लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ को नवाबों के शहर के नाम से भी जाना जाता है. इस शहर की जहां अपनी एक सांस्कृतिक विरासत और धरोहर पहले से ही विश्व विख्यात है, वहीं इसकी इसकी सांस्कृतिक और अवधि विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार और विभिन्न संस्थाओं की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है. अवध की किस्सागोई से देश व विदेश के लोग जिस तरह से वाकिफ हैं, उसी तरह से देश के विभिन्न प्रांतों में बोली जाने वाली भाषा व उससे जुड़े कवियों और लेखकों से अवध के लोगों का परिचय कराने के लिए उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने एक अनोखी पहल की शुरुआत की है. उत्तर प्रदेश भाषा विभाग पहली बार राजधानी लखनऊ में बहुभाषीय कवि सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें राजधानी लखनऊ में रह रहे विभिन्न प्रांतों के लोगों को अपनी भाषाओं के कवियों को सुनने का मौका पहली बार मिलेगा.
अलग-अलग भाषाओं में होगा कवि सम्मेलन : उत्तर प्रदेश भाषा विभाग के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि 'कवि सम्मेलन का आयोजन 11 दिसंबर को शाम चार बजे आयोजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस वर्ष से भाषा संस्थान ने देश में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं को उत्तर प्रदेश के आम जनमानस को उससे अवगत कराने और उस भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए इस पहल की शुरुआत की है. इसके तहत इस कवि सम्मेलन में उन्हें भाषाओं को सबसे पहले शामिल किया गया है, जिस भाषा के लोग लखनऊ शहर में रहते हैं.'
प्रसिद्ध कवियों को किया गया आमंत्रित : उन्होंने कहा कि 'इस कवि सम्मेलन के आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य यहां आ रहे उन प्रदेशों के लोगों की सांस्कृतिक और सामाजिक विचारधारा को समझने के साथ ही या अवध के लोगों को भी वहां की सांस्कृतिक वैचारिक भाषा को भी समझने का एक बेहतर विकल्प मुहैया करना है. उन्होंने बताया कि इस कवि सम्मेलन में हिंदी, उर्दू, संस्कृत, पंजाबी, मलयालम, बंगाली, भोजपुरी भाषाओं में प्रसिद्ध कवियों को आमंत्रित किया गया है.
कवि सम्मेलन में आमंत्रित किए गए सभी कवि |
अरुण जेमिनी- हिंदी |
सबीना अदीब- उर्दू |
डॉ. सर्वेश अस्थाना- हिंदी |
डॉ. मालविका हरिओम- हिंदी |
डॉ. प्रशस्य मित्र शास्त्री- संस्कृत |
डॉ शैलेश गौतम- हिंदी |
पंकज प्रसून- हिंदी |
मनमोहन सिंह तन्हा- पंजाबी |
सप्रभा सुरेश- मलयालम |
इनाक्षी सिन्हा- बंगाली |
तुषा शर्मा- हिंदी |
शिखा श्रीवास्तव- भोजपुरी |
बहुभाषीय कवि सम्मेलन का आयोजन : भाषा विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार का कहना है कि 'आमतौर पर हिंदी पट्टी में केवल हिंदी भाषा पर ही कवि सम्मेलन का आयोजन होता आया है, दूसरी भाषाओं के कवि को हिंदी पट्टी में लोग कम ही पहचानते हैं. उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान इसी कड़ी में देश में बोले जाने वाली सभी भाषाओं को विकसित करने के लिए पहली बार बहुभाषीय कवि सम्मेलन का आयोजन कर रहा है.'