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यूपी का सबसे बड़ा जन औषधि केंद्र हुआ बंद, दोगुने दाम पर दवाएं खरीदने को मजबूर तीमारदार - KANPUR NEWS

लक्ष्मीपति सिंघानिया कार्डियोलॉजी एवं कार्डियक सर्जरी का जन औषधि केंद्र बंद हो गया है. इससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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लक्ष्मीपति सिंघानिया कार्डियोलॉजी जन औषधि केंद्र बंद (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 11, 2025, 6:58 PM IST

कानपुर: यूपी के सबसे बड़े लक्ष्मीपति सिंघानिया कार्डियोलॉजी एवं कार्डियक सर्जरी संस्थान में कानपुर शहर नहीं, बल्कि कई अन्य जनपदों से भी लोग इलाज कराने के लिए आते हैं. यहां पर आने वाले मरीज को किफायती दामों में दवा उपलब्ध हो सके, इसको लेकर प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का निर्माण कराया गया. पिछले हफ्ते कानपुर के अस्पतालों का टेंडर समाप्त हो गया, जिसको लेकर दोबारा रिटेंडर भी हुआ. लेकिन, कार्डियोलॉजी में स्थित जन औषधि केंद्र को टेंडर नहीं मिल सका. इस वजह से अब जो मरीज यहां पर दवाई लेने के लिए पहुंच रहे हैं, उन्हें काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है प्रधानमंत्री जन औषधि योजना. इस योजना के तहत सरकार का मकसद है कि हर वर्ग को किफायती और सस्ते दामों पर दवा उपलब्ध हो सके. जिसको लेकर हर सरकारी अस्पताल में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का निर्माण कराया गया है. लेकिन अब शहर के हृदय रोग संस्थान कार्डियोलॉजी में जन औषधि केंद्र का टेंडर न होने के कारण इसे बंद कर दिया गया है. इस वजह से मरीज को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

लोगों का कहना है कि जो दवा यहां पर उन्हें बेहद किफायती और कम दामों पर उपलब्ध हो जाती थी. अब वही दवा उन्हें मजबूरी में अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ रही है. कुछ दवाइयां तो ऐसी भी हैं जो कि उन्हें बाहर उपलब्ध भी नहीं हो पा रही हैं. इस वजह से उन्हें काफी भटकना भी पड़ रहा है.

उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जोगिंदर सिंह ने दी जानकारी (Video Credit; ETV Bharat)

इसे भी पढ़ें - महाकुंभ 2025: श्रद्धालुओं के 5 जन औषधि केंद्रों से मिल रहीं सस्ती दवाएं - JAN AUSHADHI MAHA KUMBH MELA

नहीं मिल रही दवा हो रही परेशानी: एटा से आई सरोज बुंदेला ने बताया कि उनके पति को हार्ट से जुड़ी समस्या है. जिसका इलाज कानपुर के हृदय रोग संस्थान में चल रहा है. जिसकी दवाइयां वह अभी तक जन औषधि केंद्र से ले रही थी. उन दवाइयां को लेने के बाद से पति को काफी ज्यादा आराम भी मिला. दवाइयां खत्म होने के बाद उन्हें यहां आना पड़ा. यहां पर आई तो उन्हें यह औषधि केंद्र बंद मिला.

उनका कहना है कि यहां पर उन्हें दवाइयां बाहर से काफी किफायती दामों पर मिलती थीं. जो दवा उन्हें बाहर 1500-2000 की मिलती थीं. वह उन्हें यहां पर 700-750 में उपलब्ध हो जाती थी. अब ऐसे में इस जन औषधि केंद्र के बंद होने के बाद से उन्हें काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. उनका कहना है कि शासन को जल्द से जल्द इसका संज्ञान लेते हुए इसे शुरू करना चाहिए.

फतेहपुर से आई शालिनी ने बताया कि मेरी दादी का यहां से इलाज चल रहा है. दादी की जो दवाइयां है वह यहां पर ही बने जन औषधि केंद्र से ले रही थी. मंगलवार को जब वह दोबारा से दवाइयां लेने के लिए यहां पहुंची तो उन्हें यह जन औषधि केंद्र बंद मिला. उनका कहना है, कि जो दवा उन्होंने बाहर से ली वो 3500 की मिली. जबकि वही दवा उन्हें यहां पर बेहद किफायती और सस्ते दामों में मात्र 2300रु में मिल गई. जो दवाई उन्हें यहां पर आसानी से उपलब्ध हो जाती थी, वह उन्हें बाहर नहीं मिल पा रही है. इस वजह से खास दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि शासन को जल्द से जल्द इसका संज्ञान लेते हुए इसे शुरू करना चाहिए ताकि उन्हें समस्या से निजात मिल सके.


ये बोले उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी:उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जोगेन्दर सिंह ने बताया कि जन औषधि केंद्र का जो भी टेंडर होता है वो शासन स्तर से होता है. वहीं से इसको फाइनल किया जाता है. मेडिकल स्टोर कहां-कहां खुलने हैं यह शासन ही निर्धारित करता है. जो पिछले टेंडर हुए थे, उसमें ह्रदय रोग संस्थान का नाम भी था. मेडिकल कॉलेज कानपुर, उर्सला व अन्य संस्थानों का नाम था. इस बार जो टेंडर हुए है उसमें हृदय रोग संस्थान का नाम नहीं है. उन्होंने बताया कि टेंडर शासन स्तर पर पहले हो गया था. लेकिन 2023 से इसे लोगों के लिए शुरू किया गया था. अब जब यह टेंडर समाप्त हुआ है, तो 4 फरवरी से इसे बंद कर दिया गया है. इसलिए जन औषधि केंद्र यहां नहीं खुल सकता है.

यह भी पढ़ें - लखनऊ के बादशाह नगर रेलवे स्टेशन पर जन औषधि केंद्र की शुरुआत, 400 रुपये की दवा मिलेगी अब 100 में - JAN AUSHADHI CENTER LUCKNOW

कानपुर: यूपी के सबसे बड़े लक्ष्मीपति सिंघानिया कार्डियोलॉजी एवं कार्डियक सर्जरी संस्थान में कानपुर शहर नहीं, बल्कि कई अन्य जनपदों से भी लोग इलाज कराने के लिए आते हैं. यहां पर आने वाले मरीज को किफायती दामों में दवा उपलब्ध हो सके, इसको लेकर प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का निर्माण कराया गया. पिछले हफ्ते कानपुर के अस्पतालों का टेंडर समाप्त हो गया, जिसको लेकर दोबारा रिटेंडर भी हुआ. लेकिन, कार्डियोलॉजी में स्थित जन औषधि केंद्र को टेंडर नहीं मिल सका. इस वजह से अब जो मरीज यहां पर दवाई लेने के लिए पहुंच रहे हैं, उन्हें काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है प्रधानमंत्री जन औषधि योजना. इस योजना के तहत सरकार का मकसद है कि हर वर्ग को किफायती और सस्ते दामों पर दवा उपलब्ध हो सके. जिसको लेकर हर सरकारी अस्पताल में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का निर्माण कराया गया है. लेकिन अब शहर के हृदय रोग संस्थान कार्डियोलॉजी में जन औषधि केंद्र का टेंडर न होने के कारण इसे बंद कर दिया गया है. इस वजह से मरीज को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

लोगों का कहना है कि जो दवा यहां पर उन्हें बेहद किफायती और कम दामों पर उपलब्ध हो जाती थी. अब वही दवा उन्हें मजबूरी में अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ रही है. कुछ दवाइयां तो ऐसी भी हैं जो कि उन्हें बाहर उपलब्ध भी नहीं हो पा रही हैं. इस वजह से उन्हें काफी भटकना भी पड़ रहा है.

उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जोगिंदर सिंह ने दी जानकारी (Video Credit; ETV Bharat)

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नहीं मिल रही दवा हो रही परेशानी: एटा से आई सरोज बुंदेला ने बताया कि उनके पति को हार्ट से जुड़ी समस्या है. जिसका इलाज कानपुर के हृदय रोग संस्थान में चल रहा है. जिसकी दवाइयां वह अभी तक जन औषधि केंद्र से ले रही थी. उन दवाइयां को लेने के बाद से पति को काफी ज्यादा आराम भी मिला. दवाइयां खत्म होने के बाद उन्हें यहां आना पड़ा. यहां पर आई तो उन्हें यह औषधि केंद्र बंद मिला.

उनका कहना है कि यहां पर उन्हें दवाइयां बाहर से काफी किफायती दामों पर मिलती थीं. जो दवा उन्हें बाहर 1500-2000 की मिलती थीं. वह उन्हें यहां पर 700-750 में उपलब्ध हो जाती थी. अब ऐसे में इस जन औषधि केंद्र के बंद होने के बाद से उन्हें काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. उनका कहना है कि शासन को जल्द से जल्द इसका संज्ञान लेते हुए इसे शुरू करना चाहिए.

फतेहपुर से आई शालिनी ने बताया कि मेरी दादी का यहां से इलाज चल रहा है. दादी की जो दवाइयां है वह यहां पर ही बने जन औषधि केंद्र से ले रही थी. मंगलवार को जब वह दोबारा से दवाइयां लेने के लिए यहां पहुंची तो उन्हें यह जन औषधि केंद्र बंद मिला. उनका कहना है, कि जो दवा उन्होंने बाहर से ली वो 3500 की मिली. जबकि वही दवा उन्हें यहां पर बेहद किफायती और सस्ते दामों में मात्र 2300रु में मिल गई. जो दवाई उन्हें यहां पर आसानी से उपलब्ध हो जाती थी, वह उन्हें बाहर नहीं मिल पा रही है. इस वजह से खास दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि शासन को जल्द से जल्द इसका संज्ञान लेते हुए इसे शुरू करना चाहिए ताकि उन्हें समस्या से निजात मिल सके.


ये बोले उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी:उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जोगेन्दर सिंह ने बताया कि जन औषधि केंद्र का जो भी टेंडर होता है वो शासन स्तर से होता है. वहीं से इसको फाइनल किया जाता है. मेडिकल स्टोर कहां-कहां खुलने हैं यह शासन ही निर्धारित करता है. जो पिछले टेंडर हुए थे, उसमें ह्रदय रोग संस्थान का नाम भी था. मेडिकल कॉलेज कानपुर, उर्सला व अन्य संस्थानों का नाम था. इस बार जो टेंडर हुए है उसमें हृदय रोग संस्थान का नाम नहीं है. उन्होंने बताया कि टेंडर शासन स्तर पर पहले हो गया था. लेकिन 2023 से इसे लोगों के लिए शुरू किया गया था. अब जब यह टेंडर समाप्त हुआ है, तो 4 फरवरी से इसे बंद कर दिया गया है. इसलिए जन औषधि केंद्र यहां नहीं खुल सकता है.

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