लखनऊः राज्य कर्मचारियों के विभिन्न भत्तों को समाप्त किए जाने से कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है. उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने आरोप लगाया है कि सरकार में बैठे अधिकारी चाहते हैं कि कर्मचारी और सरकार में टकराव हो, इसलिए सरकार को इस साजिश से सतर्क रहना होगा.
वित्त विभाग के प्रमुख की तरफ से तीन आदेश जारी
प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव संजीव मित्तल की ओर से मंगलवार को तीन शासनादेश जारी किए गए, जिनमें राज्य कर्मचारियों के विभिन्न भत्तों को हमेशा के लिए समाप्त करने की बात कही गई है.
आर्थिक संकट का हवाला देते हुए नए आदेश जारी
कोविड-19 की वजह से प्रदेश सरकार के समक्ष उत्पन्न आर्थिक संकट का हवाला देते हुए नए आदेश जारी किए गए हैं. शासनादेश में साफ कहा गया है कि वित्तीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता न होने और केंद्र सरकार में इस तरह के भत्ते न दिए जाने की व्यवस्था होने की वजह से ऐसे भत्तों को समाप्त किया जा रहा है, जो अनावश्यक और सरकार पर आर्थिक बोझ हैं.
कर्मचारियों को मिलने वाला प्रोत्साहन भत्ता किया जा रहा समाप्त
शासनादेश के अनुसार सभी विभागों में तैनात अवर अभियंताओं को चार सौ रुपये प्रति माह का विशेष भत्ता, लोक निर्माण विभाग और इसी तरह से इंजीनियरिंग विभागों में तैनात अधिकारियों कर्मचारियों का रिसर्च भत्ता, अर्दली भत्ता, डिजाइन भत्ता, सिंचाई विभाग और उससे जुड़े विभागों में तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों को आईएंडपी भत्ता एवं अर्दली भत्ता और भविष्य निधि के लेखों के रखरखाव करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाला प्रोत्साहन भत्ता समाप्त किया जा रहा है.
नगर प्रतिकर भत्ते 1 अप्रैल 2020 से समाप्त
दूसरे शासनादेश में संजीव मित्तल ने बताया है कि केंद्रीय कर्मचारियों की तरह सम्मानजनक वेतन संरचना के तहत राज्य सरकार ने राज्य कर्मियों को नगर प्रतिकर भत्ता समाप्त किए जाने का औचित्य पाया है. ऐसे में 18 जुलाई 2018 से दिए जा रहे नगर प्रतिकर भत्ते 1 अप्रैल 2020 से समाप्त किए जा रहे हैं. तीसरे शासनादेश में कहा गया है कि सचिवालय कर्मियों को दिया जा रहा सचिवालय भत्ता भी 1 अप्रैल 2020 से समाप्त किया जा रहा है. तीनों शासनादेश राज्यपाल की स्वीकृत से जारी किए गए हैं.
सरकार और कर्मचारियों को आमने-सामने करने की कोशिश
उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने राज्य कर्मचारियों को मिलने वाले विभिन्न भत्तों को समाप्त किए जाने की आलोचना की है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार में बैठे अधिकारी इन भत्तों को समाप्त करने की साजिश के तहत सरकार और कर्मचारियों को आमने-सामने करने की कोशिश कर रहे हैं.