लखनऊ: कागज पर करीब 300 सड़कों को बनवाकर करोड़ों का भुगतान हजम करने के आरोप में लोक निर्माण विभाग के 5 जूनियर इंजीनियरों (Junior Engineer) को जल्द ही बर्खास्त किया जा सकता है. जांच में इनको दोषी ठहरा दिया गया है. इस मामले में दोषी मिले अधिशासी अभियंता आलोक रमन को पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है. साल 2017-18 और 2018-19 में बस्ती में 300 से ज्यादा सड़कों के निर्माण के लिए धनराशि दी गई थी. मुख्यालय की उच्चस्तरीय कमेटी ने अपनी जांच में 43.95 करोड़ रुपये का घोटाला पाया है. इस मामले में 17 अवर अभियंताओं को भी आरोपपत्र दिए गए थे. इनमें से एक अवर अभियंता की मौत हो गई. जबकि 6 अवर अभियंता बरी कर दिए गए.
पांच अवर अभियंताओं जितेंद्र कुमार विश्वकर्मा, कृष्ण कुमार राय, ओम प्रकाश, राम चंद्र वर्मा और शकील अहमद रिजवी को दोषी ठहराया गया. वहीं, पांच अन्य अवर अभियंताओं के खिलाफ जांच अभी प्रमुख अभियंता, ग्रामीण सड़क के स्तर पर ही लंबित है. इन पर भी दोष सिद्ध है, जो जेई दोषी ठहराए गए हैं, अब उनके खिलाफ पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष को कार्रवाई करनी है.
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ये है पूरा मामला: मामले की विस्तृत जांच पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता, ग्रामीण सड़क को सौंपी गई थी. शासन को भेजी उनकी रिपोर्ट में कहा गया था कि बस्ती में बड़े पैमाने पर धनराशि का एक मद से दूसरे मद में डायवर्जन किया गया. नियमानुसार, ऐसा नहीं किया जा सकता है. इसके लिए एक्सईएन आलोक रमण को जिम्मेदार ठहराते हुए यह भी कहा गया था कि उन्होंने उन सड़कों पर भी फंड डायवर्ट दिखाया, जो काम किसी स्तर से स्वीकृत नहीं थे.
जांच रिपोर्ट में दोष सिद्ध होने पर एक्सईएन आलोक रमण से उत्तर प्रदेश सरकारी सेवा (अनुशासन एवं अपील नियमावली)-1999 के तहत बर्खास्त किया जा चुका है. बता दें कि बस्ती में सड़क घपला सामने आने पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जांच के बाद कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे.
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