लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक कोरोना मरीज के ठीक होने के बाद उसमें दोबारा कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद से ही तमाम चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कई रिसर्च और स्टडी कहती हैं कि किसी भी तरह से कोरोना वायरस के संक्रमण से संक्रमित मरीज के एक बार स्वस्थ होने के बाद दोबारा संक्रमण नहीं हुआ है. वहीं इस मरीज के सामने आने पर विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि मरीज के लक्षणों और कोविड-19 के स्ट्रेन की रिसर्च की जाएगी.
इस बारे में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मीडिया प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह कहते हैं कि एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें पुलिस कांस्टेबल में कोरोना के संक्रमण का दोहराव हुआ है. डॉ. सिंह के अनुसार, मरीज को अगस्त में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद उसको अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया गया था, इसके बाद सितंबर में दोबारा उसमें संक्रमण की पुष्टि हुई है. महेश को लोकबंधु अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. डॉक्टर सुधीर बताते हैं कि एक वजह यह भी हो सकती है कि मरीज में एंटीबॉडी न बनी हो या कम बनी हो इस वजह से दोबारा उसे कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ हो. मरीज के लक्षणों के बारे में लोकबंधु अस्पताल के डॉ. उपेंद्र कुमार बताते हैं कि मरीज को तेज बुखार आ रहा है. एक सबसे बड़ी वजह यही है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बुखार के इलाज के बाद मरीज का एंटीबॉडी टेस्ट करवाया जाएगा, ताकि संक्रमण की वजह साफ हो सके.
इस पूरे मामले पर संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर अनुपम कहते हैं कि इस तरह का संक्रमण अभी तक पूरी दुनिया में कहीं पर भी रिपोर्ट नहीं किया गया है. दुनिया भर में हांगकांग का सिर्फ एक मरीज कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक होने के 4 महीने बाद दोबारा पॉजिटिव मिला था. वह मरीज भी यूरोपीय देशों से लौटकर आया था. इसकी वजह से उस मरीज में भी कोरोना वायरस का दूसरा स्ट्रेन पाया गया था. शायद यही वजह अभी तक रही थी कि उसे दोबारा संक्रमण की पुष्टि हुई. प्रदेश में पाए गए मरीज में संक्रमण की पुष्टि की एक मुख्य वजह फॉल्स निगेटिव हो सकती है यानी rt-pcr की जांच में मरीज पॉजिटिव पाया गया है, जिसके बाद उसे दोबारा संक्रमित कहा जा रहा है.
डॉ. अनुपम के अनुसार एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि rt-pcr में जांच के दौरान क्रॉस कॉन्टेमिनेशन या फिर कोई टेक्निकल एरर भी शामिल हो गई हो. इसके अलावा कलेक्शन सेंटर पर किसी तरह का फॉल्स कंटामिनेशन भी इसमें शामिल है. उन्होंने बताया कि इसको पकड़ने का एक सबसे बेहतर उपाय एंटीबॉडी टेस्ट होता है, जिसमें इन सभी मामलों कि बेहतर जांच हो सकती है. डॉ. अनुपम के अनुसार rt-pcr के द्वारा एक व्यक्ति के संक्रमित होने के 3 हफ्ते से लेकर 3 महीने तक कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो सकती है. अब तक भारत भर में कहीं भी 3 महीने के बाद किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के दोबारा संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है.