लखनऊ: सूरत के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से हुई छात्रों की मौत के बाद पूरे देश में भय व्याप्त है. वहीं इस घटना के बाद से बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को आग से बचाने के लिए बने सिस्टमों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ की बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को भी आग से बचाने वाले तंत्र सवालों के घेरे में हैं.
क्या है लखनऊ की बिल्डिंगों का हाल
- लखनऊ में 60% से अधिक बिल्डिंगें अवैध रूप से संचालित हैं, जिसमें बड़ी संख्या में कॉमर्शियल एक्टिविटी की जाती है.
- कुछ बिल्डिंगों में फायर विभाग की ओर से एनओसी मिलने के बाद से सेफ्टी यंत्रों की देखभाल तक नहीं की जाती.
- इन बिल्डिंगों में लगे संयंत्रों में बुरी तरह से कागज ठूंसे हुए हैं तो कहीं संयंत्रों को ही डस्टबिन बना दिया गया है.
क्या हैं मानक
- हर कॉमर्शियल बिल्डिंग को अपने क्षेत्रपाल व ऊंचाई के अनुसार फायर सेफ्टी संयंत्र को लगाना अनिवार्य है.
- बिना फायर सेफ्टी यंत्र लगाए बिल्डिंग को अवैध माना जाता है. ऐसे होने पर फायर सेफ्टी विभाग नोटिस जारी कर कार्रवाई कर सकता है.
- इसके बाद भी फायर विभाग अपनी जिम्मेदारी निभा नहीं पा रहा है.
क्या हैं कार्रवाई के नियम
- कार्रवाई के नाम पर विभाग सिर्फ नोटिस जारी कर और संबंधित विभाग को पत्राचार कर सूचित कर सकता है.
- कई बार विभाग नोटिस जारी कर मुकदमा भी दर्ज करवाता है, लेकिन ऐसे मामलों में बिल्डिंग का मालिक छोटी सी रकम अदा करके सजा पाने से बच निकलता है.
- सजा का कोई सीधा प्रावधान न होने के चलते बिल्डिंग मालिक भी बिल्डिंग में अग्निशमन यंत्र इंस्टॉल कराने में लापरवाही बरतते हैं.
- इस लापरवाही के चलते बिल्डिंग पर हर समय खतरा मंडराता रहता है.
विभागीय आंकड़ों की बात करें तो नवंबर 2012 के बाद से अब तक लगभग 500 बिल्डिंगों को अग्निशमन विभाग की ओर से नोटिस जारी की गई है. इस पर कार्रवाई करते हुए 52 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं. अग्निशमन विभाग से एनओसी लेने के लिए 6 नवंबर 2018 के बाद से अब तक कुल 427 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 251 आवेदनों पर एनओसी जारी की गई है. 55 लोगों के आवेदनों को रिजेक्ट किया गया है, जबकि 91 आवेदनों पर ऑब्जेक्शन प्राप्त हुए हैं, वहीं 30 आवेदन लंबित हैं.