लखनऊ: किसानों के फसल बीमा मामले में सरकार ने बीमा कंपनियों पर नकेल कसने का एलान कर दिया है. सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराने का अधिकार किसानों को दे दिया है, इससे बीमा कंपनियों को अब तभी लाभ मिल सकेगा जब वह किसानों की कसौटी पर खरा उतरेंगी.
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दी जानकारी
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सोमवार को विधान भवन स्थित कार्यालय में कृषि कार्यों की समीक्षा के दौरान यह बात कही. उन्होंने बताया कि किसान लम्बे समय से मांग कर रहे थे कि प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना को शैक्षिक आधार पर संचालित किया जाए. बीमा कंपनियों का रवैया मनमाना है. फसल की बीमा कराने वाले किसानों को ज्यादातर मामलों में बीमा कंपनियों से कोई राहत नहीं मिलती. उन्हें कंपनियों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार के दखल देने के बाद बीमा कंपनियां बड़ी मुश्किल से किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा देने को तैयार होती हैं.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
कृषि मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने किसानों के खेत में खरीफ 2020 और आगामी मौसमों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा पुनर्गठन मौसम आधारित फसल बीमा योजना के प्रावधानों में संशोधन कर दिए हैं. अब आगामी मौसम के लिए ऋण तथा गैर ऋणी किसानों को स्वैच्छिक आधार पर बीमा कवर प्रदान किया जाएगा. फसली ऋण लेने वाले किसान अगर बीमा योजना में अपनी भागीदारी नहीं चाहते तो उन्हें अपनी बैंक शाखा को अवगत कराना होगा.
केंद्र सरकार ने जारी की नई गाइड लाइन
अभी तक 1 या 2 वर्ष के लिए बीमा कंपनी का चयन करते हुए योजना को प्रदेश में संचालित कराया जाता रहा है. अब भारत सरकार की नई गाइड लाइन के अनुसार योजना को 3 वर्षों तक लागू करते हुए बीमा कंपनियों के कार्यक्षेत्र का आवंटन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस तरह से बीमा कंपनी अपने आवंटित जनपद में कंपनी के कर्मचारियों की पूर्णकालिक तैनाती करते हुए योजना का प्रभावी रूप से प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करेंगी.
जिला स्तर पर फसल की स्केल ऑफ फाइनेंस कब तक बीमा राशि के रूप में लिया जाता रहा है. इस प्रकार अब तक फसल की लागत मूल्य का बीमा होता रहा है, जबकि संशोधित व्यवस्था के तहत जिला स्तर पर फसल की बीमा राशि का निर्धारण बीमित फसल की औसत उपज के आधार पर किया जाएगा. इससे किसानों को लाभ मिलेगा.