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सीएम पर अपमानजनक टिप्पणी मामले में हाईकोर्ट ने जल्द विवेचना पूरी करने का दिया आदेश

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना दाउद इब्राहिम से करने व अन्य अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में पुलिस को जल्द विवेचना पूरा करने के आदेश दिए हैं. मामले में 23 मार्च 2017 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी.

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Published : Dec 15, 2022, 8:50 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना दाउद इब्राहिम से करने व अन्य अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में पुलिस को जल्द विवेचना पूरा करने के आदेश दिए हैं. मामले में 23 मार्च 2017 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस विवेचना पूरी नहीं कर सकी. इस पर न्यायालय ने पुलिस को यह भी आदेश दिया है कि जो पक्ष विवेचना में सहयोग न कर रहा हो, उसके खिलाफ यथोचित कदम उठाए जाएं.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान व न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह (Justice Rajesh Singh Chauhan and Justice Vivek Kumar Singh) की खंडपीठ ने मामले के वादी अमित कुमार तिवारी (Plaintiff Amit Kumar Tiwari) की याचिका पर पारित किया. याची का कहना था कि फिल्म निर्माता शिरीष कुंदर (Film producer Shirish Kunder) ने अपने ट्विटर हैंडल से मुख्यमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए, अपमानजनक टिप्पणियां कीं.

वादी की ओर से कहा गया कि शिरीष कुंदर के इस कृत्य की उसने हजरतगंज थाने में एफआईआर भी लिखाई, लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस अब तक विवेचना पूरी नहीं कर सकी है. वहीं सरकारी वकील ने न्यायालय को बताया कि निष्पक्ष विवेचना की जा रही है. इस पर न्यायालय ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि उक्त विवेचना निष्पक्ष तरीके से पूरी करेगा व सभी पक्ष विवेचना में सहयोग करेंगे. न्यायालय ने कहा कि जो भी सहयोग नहीं करता, विवेचनाधिकारी उसके खिलाफ यथोचित कदम उठा सकता है.

यह भी पढ़ें : दस सिखों के एनकाउंटर केस में 43 पुलिसकर्मी दोषी करार, सभी को सात सात साल की सजा

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना दाउद इब्राहिम से करने व अन्य अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में पुलिस को जल्द विवेचना पूरा करने के आदेश दिए हैं. मामले में 23 मार्च 2017 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस विवेचना पूरी नहीं कर सकी. इस पर न्यायालय ने पुलिस को यह भी आदेश दिया है कि जो पक्ष विवेचना में सहयोग न कर रहा हो, उसके खिलाफ यथोचित कदम उठाए जाएं.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान व न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह (Justice Rajesh Singh Chauhan and Justice Vivek Kumar Singh) की खंडपीठ ने मामले के वादी अमित कुमार तिवारी (Plaintiff Amit Kumar Tiwari) की याचिका पर पारित किया. याची का कहना था कि फिल्म निर्माता शिरीष कुंदर (Film producer Shirish Kunder) ने अपने ट्विटर हैंडल से मुख्यमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए, अपमानजनक टिप्पणियां कीं.

वादी की ओर से कहा गया कि शिरीष कुंदर के इस कृत्य की उसने हजरतगंज थाने में एफआईआर भी लिखाई, लेकिन साढ़े पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस अब तक विवेचना पूरी नहीं कर सकी है. वहीं सरकारी वकील ने न्यायालय को बताया कि निष्पक्ष विवेचना की जा रही है. इस पर न्यायालय ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि उक्त विवेचना निष्पक्ष तरीके से पूरी करेगा व सभी पक्ष विवेचना में सहयोग करेंगे. न्यायालय ने कहा कि जो भी सहयोग नहीं करता, विवेचनाधिकारी उसके खिलाफ यथोचित कदम उठा सकता है.

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