लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में मादा दरियाई घोड़े की हालत चिंताजनक बनी हुई है. वन्य जीव चिकित्सक भी उसकी हालत में सुधार लाने में नाकाम साबित हो रहे हैं. इसके बाद देश के कई अन्य संस्थानों से भी मदद मांगी गई है. देश व विदेश के वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ ऑनलाइन भी मदद ली जा ही है.
मादा दरियाई घोड़ा 'आशी' ने छोड़ा खाना
मादा दरियाई घोड़ा की हालत चिंताजनक इसलिए भी है, क्योंकि पिछले कई दिनों से वह कुछ खा नहीं रही है. नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में मादा दरियाई घोड़ा ‘आशी’ (24) की हालत में पिछले 15 दिनों के बाद भी कोई सुधार नहीं दिख रहा है. उसके प्रसव के लिए प्राणी उद्यान प्रशासन पशुपालन विभाग और अन्य संस्थानों से लगातार संपर्क कर रहा है. आशी पांच फरवरी से कुछ नहीं खा रही है. इस समय वह अपने नर साथी धीरज के साथ बाड़े में रह रही है. निदेशक आरके सिंह ने बताया कि आशी के बच्चा देने की प्रक्रिया में दिक्कत हो रही है. उसकी हालत चिंताजनक और स्थिर बनी हुई है. देश भर के विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है. उनके निर्देशानुसार ही उसकी देखभाल की जा रही है.
240 दिन का होता है मादा दरियाई घोड़े का प्रसव काल
मादा दरियाई घोड़े की औसत आयु लगभग 35 वर्ष की होती है और 240 दिन का प्रसव काल होता है. इस अवधि को वन्य जीव प्राणी उद्यान की ये मादा दरियाई घोड़ा पूरा कर चुकी है, लेकिन फिर भी बच्चे को जन्म नहीं दे पाई है. यही प्राणी उद्यान के चिकित्सकों और अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें बना रही है.
दर्शकों को हाथ लगी मायूसी
आशी की बिगड़ती तबीयत के चलते वरिष्ठ चिकित्सकों की सलाह पर दरियाई घोड़े के बाड़े को बंद कर दिया गया है. इस वजह से जू पहुंचने वाले दर्शक दरियाई घोड़े का दीदार नहीं कर पा रहे हैं. बाड़े को पूरी तरह से बंद कर चिकित्सकों की निगरानी में उसकी देखभाल की जा रही है. प्राणी उद्यान के कीपरों को भी उसकी निगरानी के लिए लगाया गया है.