लखनऊ: देश के प्रमुख प्रदूषित शहरों के एयर इंडेक्स में बीते दिनों लखनऊ दूसरे नंबर पर था. ऐसे में प्रदूषण को रोकने के लिए पिछले कई वर्षों से पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. पिछले साल राजधानी के तीन ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पराली जलाई गई थी, जिसकी तस्वीरें सेटेलाइट के माध्यम से कृषि विभाग को मिली थी. इस वर्ष इन तीन गांवों को कृषि विभाग की तरफ से चार लाख व ग्राम निधि से 1 लाख यंत्र खरीदने के लिए ग्राम पंचायत को दिए जाएंगे. यह यंत्र किसानों को किराये पर दिए जाएंगे.
लखनऊ स्थित मोहनलालगंज के जमालपुर ददुरी, गोसाईगंज का जौखंडी व बख्शी के तालाब के बीबीपुर गांव की ग्राम पंचायत को यह राशि दी जाएगी. इसके बाद ग्राम पंचायत C2 मैनेजमेंट यंत्र खरीदेंगे. यह यंत्र किसानों को किराये पर दिए जाएंगे.
कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण बहुत ही खतरनाक होता है. इससे कई बीमारियां फैलती हैं. इस समय तापमान डाउन होता है. इस समय जो भी प्रदूषण के कण होते हैं, धीरे-धीरे लेयर में नीचे आते हैं. हमारे नजदीक जो वातावरण होता है, उसमें प्रदूषण के कणों की संख्या बढ़ जाती है, जिसके बाद क्वालिटी इंडेक्स बढ़ जाता है. इसको लेकर एनजीटी ने एक गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें फसल अवशेष को प्रबंधन करने का सुझाव दिया गया था. वहीं पराली जलाने को दंडात्मक कार्रवाई में लिया गया था.
क्षेत्र में पराली जलाने की घटना पर एनजीटी ने 2 एकड़ फसल पर ढाई हजार रुपये का जुर्माना रखा था. इससे अधिक वालों को 5000 व 15 एकड़ वालों पर 15000 रुपये का जुर्माना रखा गया था. इसको कम करने के उपाय भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे हैं.
जनपद लखनऊ में 3 गांव चयनित किए गए हैं. इन गांव में पिछले साल पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई थीं. इसमें कार्रवाई भी की गई थी. लखनऊ स्थित मोहनलालगंज के जमालपुर ददुरी, गोसाईगंज का जौखंडी व बख्शी के तालाब के बीबीपुर गांव की ग्राम पंचायत को यह राशि दी जाएगी. इसके बाद ग्राम पंचायत C2 मैनेजमेंट यंत्र खरीदेंगे. यह यंत्र किसानों को किराये पर दिए जाएंगे.