लखनऊ: प्रदेश के बहुचर्चित सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाले में सात नामजद आरोपियों के विरुद्ध बुधवार को एफआईआर दर्ज कराई गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा दोषी अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति के बाद एसआईटी ने यह कार्रवाई की है.
इस प्रकरण में पहले से ही एसआईटी जांच कर रही थी और जांच की रिपोर्ट भी मुख्यमंत्री को सौंपी थी. वहीं इस मामले में कोऑपरेटिव बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव व रविकांत सिंह के अलावा रामजस बचन यादव, राकेश कुमार मिश्रा, संतोष कुमार श्रीवास्तव और राम प्रवेश यादव दोषी पाए गए थे.
दरअसल, सपा शासनकाल में हुए सहकारिता विभाग भर्ती घोटाले में सात नामजद आरोपियों के खिलाफ बुधवार को एसआईटी ने एफआईआर दर्ज कराई है. मुख्यमंत्री का इस पूरे मामले में कड़ा निर्देश है कि दोषियों को नहीं बख्शा जाए. वहीं एसआईटी की जांच में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव व रविकांत सिंह के साथ पांच अन्य लोग भी दोषी पाए गए थे.
40 पदों पर हुआ था भर्ती घोटाला
उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक और सहायक प्रबंधक कंप्यूटर के द्वारा वर्ष 2015-16 में राज्य भंडारण निगम उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के भर्ती के 49 पदों पर विज्ञापन जारी किया गया था, जिनमें 40 पर भर्ती हुई थी. वहीं योगी सरकार में अलग-अलग पदों पर हुई भर्ती में धांधली की शिकायत मिली तो पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी को सौंप दी गई.
इस पूरे प्रकरण में एसआईटी ने सहायक प्रबंधक के पदों पर की गई भर्तियों की जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. शासन के निर्देश पर उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के सात दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बुधवार को एफआईआर दर्ज कराई गई है.