी. मामले की जांच 24 अप्रैल 2015 को एनआईए को दी गई थी.
एनआईए की ओर से बताया गया कि विवेचना के बाद अभियुक्त हुसना उर्फ हुसैना, अब्दुल्लाह ,रईस अहमद, नदीम एवं फुरकान के विरुद्ध साक्ष्य मिले और 3 फरवरी 2018 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि यद्यपि अभियुक्तों को धारा 13, 18, 21 एवं 39 विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक आरोप में 7 वर्ष के कारावास की सजा से दंडित किया जा रहा है परंतु यह सभी सजाएं एक साथ चलेंगी एवं अभियुक्तों द्वारा पूर्व में बताई गई जेल की अवधि इस सजा में समायोजित होगी.
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