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सूरत की घटना के बाद भी लखनऊ में नहीं सुधर रही कॉमर्शियल बिल्डिंगों की दशा

बिल्डिंगों में होने वाली आगजनी की घटनाओं के बाद भी बिल्डिंग मालिक अपनी लापरवाहियों पर लगाम नहीं लगा रहे हैं. हाल ही सूरत की एक कोचिंग में लगी आग से कई छात्रों की मौत हो गई. इससे पहले भी कई ऐसे हादसे हो चुके हैं, ऐसे में बिल्डिंग मालिकों को इस पर विराम लगाने के लिए फायर सेफ्टी यंत्र लगाना चाहिए.

बदहाल स्थिति में हैं लखनऊ की बिल्डिंगों के अग्निशामक यंत्र.
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Published : May 25, 2019, 11:54 PM IST

लखनऊ: सूरत के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से हुई छात्रों की मौत के बाद पूरे देश में भय व्याप्त है. वहीं इस घटना के बाद से बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को आग से बचाने के लिए बने सिस्टमों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ की बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को भी आग से बचाने वाले तंत्र सवालों के घेरे में हैं.

बदहाल स्थिति में हैं लखनऊ की बिल्डिंगों के अग्निशामक यंत्र.

क्या है लखनऊ की बिल्डिंगों का हाल

  • लखनऊ में 60% से अधिक बिल्डिंगें अवैध रूप से संचालित हैं, जिसमें बड़ी संख्या में कॉमर्शियल एक्टिविटी की जाती है.
  • कुछ बिल्डिंगों में फायर विभाग की ओर से एनओसी मिलने के बाद से सेफ्टी यंत्रों की देखभाल तक नहीं की जाती.
  • इन बिल्डिंगों में लगे संयंत्रों में बुरी तरह से कागज ठूंसे हुए हैं तो कहीं संयंत्रों को ही डस्टबिन बना दिया गया है.

क्या हैं मानक

  • हर कॉमर्शियल बिल्डिंग को अपने क्षेत्रपाल व ऊंचाई के अनुसार फायर सेफ्टी संयंत्र को लगाना अनिवार्य है.
  • बिना फायर सेफ्टी यंत्र लगाए बिल्डिंग को अवैध माना जाता है. ऐसे होने पर फायर सेफ्टी विभाग नोटिस जारी कर कार्रवाई कर सकता है.
  • इसके बाद भी फायर विभाग अपनी जिम्मेदारी निभा नहीं पा रहा है.

क्या हैं कार्रवाई के नियम

  • कार्रवाई के नाम पर विभाग सिर्फ नोटिस जारी कर और संबंधित विभाग को पत्राचार कर सूचित कर सकता है.
  • कई बार विभाग नोटिस जारी कर मुकदमा भी दर्ज करवाता है, लेकिन ऐसे मामलों में बिल्डिंग का मालिक छोटी सी रकम अदा करके सजा पाने से बच निकलता है.
  • सजा का कोई सीधा प्रावधान न होने के चलते बिल्डिंग मालिक भी बिल्डिंग में अग्निशमन यंत्र इंस्टॉल कराने में लापरवाही बरतते हैं.
  • इस लापरवाही के चलते बिल्डिंग पर हर समय खतरा मंडराता रहता है.

विभागीय आंकड़ों की बात करें तो नवंबर 2012 के बाद से अब तक लगभग 500 बिल्डिंगों को अग्निशमन विभाग की ओर से नोटिस जारी की गई है. इस पर कार्रवाई करते हुए 52 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं. अग्निशमन विभाग से एनओसी लेने के लिए 6 नवंबर 2018 के बाद से अब तक कुल 427 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 251 आवेदनों पर एनओसी जारी की गई है. 55 लोगों के आवेदनों को रिजेक्ट किया गया है, जबकि 91 आवेदनों पर ऑब्जेक्शन प्राप्त हुए हैं, वहीं 30 आवेदन लंबित हैं.

लखनऊ: सूरत के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से हुई छात्रों की मौत के बाद पूरे देश में भय व्याप्त है. वहीं इस घटना के बाद से बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को आग से बचाने के लिए बने सिस्टमों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ की बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को भी आग से बचाने वाले तंत्र सवालों के घेरे में हैं.

बदहाल स्थिति में हैं लखनऊ की बिल्डिंगों के अग्निशामक यंत्र.

क्या है लखनऊ की बिल्डिंगों का हाल

  • लखनऊ में 60% से अधिक बिल्डिंगें अवैध रूप से संचालित हैं, जिसमें बड़ी संख्या में कॉमर्शियल एक्टिविटी की जाती है.
  • कुछ बिल्डिंगों में फायर विभाग की ओर से एनओसी मिलने के बाद से सेफ्टी यंत्रों की देखभाल तक नहीं की जाती.
  • इन बिल्डिंगों में लगे संयंत्रों में बुरी तरह से कागज ठूंसे हुए हैं तो कहीं संयंत्रों को ही डस्टबिन बना दिया गया है.

क्या हैं मानक

  • हर कॉमर्शियल बिल्डिंग को अपने क्षेत्रपाल व ऊंचाई के अनुसार फायर सेफ्टी संयंत्र को लगाना अनिवार्य है.
  • बिना फायर सेफ्टी यंत्र लगाए बिल्डिंग को अवैध माना जाता है. ऐसे होने पर फायर सेफ्टी विभाग नोटिस जारी कर कार्रवाई कर सकता है.
  • इसके बाद भी फायर विभाग अपनी जिम्मेदारी निभा नहीं पा रहा है.

क्या हैं कार्रवाई के नियम

  • कार्रवाई के नाम पर विभाग सिर्फ नोटिस जारी कर और संबंधित विभाग को पत्राचार कर सूचित कर सकता है.
  • कई बार विभाग नोटिस जारी कर मुकदमा भी दर्ज करवाता है, लेकिन ऐसे मामलों में बिल्डिंग का मालिक छोटी सी रकम अदा करके सजा पाने से बच निकलता है.
  • सजा का कोई सीधा प्रावधान न होने के चलते बिल्डिंग मालिक भी बिल्डिंग में अग्निशमन यंत्र इंस्टॉल कराने में लापरवाही बरतते हैं.
  • इस लापरवाही के चलते बिल्डिंग पर हर समय खतरा मंडराता रहता है.

विभागीय आंकड़ों की बात करें तो नवंबर 2012 के बाद से अब तक लगभग 500 बिल्डिंगों को अग्निशमन विभाग की ओर से नोटिस जारी की गई है. इस पर कार्रवाई करते हुए 52 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं. अग्निशमन विभाग से एनओसी लेने के लिए 6 नवंबर 2018 के बाद से अब तक कुल 427 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 251 आवेदनों पर एनओसी जारी की गई है. 55 लोगों के आवेदनों को रिजेक्ट किया गया है, जबकि 91 आवेदनों पर ऑब्जेक्शन प्राप्त हुए हैं, वहीं 30 आवेदन लंबित हैं.

Intro:
एंकर


लखनऊ। नासिक के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से कई छात्र और छात्राओं की जान चली गई। जिस तरह के फुटेज नासिक के कोचिंग सेंटर से देखने को मिले पूरे देश में भय व्याप्त है। घटना के बाद से आग की घटना पर काबू पाने व घटना से बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को बचाने के लिए तैयार चल रहे सिस्टम पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। नासिक ही नहीं देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की राजधानी में भी बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को आग की घटना से बचाने के लिए बनाया गए तंत्र सवालों के घेरे में है। 






Body:वियो


राजधानी लखनऊ में 60% से अधिक बिल्डिंगें अवैध रूप से संचालित है जिसमें बड़ी संख्या में कमर्शियल एक्टिविटी की जाती है। जिन बिल्डिंगों को फायर विभाग से एनओसी मिली हुई है उन्होंने एक बार एनओसी लेने के लिए कुछ पैसा खर्च करके बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के यंत्र तो लगा रखे हैं लेकिन इन यंत्रों की न ही देख रखी जाती है और न ही इनकों संचालित करने के लिए बिल्डिंग में कोई कर्मचारी तैनात है। ऐसे में अगर आग की घटना इन बिल्डिंगों में लगती है तो तुरंत आग पर काबू पाने के लिए यह संयंत्र कारगर साबित नहीं होंगे। बिल्डिंगों में लगे बड़े-बड़े संयंत्र व आग को बुझाने के लिए की गई व्यवस्थाओं का आलम यह है कि कहीं आग बुझाने के लिए लगाए गए संयंत्रों में कागज ठूंसे हुए हैं तो कहीं संयंत्र को डस्टबिन बना दिया गया है। 



मानको की बात करें तो हर कमर्शियल बिल्डिंग को अपने क्षेत्रपाल व ऊंचाई के अनुसार फायर सेफ्टी संयंत्र को लगाना अनिवार्य है बिना फायर सेफ्टी यंत्र लगाए बिल्डिंग को अवैध माना जाता है। ऐसे में फायर सेफ्टी विभाग नोटिस जारी कर कार्यवाही कर सकता है इन तमाम नियमों कानूनों के बावजूद भी राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में ऐसी बिल्डिंग संचालित है जिनके पास आग को बुझाने वाले संयंत्र मौजूद नहीं है और जिन बिल्डिंगों के पास संयंत्र मौजूद है उनकी हालत बद से बदतर है।


आग पर काबू पाने व बिल्डिंगों को आग से बचाने के लिए हमारे पास कहने को फायर विभाग है लेकिन फायर विभाग अपनी जिम्मेदारी निभा नहीं पा रहा है एक तो स्टाफ व संसाधनों की कमी के चलते जिले की सभी बिल्डिंगों की चेकिंग कर पाना विभाग के लिए संभव नहीं है तो वहीं दूसरी ओर विभाग के पास कार्यवाही करने का कोई सीधा तरीका भी नहीं है। कार्यवाही के नाम पर विभाग सिर्फ नोटिस जारी कर सकता है वह संबंधित विभाग को पत्राचार कर सूचित कर सकता है। कई बार विभाग नोटिस जारी कर मुकदमा दर्ज करवाता है लेकिन उसमें छोटी सी रकम अदा करके बिल्डिंग का मालिक सजा पाने से बच निकलता है। सजा का कोई सीधा प्रावधान न होने के चलते बिल्डिंग मालिक भी बिल्डिंग में अग्निशमन यंत्र इंस्टॉल कराने में लापरवाही बरतते हैं। एनओसी के लिए जो बिल्डिंग वाले संयंत्र लगा देते हैं वह इन संयंत्रों की न ही उचित देखरेख करते हैं और न ही ट्रेंड कर्मचारी को इन को संचालित करने के लिए नियुक्त करते हैं। इस लापरवाही के चलते बिल्डिंग पर हर समय खतरा मंडराता रहता है।


विभागीय आंकड़ों की बात करें तो नवंबर 2012 के बाद से अब तक लगभग 500 बिल्डिंगों को अग्निशमन विभाग की ओर से नोटिस जारी की गई है। कार्यवाही करते हुए 52 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। अग्निशमन विभाग से एनओसी लेने के लिए 6 नवंबर 2018 के बाद से अब तक कुल 427 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमें से 251 आवेदनों पर एनओसी जारी की गई है 55 लोगों के आवेदनों को रिजेक्ट किया गया है जबकि 91 आवेदन पर ऑब्जेक्शन प्राप्त हुए हैं तो वहीं 30 आवेदन लंबित है।





Conclusion:बाइट- चीफ फायर ऑफिसर विजय कुमार सिंह


संवाददाता 

प्रशांत मिश्रा 

9026392526

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