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राजकोषीय नीति से अर्थव्यवस्था पर कैसा पड़ेगा असर - अर्थव्यवस्था

2019 में प्रचंड बहुमत के बाद मोदी सरकार में वित्त मंत्री का कार्यभार संभाल रहीं निर्मला सीतारमण ने बीते शुक्रवार को आम बजट पेश किया. आम बजट पेश करने से पहले उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखा.

मौद्रिक नीति को भारतीय रिजर्व बैंक
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Published : Jul 7, 2019, 2:31 PM IST

लखनऊ : मौद्रिक नीति को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बनाता है. ठीक उसी प्रकार राजकोषीय नीति सरकार बनाती है. राजकोषीय नीति का अर्थ वित्त प्रबंधन के लिए खास उपायों को अपनाना है. इसकी मदद से सरकार खर्चों के स्तर और टैक्स की दरों को तय करती है. इसका व्यापक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. मौद्रिक नीति के जरिए ही केंद्रीय बैंक पैसों की आपूर्ति को नियंत्रित करता है और इन्हीं दोनों नीतियों से देश के आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने लिए इस्तेमाल किया जाता है.

मौद्रिक नीति को भारतीय रिजर्व बैंक


क्यों राजकोषीय घाटे को काबू में रखना चाहती है सरकार
2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीडीपी का 3.2 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य निर्धारित किया था. देश के राजकोषीय घाटे को काबू करना काफी कठिन हो जाता है, वहीं वित्तीय सेहत को बनाए रखने में ईंधन का खर्च काफी महत्वपूर्ण होता है. ईंधन भारत के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा है, जिसके लिए भारत सरकार को सबसे ज्यादा रकम डॉलर के रूप में चुकानी पड़ती है.


अर्थव्यवस्था की रफ्तार
जानकारों की मानें तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सार्वजनिक व्यय अधिक महत्वपूर्ण होता है. अधिक खर्च से चीजों की मांग बढ़ने से कारोबार में बढ़ावा मिलता है. जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा माना जाता है. सरकार ने फरवरी में 2019-20 के लिए पेश अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटा 7.03 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया था. आंकड़ों के मुताबिक सरकार की राजस्व प्राप्ति इतनी ही थी. हालांकि पूंजी व्यय बजटीय अनुमान का केवल 14.2 प्रतिशत रहा, जो एक साल पहले 21.3 प्रतिशत थी. वहीं सीजीए द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राजकोषीय घाटा 3,66,157 करोड़ रुपये रहा.


2019 का बजट पेश
भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनी निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में अपना बजट पेश किया. वित्त मंत्री ने इस बजट को हर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाया है. वहीं पेट्रोल, डीजल जैसी चीजों पर सेस बढ़ाए जाने के बाद कई चीजों का दाम बढ़ना भी तय था.

  • 1- किताबों पर कस्टम डयूटी पांच प्रतिशत बढ़ी.
  • 2- पेट्रोल की कीमतों में 2.45 रुपये और डीजल की कीमतों में 2.36 रुपये की बढ़ोतरी हो गई.
  • 3- पांच लाख की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
  • 4- ब्याज पर छूट की सीमा दो से बढ़कर 3.5 लाख हुई. वहीं हाउस लोन पर 3.5 लाख की छूट मिली है.
  • 5- 45 लाख का घर खरीदने पर 1.5 लाख की अतिरिक्त छूट दी गई है.
  • 6- आधार कार्ड से टैक्स का भुगतान किया जा सकता है.

जल सुरक्षा को सुनिश्चित करना
भारत में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है. पर्याप्त जल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने मुख्य कदम उठाया है. जल जीवन मिशन के तहत जल की मांग पर काम किया जाएगा.

लखनऊ : मौद्रिक नीति को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बनाता है. ठीक उसी प्रकार राजकोषीय नीति सरकार बनाती है. राजकोषीय नीति का अर्थ वित्त प्रबंधन के लिए खास उपायों को अपनाना है. इसकी मदद से सरकार खर्चों के स्तर और टैक्स की दरों को तय करती है. इसका व्यापक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. मौद्रिक नीति के जरिए ही केंद्रीय बैंक पैसों की आपूर्ति को नियंत्रित करता है और इन्हीं दोनों नीतियों से देश के आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने लिए इस्तेमाल किया जाता है.

मौद्रिक नीति को भारतीय रिजर्व बैंक


क्यों राजकोषीय घाटे को काबू में रखना चाहती है सरकार
2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीडीपी का 3.2 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य निर्धारित किया था. देश के राजकोषीय घाटे को काबू करना काफी कठिन हो जाता है, वहीं वित्तीय सेहत को बनाए रखने में ईंधन का खर्च काफी महत्वपूर्ण होता है. ईंधन भारत के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा है, जिसके लिए भारत सरकार को सबसे ज्यादा रकम डॉलर के रूप में चुकानी पड़ती है.


अर्थव्यवस्था की रफ्तार
जानकारों की मानें तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सार्वजनिक व्यय अधिक महत्वपूर्ण होता है. अधिक खर्च से चीजों की मांग बढ़ने से कारोबार में बढ़ावा मिलता है. जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा माना जाता है. सरकार ने फरवरी में 2019-20 के लिए पेश अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटा 7.03 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया था. आंकड़ों के मुताबिक सरकार की राजस्व प्राप्ति इतनी ही थी. हालांकि पूंजी व्यय बजटीय अनुमान का केवल 14.2 प्रतिशत रहा, जो एक साल पहले 21.3 प्रतिशत थी. वहीं सीजीए द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राजकोषीय घाटा 3,66,157 करोड़ रुपये रहा.


2019 का बजट पेश
भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनी निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में अपना बजट पेश किया. वित्त मंत्री ने इस बजट को हर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाया है. वहीं पेट्रोल, डीजल जैसी चीजों पर सेस बढ़ाए जाने के बाद कई चीजों का दाम बढ़ना भी तय था.

  • 1- किताबों पर कस्टम डयूटी पांच प्रतिशत बढ़ी.
  • 2- पेट्रोल की कीमतों में 2.45 रुपये और डीजल की कीमतों में 2.36 रुपये की बढ़ोतरी हो गई.
  • 3- पांच लाख की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
  • 4- ब्याज पर छूट की सीमा दो से बढ़कर 3.5 लाख हुई. वहीं हाउस लोन पर 3.5 लाख की छूट मिली है.
  • 5- 45 लाख का घर खरीदने पर 1.5 लाख की अतिरिक्त छूट दी गई है.
  • 6- आधार कार्ड से टैक्स का भुगतान किया जा सकता है.

जल सुरक्षा को सुनिश्चित करना
भारत में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है. पर्याप्त जल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने मुख्य कदम उठाया है. जल जीवन मिशन के तहत जल की मांग पर काम किया जाएगा.

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