लखनऊ : शिक्षा बहुत पवित्र और पाक पेशा है. हर समाज और धर्म में अध्यापकों को इज्जत की निगाह से देखा जाता है. अपने अध्यापकों का बिना किसी धार्मिक भेदभाव के लोग इज्जत व एहतिराम करते हैं क्योंकि सामाज में जो कुछ नेकियां और अच्छाइयां पाई जाती है और इंसानी व सामाजी सेवा का जो बुनियाद है वह सब शिक्षा ही का करिश्मा है. शैक्षिक संस्थान इनका असल केन्द्र हैं. ये बातें इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहीं. वे मंगलवार को शाहीन एकेडमी ईदगाह लखनऊ में शिक्षक दिवस के अवसर पर शाहीन एकेडमी के छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे.
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि अध्यापक की हैसियत बाप से बढ़ कर है. बाप औलाद को दुनिया में आने का माध्यम है, जबकि अध्यापक बच्चे को दुनिया बरतने, अच्छा इंसान और शहरी बनने और खुदा को पहचानने और उसको राजी करने का माध्यम है. इसीलिए अध्यापक का एहतिराम और इज्जत उतनी ही जरूरी है जितनी अपने वालिदैन की. उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे बुलन्द रुतबा रसुलों और पैगम्बरों को प्राप्त है. सारे रसूूल और पैगम्बर अपनी उम्मत के लिए रसूल की हैसियत के साथ साथ अध्यापक की हैसियत भी रखते थे. वह मानवता के लिए अध्यापक भी थे.
इस अवसर पर शहीन एकेडमी के विद्यार्थियों ने तकरीरी मुकाबला पेश किया और शाहीए एकेडमी के फैसल माबूद, मुशारिब अहमद, नजमुस्सहर, रमीज राजा, राकेश वर्मा, मनीशा, वसीम अहमद, डाॅ. मो. वारसी, डाॅ. उसामा हमीद, मो. हुदैब, फाजिली अहमद, विपिन कुमार, शायका परवीन और शाइस्ता परवीन को उनकी बेहतरीन शैक्षिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया.
केंद्रीय मंत्री के हाथों शिक्षकों का सम्मान
शिक्षा के बगैर कोई समाज सभ्य व विकसित नहीं हो सकता. इतिहास गवाह है कि जितने भी महापुरुष हुए हैं उनकी महानता में उनके गुरु की मेहनत व लगन शामिल है. आज भी दुनिया में जो लोग बहुत कामयाब हैं उनकी कामयाबी के पीछे उनके गुरुओं की मेहनत और समर्पण शामिल है. इसलिए पूरी दुनिया में आम तौर पर और हमारे देश भारत में विशेष तौर पर शिक्षकों का बहुत महत्व है. शिक्षक की जितनी भी सेवा की जाए, लेकिन उसका हक अदा नहीं हो सकता है.
यह बातें सोमवार को केंद्रीय मंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहीं. होटल फार्च्यून बीबीडी में डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम ट्रस्ट के तहत हुए शिक्षक सम्मान समारोह में कही. सम्मान समारोह की अध्यक्ष्यता ट्रस्ट के संस्थापक चेयरमैन अब्दुल नसीर नासिर ने की. इस मौके पर अब्दुल नसीर नासिर ने ट्रस्ट की गतिविधियों पर रोशनी डालते हुए कहा कि मिसाइल मैन भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. कलाम खुद भी एक शिक्षक के रूप में मशहूर रहे और अपनी आखिरी सांस तक नई पीढ़ी को पढ़ाने सिखाने में लगे रहे. आज शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या में उनके नाम से समर्पित अवार्ड शहर के उन शिक्षकों को दिया जा रहा है. जिन्होंने महत्वपूर्ण विषय में शैक्षिक योगदान प्रदान किया है और आज भी कर रहे हैं. इस मौके पर डाॅ. सबीहा कुरैशी, प्रो. सबीहा फातिमा, डॉ. जितेंद्र राव, डाॅ.. शादाब मोहम्मद, वाहिद अली, जेबा नसीम, शीला चक्रवर्ती, शिवांगी सिंह को सम्मानित किया गया.