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बैंगन की जनक प्रजाति से किसान हो रहे मालामाल

राजधानी लखनऊ के जमखनवा गांव के किसान जनक प्रजाति के बैंगन की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस फसल में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है. देखिए ये रिपोर्ट...

farmers started cultivating janak brinjal in lucknow
जनक प्रजाति के बैंगन.
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Published : Jan 25, 2021, 3:54 PM IST

लखनऊ : राजधानी के बख्शी तालाब स्थित जमखनवा गांव के किसानों ने जनक प्रजाति के बैंगन की खेती की शुरुआत की है. आधुनिक खेती की बात जहां आती है, वहां पर बैंगन की फसल पहले नंबर पर होती है और अगर आय को लेकर बात करें तो उसमें भी किसानों को अन्य फसलों की अपेक्षा काफी लाभ होता है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान जमखनवा गांव के किसान ओमप्रकाश ने बताया कि इस बार हमने जनक प्रजाति के बैंगन की फसल लगाई है. अन्य फसलों की अपेक्षा इसमें काफी लाभ होता है.

बैंगन की खेती से किसान हो रहे मालामाल.

'60 से 65 हजार रुपये होगा मुनाफा'

ओमप्रकाश ने जनक बैंगन के बारे में बताया कि यह अन्य बैंगन की अपेक्षा काफी चमकदार होता है और इसका रंग काला होता है. देखने में भी यह काफी आकर्षक होता है और स्वाद में भी अन्य बैंगनों की अपेक्षा काफी अच्छा होता है. उन्होंने बताया कि इस बैंगन की फसल में कीट ज्यादा लगता है, लेकिन देखभाल करने की ज्यादा जरूरत होती है. कीट के डर के कारण किसान इसकी खेती नहीं करता है. बाकी अगर लाभ की बात की जाए तो हमने अपने आधे एकड़ खेत में बैंगन की खेती की है, जिसमें लगभग 12 से 15 हजार रुपये का खर्च आया है. अगर मुनाफे की बात की जाए तो लगभग 60 से 65 हजार रुपये इसमें मुनाफा होगा.

farmers started cultivating janak brinjal in lucknow
बैंगन की खेती.

'पूरे वर्ष उगाया जा सकता है बैंगन'

जनक बैंगन की खेती के बारे में कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आधुनिक खेती की बात जहां आती है, वहां पर बैगन की फसल पहले नंबर पर होती है. बैगन में प्रमुख रूप से विटामिन तथा खनिज तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं. बैंगन पूरे वर्ष उगाया जा सकता है. इसके पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए 21 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान बहुत अच्छा होता है. शरद ऋतु में बैंगन की जनक प्रजाति की सब्जी खाने में स्वादिष्ट होती है क्योंकि इसमें अन्य परंपरागत बैंगन की प्रजातियों की अपेक्षा विटामिन तथा मिनरल्स बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. बैगन की ऐसे तो बहुत ही परंपरागत किस्में पूसा अंकुर, पूसा श्यामला, पूसा उत्तम आदि की खेती किसान करते चले आए हैं. इस समय जब तापमान अपने निम्न स्तर पर है तो बैंगन की जनक प्रजाति बहुत अच्छी है. इस किस्म का बैंगन काला नीले रंग का होता है. वजन 200 से 300 ग्राम होता है. खाने में स्वादिष्ट होने के कारण किसान इसकी खेती करके अपनी आय को बढ़ा रहा है.

'बैंगन को कीटों से बचाने के लिए अपनाएं ये तरीके'

डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शरद ऋतु की बैंगन की फसल पर जिंक सल्फेट की मात्रा 3 ग्राम तथा आयरन सल्फेट की मात्रा 5 ग्राम एवं बोरेक्स की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर की पानी की दर से घोल बनाकर यदि छिड़काव किया जाए तो बैंगन की वृद्धि बहुत अच्छी होती है. पुष्पन बहुत अच्छा होता है. फलों का आकार तथा संख्या में वृद्धि होती है. बोरान तत्व प्रमुख रूप से जल अवशोषण एवं कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म में सहायक है. इससे बैंगन का आकार बड़ा होता है और चमक आती है.

'फसलों की करें नियमित निगरानी'

डॉ. सिंह ने बताया कि बैंगन की फसल पर शरद ऋतु में कीट एवं बीमारियों का आक्रमण बहुत कम होता है. इस समय फसलों की निगरानी करने की आवश्यकता है. प्रमुख रूप से बैंगन में सफेद मक्खी तथा बैंगन का माहू अधिक नुकसान पहुंचाता है एवं माइकोप्लाज्मा नामक बीमारी का प्रसारण भी इन्हीं कीटों के द्वारा होता है. इन कीटों के प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक रसायन की 1.5 एमएल मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से फसल बच जाती है. पाला एवं कोहरे के दिनों में फसल पर पछेती अंगमारी बीमारी का अधिक प्रकोप होता है. उन्होंने बताया कि किसान भाई अपने बैंगन के खेतों की निगरानी करते रहें. यदि पत्तियां जले जैसी दिखाई दे तो तत्काल साफ (SAAF) नामक फफूंदी नाशक की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर की पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.

लखनऊ : राजधानी के बख्शी तालाब स्थित जमखनवा गांव के किसानों ने जनक प्रजाति के बैंगन की खेती की शुरुआत की है. आधुनिक खेती की बात जहां आती है, वहां पर बैंगन की फसल पहले नंबर पर होती है और अगर आय को लेकर बात करें तो उसमें भी किसानों को अन्य फसलों की अपेक्षा काफी लाभ होता है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान जमखनवा गांव के किसान ओमप्रकाश ने बताया कि इस बार हमने जनक प्रजाति के बैंगन की फसल लगाई है. अन्य फसलों की अपेक्षा इसमें काफी लाभ होता है.

बैंगन की खेती से किसान हो रहे मालामाल.

'60 से 65 हजार रुपये होगा मुनाफा'

ओमप्रकाश ने जनक बैंगन के बारे में बताया कि यह अन्य बैंगन की अपेक्षा काफी चमकदार होता है और इसका रंग काला होता है. देखने में भी यह काफी आकर्षक होता है और स्वाद में भी अन्य बैंगनों की अपेक्षा काफी अच्छा होता है. उन्होंने बताया कि इस बैंगन की फसल में कीट ज्यादा लगता है, लेकिन देखभाल करने की ज्यादा जरूरत होती है. कीट के डर के कारण किसान इसकी खेती नहीं करता है. बाकी अगर लाभ की बात की जाए तो हमने अपने आधे एकड़ खेत में बैंगन की खेती की है, जिसमें लगभग 12 से 15 हजार रुपये का खर्च आया है. अगर मुनाफे की बात की जाए तो लगभग 60 से 65 हजार रुपये इसमें मुनाफा होगा.

farmers started cultivating janak brinjal in lucknow
बैंगन की खेती.

'पूरे वर्ष उगाया जा सकता है बैंगन'

जनक बैंगन की खेती के बारे में कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आधुनिक खेती की बात जहां आती है, वहां पर बैगन की फसल पहले नंबर पर होती है. बैगन में प्रमुख रूप से विटामिन तथा खनिज तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं. बैंगन पूरे वर्ष उगाया जा सकता है. इसके पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए 21 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान बहुत अच्छा होता है. शरद ऋतु में बैंगन की जनक प्रजाति की सब्जी खाने में स्वादिष्ट होती है क्योंकि इसमें अन्य परंपरागत बैंगन की प्रजातियों की अपेक्षा विटामिन तथा मिनरल्स बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. बैगन की ऐसे तो बहुत ही परंपरागत किस्में पूसा अंकुर, पूसा श्यामला, पूसा उत्तम आदि की खेती किसान करते चले आए हैं. इस समय जब तापमान अपने निम्न स्तर पर है तो बैंगन की जनक प्रजाति बहुत अच्छी है. इस किस्म का बैंगन काला नीले रंग का होता है. वजन 200 से 300 ग्राम होता है. खाने में स्वादिष्ट होने के कारण किसान इसकी खेती करके अपनी आय को बढ़ा रहा है.

'बैंगन को कीटों से बचाने के लिए अपनाएं ये तरीके'

डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शरद ऋतु की बैंगन की फसल पर जिंक सल्फेट की मात्रा 3 ग्राम तथा आयरन सल्फेट की मात्रा 5 ग्राम एवं बोरेक्स की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर की पानी की दर से घोल बनाकर यदि छिड़काव किया जाए तो बैंगन की वृद्धि बहुत अच्छी होती है. पुष्पन बहुत अच्छा होता है. फलों का आकार तथा संख्या में वृद्धि होती है. बोरान तत्व प्रमुख रूप से जल अवशोषण एवं कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म में सहायक है. इससे बैंगन का आकार बड़ा होता है और चमक आती है.

'फसलों की करें नियमित निगरानी'

डॉ. सिंह ने बताया कि बैंगन की फसल पर शरद ऋतु में कीट एवं बीमारियों का आक्रमण बहुत कम होता है. इस समय फसलों की निगरानी करने की आवश्यकता है. प्रमुख रूप से बैंगन में सफेद मक्खी तथा बैंगन का माहू अधिक नुकसान पहुंचाता है एवं माइकोप्लाज्मा नामक बीमारी का प्रसारण भी इन्हीं कीटों के द्वारा होता है. इन कीटों के प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक रसायन की 1.5 एमएल मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से फसल बच जाती है. पाला एवं कोहरे के दिनों में फसल पर पछेती अंगमारी बीमारी का अधिक प्रकोप होता है. उन्होंने बताया कि किसान भाई अपने बैंगन के खेतों की निगरानी करते रहें. यदि पत्तियां जले जैसी दिखाई दे तो तत्काल साफ (SAAF) नामक फफूंदी नाशक की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर की पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.

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