लखनऊ: राजधानी में स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी और रायबरेली के करीब 350 से ज्यादा निजी कॉलेजों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने बड़ा झटका दिया है. यहां के छात्र-छात्राओं को फिलहाल फीस में किसी तरह की राहत की कोई उम्मीद नहीं है. इन जिलों के कॉलेजों के करीब 1,00,000 छात्र छात्राएं हैं. इनको अब लखनऊ विश्वविद्यालय की महंगी फीस ही देनी होगी.
असल में, यह कॉलेज पहले कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे. वहां कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं से लिया जाने वाला परीक्षा शुल्क बेहद कम था. लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़ने के बाद यह परीक्षा शुल्क कई गुना बढ़ गया. इसको लेकर सभी महाविद्यालयों की तरफ से लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था. जिसमें फीस में राहत दिए जाने की मांग उठाई गई थी. इसको लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से एक समिति का भी गठन किया गया था. समिति को फीस के संबंध में महाविद्यालयों की शिकायतों का निस्तारण करने की जिम्मेदारी दी गई थी. अभी तक यह समिति कोई फैसला नहीं ले पाई है. हालांकि लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल फीस में कोई राहत नहीं मिल पाएगी. उनका कहना है कि इन चारों जिलों से कई नए कॉलेज जुड़ रहे हैं तो कई अन्य संस्थानों ने अपनी सीट बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय में आवेदन किया है. इससे साफ है कि छात्र को यह फीस देने में कोई परेशानी नहीं है.
इस तरह महंगी हुई पढ़ाई
प्रदेश सरकार की तरफ से 4 जिलों के कॉलेजों को कानपुर विश्वविद्यालय से हटाकर लखनऊ विश्वविद्यालय से जोड़ा गया है. इससे फीस में बड़ा अंतर आया है. कानपुर विश्वविद्यालय में बीए का परीक्षा शुल्क करीब 500 रुपये था. जबकि लखनऊ विश्वविद्यालय में यह 5000 रुपये तक है. यही हाल बीएससी बीकॉम जैसे दूसरे पाठ्यक्रमों का भी है. खीरी सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन की तरफ से इसको लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई गई थी. एसोसिएशन का दावा था कि इन चार जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे ज्यादा हैं. इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है. ऐसे में परीक्षा शुल्क और अन्य शुल्क अधिक होने के कारण दाखिले में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
सिर्फ कागजों पर काम कर रही समिति
फीस से जुड़े मामले के और कॉलेज प्रशासन की शिकायतों के निस्तारण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से एक समिति का गठन किया गया था. जानकारों की मानें तो यह समिति सिर्फ कागजों में बनाई गई है. खानापूर्ति की जा रही है . इसके द्वारा अभी तक फीस के संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया. हालांकि सब का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा.
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350 से ज्यादा निजी कॉलेजों के 1 लाख छात्र छात्राओं को झटका, फीस में नहीं मिलेगी कोई राहत
लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े हरदोई सीतापुर लखीमपुर खीरी और रायबरेली के करीब 350 से ज्यादा निजी कॉलेजों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने बड़ा झटका दिया है. यहां के छात्र छात्राओं को फिलहाल फीस में किसी तरह की राहत की कोई उम्मीद नहीं है.दरअसल, प्रदेश सरकार की तरफ से 4 जिलों के कॉलेजों को कानपुर विश्वविद्यालय से हटाकर लखनऊ विश्वविद्यालय से जोड़ा गया है. इससे फीस में बड़ा अंतर आया है.
लखनऊ: राजधानी में स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी और रायबरेली के करीब 350 से ज्यादा निजी कॉलेजों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने बड़ा झटका दिया है. यहां के छात्र-छात्राओं को फिलहाल फीस में किसी तरह की राहत की कोई उम्मीद नहीं है. इन जिलों के कॉलेजों के करीब 1,00,000 छात्र छात्राएं हैं. इनको अब लखनऊ विश्वविद्यालय की महंगी फीस ही देनी होगी.
असल में, यह कॉलेज पहले कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे. वहां कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं से लिया जाने वाला परीक्षा शुल्क बेहद कम था. लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़ने के बाद यह परीक्षा शुल्क कई गुना बढ़ गया. इसको लेकर सभी महाविद्यालयों की तरफ से लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था. जिसमें फीस में राहत दिए जाने की मांग उठाई गई थी. इसको लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से एक समिति का भी गठन किया गया था. समिति को फीस के संबंध में महाविद्यालयों की शिकायतों का निस्तारण करने की जिम्मेदारी दी गई थी. अभी तक यह समिति कोई फैसला नहीं ले पाई है. हालांकि लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल फीस में कोई राहत नहीं मिल पाएगी. उनका कहना है कि इन चारों जिलों से कई नए कॉलेज जुड़ रहे हैं तो कई अन्य संस्थानों ने अपनी सीट बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय में आवेदन किया है. इससे साफ है कि छात्र को यह फीस देने में कोई परेशानी नहीं है.
इस तरह महंगी हुई पढ़ाई
प्रदेश सरकार की तरफ से 4 जिलों के कॉलेजों को कानपुर विश्वविद्यालय से हटाकर लखनऊ विश्वविद्यालय से जोड़ा गया है. इससे फीस में बड़ा अंतर आया है. कानपुर विश्वविद्यालय में बीए का परीक्षा शुल्क करीब 500 रुपये था. जबकि लखनऊ विश्वविद्यालय में यह 5000 रुपये तक है. यही हाल बीएससी बीकॉम जैसे दूसरे पाठ्यक्रमों का भी है. खीरी सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन की तरफ से इसको लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई गई थी. एसोसिएशन का दावा था कि इन चार जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे ज्यादा हैं. इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है. ऐसे में परीक्षा शुल्क और अन्य शुल्क अधिक होने के कारण दाखिले में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
सिर्फ कागजों पर काम कर रही समिति
फीस से जुड़े मामले के और कॉलेज प्रशासन की शिकायतों के निस्तारण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से एक समिति का गठन किया गया था. जानकारों की मानें तो यह समिति सिर्फ कागजों में बनाई गई है. खानापूर्ति की जा रही है . इसके द्वारा अभी तक फीस के संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया. हालांकि सब का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा.
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